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Thursday, 25 April, 2024
होमदेशतालिबान पर बयान देकर फंसी महबूबा मुफ्ती, बोलीं- मेरे बयान को जानबूझकर तोड़ा मरोड़ा गया

तालिबान पर बयान देकर फंसी महबूबा मुफ्ती, बोलीं- मेरे बयान को जानबूझकर तोड़ा मरोड़ा गया

महबूबा ने ट्वीट किया, ‘ऊंगली नहीं उठा सकती क्योंकि शरिया बरकरार रखने का दावा करने वाले ज्यादातर देश उसके सच्चे मूल्यों को आत्मसात करने में विफल रहे हैं.

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श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बृहस्पतिवार को कहा कि तालिबान पर उनके बयान को जानबूझकर तोड़ा मरोड़ा जा रहा है और इसका ‘वेबसाइट पर उपयोगकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए’ इस्तेमाल किया गया क्योंकि मुसलमानों से हमेशा यह साबित करने की उम्मीद की जाती है कि वे हिंसा के साथ नहीं हैं.

साथ ही उन्होंने कहा कि शरिया बरकरार रखने का दावा करने वाले ज्यादातर देश ‘इसके सच्चे मूल्यों को आत्मसात करने में नाकाम रहे हैं.’

मुफ्ती ने बुधवार को कहा था कि तालिबान एक वास्तविकता के रूप में सामने आया है. सत्ता में पहली बार उसकी छवि मानवाधिकारों के विरोधी की तरह थी. अगर वह अफगानिस्तान पर शासन करना चाहता हैं, तो उसे कुरान में निर्धारित सच्चे शरिया कानून का पालन करना होगा जोकि महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के अधिकारों की गारंटी देता है.

उनकी इन टिप्पणियों की मीडिया के कुछ वर्गों के साथ ही सोशल मीडिया मंचों पर आलोचना की गयी.

इसके एक दिन बाद जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस बात से हैरान नहीं है कि शरिया पर उनके बयान को जानबूझकर तोड़ा-मरोड़ा गया.

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महबूबा ने ट्वीट किया, ‘ऊंगली नहीं उठा सकती क्योंकि शरिया बरकरार रखने का दावा करने वाले ज्यादातर देश उसके सच्चे मूल्यों को आत्मसात करने में विफल रहे हैं. उन्होंने केवल महिलाओं पर ये पाबंदियां लगायी कि वे क्या करें और क्या न करें, कैसे कपड़े पहने आदि.’

उन्होंने कहा कि असली मदीना चार्टर पुरुषों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए समान अधिकारों की बात करता है. उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि महिलाओं को संपत्ति, सामाजिक, कानूनी और विवाह अधिकार दिए गए हैं. गैर मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता और कानून की समानता के ऐसे ही अधिकार हैं जो धर्मनिरपेक्षता का सार है.’

महबूबा ने कहा कि इस्लामिक इतिहास महिलाओं के सशक्तिकरण के उदाहरणों से भरा हुआ है. उन्होंने कहा, ‘पैगंबर मुहम्मद की पहली पत्नी हजरत खदीजा तुल कुब्र एक स्वतंत्र और सफल उद्यमी महिला थीं. हजरत आयशा सिद्दीकी ने कैमल की लड़ाई लड़ी और 13,000 सैनिकों के बल की अगुवायी की.’

पीडीपी नेता ने कहा कि हालांकि जब भारत का ध्रुवीकरण हो गया तो इस्लाम के प्रति नफरत की भावना बढ़ रही है और अफगानिस्तान संकट से स्थिति और खराब होगी.

उन्होंने कहा, ‘मुसलमानों से हमेशा यह साबित करने की उम्मीद की जाती है कि वे हिंसा का साथ न दें. मैं देख सकती हूं कि क्यों मेरे बयान को वेबसाइट पर उपयोगकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.’

पूर्व मुख्यमंत्री ने बुधवार को कहा था कि अगर तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ व्यापार करना चाहता है तो उसे धार्मिक कट्टरता से दूर रहना चाहिए. महबूबा ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो यह अफगानिस्तान के लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर देगा.


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