नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) भूकंप प्रभावित म्यांमा में कई इमारतों और मकानों के ढहने और उनका एक-दूसरे पर गिरना बचावकर्मियों के लिए एक चुनौती बन गया है। भारत के एनडीआरएफ ने मलबे से अब तक करीब 16 शव निकाले हैं। यह जानकारी अधिकारियों ने मंगलवार को दी।
यहां से बचाव अभियान की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के विशेषज्ञ मांडले शहर में ‘सेक्टर डी’ आपदा बचाव योजना के तहत 13 इमारतों में तैनात हैं और तमाम बाधाओं के बावजूद वे अब भी ‘‘लोगों की तलाश’’ कर रहे हैं।
एनडीआरएफ ने एक बयान में कहा कि दल म्यांमा की अग्निशमन सेवाओं के साथ समन्वय में मांडले में खोज और बचाव अभियान चला रहे हैं, तथा उन स्थलों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जहां इमारत ढहने के कारण लोगों के लापता होने की सूचना मिली है।
इसमें कहा गया है, ‘‘एक अप्रैल, 2025 तक 16 शव बरामद किए जा चुके हैं और बचाव अभियान जारी है।’’
अधिकारियों ने कहा कि बचाव दल को अभी भी जीवित बचे लोगों के संकेत मिलने की उम्मीद है।
चमत्कार होते हैं, जैसा कि 2023 में तुर्किये भूकंप बचाव अभियान के दौरान भूकंप के 17वें दिन एक व्यक्ति जीवित मिला था।
अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश इमारतें ढह गई हैं और इससे बचावकर्मियों के लिए काम कठिन हो गया है। अधिकारियों ने बताया कि बचावकर्मियों को भारी स्लैब को काटने के साथ ही मलबे के ढेर को अर्थमूवर के माध्यम से हटाना पड़ रहा है ताकि जीवित लोगों की तलाश की जा सके।
एनडीआरएफ को पीड़ितों को राहत सामग्री वितरित करने में स्थानीय अधिकारियों की सहायता करने का भी निर्देश दिया गया है।
भारत ने 28 मार्च को आये 7.7 की तीव्रता के भीषण भूकंप के बाद अपने पड़ोसी देश में एनडीआरएफ की 80 बचावकर्मियों की एक टीम भेजी है।
आपदाग्रस्त देश से आने वाली मीडिया की खबरों में म्यांमा की सैन्य सरकार के प्रमुख वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग के हवाले से कहा गया है कि अब तक 2,719 लोग मृत मिले हैं और 441 लापता हैं। वहीं लगभग 4,500 अन्य घायल हुए हैं।
भारत ने म्यांमा के एक बड़े हिस्से में भूकंप आने के बाद ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू किया। भारत ने दवाइयां, राशन, भोजन और टेंट सैन्य विमानों और जहाजों के जरिए उस देश में पहुंचाए हैं। दोनों पड़ोसी देशों के बीच 1,643 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है।
भूकंप प्रभावित म्यांमा को सहायता प्रदान करने के भारत के प्रयासों को मजबूती प्रदान करने के लिए लगभग 440 टन वजनी राहत सामग्री से लदा आईएनएस घड़ियाल मंगलवार को विशाखापत्तनम बंदरगाह से रवाना हुआ। वहीं मांडले में भारतीय सेना द्वारा स्थापित एक अस्थायी अस्पताल को चालू कर दिया गया है, जो घायलों को चिकित्सा देखभाल प्रदान कर रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि भारतीय नौसेना के जहाज – आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस सावित्री – लगभग 40 टन राहत सामग्री लेकर शनिवार को पड़ोसी देश के लिए रवाना हुए थे और 31 मार्च को यांगून के पास पहुंचे थे। वहीं, आईएनएस करमुक और एलसीयू 52, जो लगभग 30 टन राहत सामग्री लेकर 30 मार्च को श्री विजयपुरम से रवाना हुए थे, मंगलवार को यांगून पहुंचे।
नौसेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि म्यांमा में जारी राहत प्रयासों को और तेज करते हुए, चावल, खाद्य तेल और दवाओं सहित लगभग 440 टन वजनी राहत सामग्री से लदा आईएनएस घड़ियाल मंगलवार सुबह विशाखापत्तनम बंदरगाह से रवाना हुआ। भूकंप प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए भारत ने सोमवार को म्यांमा को 50 टन राहत सामग्री की एक नयी खेप पहुंचायी। राहत सामग्री आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस सावित्री द्वारा म्यांमा के शहर यांगून पहुंचायी गई।
शनिवार को भारत ने भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए पांच सैन्य विमानों में राहत सामग्री, बचाव दल और चिकित्सा उपकरण म्यांमा भेजे।
अधिकारियों ने कहा कि ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत भारतीय सेना की जारी मानवीय सहायता के तहत 118 कर्मियों वाले अस्थायी अस्पताल को ‘मांडले में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है।’’
अस्पताल इकाई को भारतीय वायुसेना के दो सी-17 हेवी-लिफ्ट विमानों का उपयोग करके म्यांमा में तैनात किया गया था, जो शनिवार को आगरा से उड़ान भर चुके थे।
एक अधिकारी ने कहा कि यह इकाई अब ‘‘200 बिस्तरों की क्षमता के साथ पूरी तरह से चालू है, जो शल्य चिकित्सा और मरीज देखभाल प्रदान करती है।’’
अधिकारी ने कहा कि अस्पताल जरूरतमंद लोगों को महत्वपूर्ण चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए पूरी तरह से तैयार और सुसज्जित है, जो इस क्षेत्र में मानवीय राहत प्रयासों के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
इस बीच, म्यांमा में भारतीय दूतावास ने मंगलवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बताया कि खाद्य, चिकित्सा आपूर्ति और टेंट सहित 30 टन अतिरिक्त एचएडीआर (मानवीय सहायता और आपदा राहत) सहायता, भारतीय नौसेना के जहाजों आईएनएस करमुक और एलसीयू 52 द्वारा ले जाई गई, जिसे आज राजदूत अभय ठाकुर ने यांगून के ‘चीफ मिनिस्टर’ यू एस थीन को सौंप दिया।
भाषा अमित पवनेश
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