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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशइंडियन बॉर्डर के करीब पहुंच रही है म्यांमार की उथल-पुथल, मणिपुर से 4 किमी दूर हुई हवाई बमबारी

इंडियन बॉर्डर के करीब पहुंच रही है म्यांमार की उथल-पुथल, मणिपुर से 4 किमी दूर हुई हवाई बमबारी

फाइटर जेट्स ने गुरुवार को म्यांमार के तामू टाउनशिप के तहत कौंटोंग गांव में पीपुल्स डिफेंस फोर्स कैंप पर चार बम गिराए, जो मणिपुर के साथ सीमा पार व्यापार का अनौपचारिक केंद्र है.

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गुवाहाटी: सागैंग क्षेत्र के तामू कस्बे के अंतर्गत कौंटोंग गांव में पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) शिविर पर गुरुवार को हवाई बमबारी की खबरों के साथ, म्यांमार में लड़ाई भारतीय सीमा के करीब आ रही है.

यह स्थान मणिपुर से लगभग 4 किमी दूर है और भारत-म्यांमार सीमा पर बॉर्डर पिलर 81 के विपरीत है.

भारत और म्यांमार के सूत्रों ने कहा कि लड़ाकू विमानों ने गुरुवार सुबह करीब 9.40 बजे पीडीएफ कैंप पर चार बम गिराए, जिससे तीन लोगों की मौत हो गई. कथित तौर पर, सुबह 10.15 बजे, दो एमआई-35 हेलीकॉप्टर पीडीएफ कैंप के ऊपर से उड़े, लेकिन एक भी राउंड फायरिंग नहीं हुई.

शहरों और अन्य क्षेत्रों में काम करने वाली पीपुल्स डिफेंस फोर्स में साल 2021 में म्यांमार में तख्ता पलट के वक्त से ही उभरे सशस्त्र ग्रुप्स शामिल हैं. उन्हें जुन्टा के विरोध में बनाई गई निर्वासित सरकार नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (एनयूजी) द्वारा मान्यता प्राप्त है.

म्यांमार सरकार एनयूजी और पीडीएफ दोनों को “अवैध और आतंकवादी संगठन” मानती है.

सीमा के पास मौजूद दिप्रिंट के सूत्रों ने बताया, ‘कलाय और तामू क्षेत्रों में लगभग 5,000 पीडीएफ लड़ाके हैं, लेकिन समूह पूरी तरह से सशस्त्र नहीं हैं. माना जाता है कि जुंटा तामू के उत्तर के क्षेत्रों में युवाओं को दबाने की कोशिश कर रही है, जबकि पीडीएफ शहर के दक्षिण में पीडीएफ ज्यादा ताकतवर है.

इससे पहले दिन के वक्त, सुबह 6.20 बजे, पीडीएफ सदस्यों ने मणिपुर के पास सीमा पर तामू से 25 मील दक्षिण और बॉर्डर पिलर 64 के सामने बोक्कन पुलिस स्टेशन (जोहमुन गांव) पर कब्जा कर लिया. रिपोर्ट के मुताबिक, पीडीएफ सेनानियों ने लगभग 16 जब्त हथियारों और गोला-बारूद को प्रदर्शित किया.

गुरुवार दोपहर को, म्यांमार सेना ने तामू शहर के पास पीडीएफ-1 शिविर पर हमला करने के लिए कथित तौर पर लड़ाकू हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल किया. पीडीएफ कैंप में भारी गोलीबारी, हताहतों और गंभीर रूप से घायल होने की खबरें थीं. हवाई हमलों के वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए.


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तामू और मोरेह शहरों का महत्व

यहां होने वाले अनौपचारिक सीमा-पार व्यापार के कारण तामू टाउनशिप जुंटा के लिए महत्वपूर्ण है.

तख्तापलट से पहले, मोरेह (मणिपुर) और तामू (म्यांमार) में सीमा के करीब बाजारों के बीच उपज की आवाजाही के माध्यम से काफी आय होती थी. रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार में अपंजीकृत व्यापारियों के लिए कथित तौर पर यह बड़ा लाभ था.

टेंग्नौपाल जिले के सीमावर्ती शहर मोरेह को मणिपुर का आर्थिक गलियारा माना जाता है. हर सुबह, दूसरी तरफ से सैकड़ों व्यापारी पेड़ की फलियों से लेकर उपभोक्ता वस्तुओं तक – कई प्रकार की वस्तुओं को बेचने के लिए मोरेह आते हैं.

भारत और म्यांमार में फ्री मूवमेंट रिजीम (FMR) है, जो सीमा पर रहने वाले लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी की यात्रा करने की अनुमति देता है. जिसकी वजह से 1643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा स्मगलर्स, ट्रैफिकर्स और विद्रोहियों के लिए भी सुविधाजनक बना हुआ है.

दोनों ओर के विभिन्न आदिवासी गांवों में दोनों देशों के लोग रहते हैं. इन गांवों से अधूरी बाड़बंदी और कृत्रिम सीमा रेखा गुजरने के कारण लोगों का पार करना आसान हो गया है.

लोगों की बेरोकटोक आवाजाही ने सीमा पार तस्करी को भी बढ़ावा दिया है, सुरक्षा बलों ने नियमित आधार पर ड्रग्स, सोना, वन्यजीव उत्पादों और टिंबर की बड़ी खेप बरामद की है, जो ज्यादातर टेंग्नौपाल जिले से हैं.

भारत में सबसे पुराने अर्धसैनिक बल असम राइफल्स को भारत-म्यांमार सीमा की रखवाली की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

मणिपुर में सरकार म्यांमार से शरणार्थियों और शरण चाहने वालों की आवाजाही पर कड़ा रुख अपना रही है, और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह भी कभी-कभार सोशल मीडिया पर राज्य में वर्जित और अन्य वस्तुओं की जब्ती के बारे में रिपोर्ट करते हैं.

7 मार्च को, मुख्यमंत्री ने मोरेह में असम राइफल्स द्वारा चलाए गए एक ऑपरेशन में 55 करोड़ रुपये की ब्राउन शुगर की जब्ती के बारे में फेसबुक पर पोस्ट किया जिसमें म्यांमार के दो नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया था.

19 मार्च को, सिंह ने म्यांमार से अवैध रूप से खरीदी गई चीनी मूल की Kenbo (KB125) बाइक की जब्ती के बारे में ट्वीट किया. चुराचांदपुर, सैकुल व मोरेह कस्बे से 30 से अधिक केनबो बाइक जब्त की गई है. मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, “इनका इस्तेमाल मुख्य रूप से तंग और कठिन इलाके में पोस्ता दाना और दवाओं के परिवहन के लिए किया जाता है.”

पिछले साल 20 नवंबर को भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने म्यांमार की दो दिवसीय यात्रा की. भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था कि उन्होंने जुंटा के सदस्यों के साथ मुलाकात की और सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा और स्थिरता, मानव तस्करी और बुनियादी ढांचे के विकास सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा की.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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