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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशत्रिपुरा हिंसा मामले में मुस्लिम संगठन लगा रहे 'राजनीतिक साजिश' का आरोप, कहा- अल्पसंख्यकों को बनाया निशाना

त्रिपुरा हिंसा मामले में मुस्लिम संगठन लगा रहे ‘राजनीतिक साजिश’ का आरोप, कहा- अल्पसंख्यकों को बनाया निशाना

मुस्लिम समूहों के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने ये भी आरोप लगाया, कि हिंसा के दौरान मस्जिदों में तोड़-फोड़ की गई, और मुसलमानों की संपत्ति जलाई गई. साथ ही उन्होंने पुलिस पर अपराध में मिलीभगत का आरोप लगाया.

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नई दिल्ली: अक्टूबर अंत में त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा की ख़बरों के बाद तथ्यों की जांच के लिए राज्य के दौरे से लौटकर आए मुस्लिम संगठनों के एक संयुक्त प्रतिनिधमंडल ने शनिवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉनफ्रेंस में अपनी रिपोर्ट पेश की. फैक्ट फाइंडिंग टीम की अगुवाई भारत में मुस्लिम संगठनों की मूल इकाई, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए- मुशावरत (एआईएमएम) ने की.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए एआईएमएम अध्यक्ष नवेद हामिद, और जमाते इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष सलीम इंजीनियर ने आरोप लगाया कि त्रिपुरा में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा, आगज़नी, और लूट की घटनाओं को, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) जैसे दक्षिण-पंथी हिंदू संगठनों ने अंजाम दिया.

हामिद ने ये भी आरोप लगाया, कि हिंसा में त्रिपुरा के दूर-दराज़ इलाक़ों में मुसलमानों की बहुत सी दुकानों और सूबे की क़रीब 16 मस्जिदों में तोड़-फोड़ और आगज़नी की गई, जिनमें से कुछ मस्जिदें पूरी तरह जल गईं. इंजीनियर का दावा था कि ऐसी ही एक मस्जिद, जो पूरी तरह जल गई, एक सीआरपीएफ कैंप के अंदर स्थित थी.

हामिद का आरोप था, ‘ये एक सियासी साज़िश थी और इसका एजेंडा मुसलमानों को निशाना बनाना था. पुलिस ने न सिर्फ हिंसा की निगरानी की, बल्कि दंगाइयों के साथ मिली भगत करके उनकी करतूतों का समर्थन किया.’

त्रिपुरा में उस समय हिंसा भड़क उठी, जब 26 अक्टूबर को पानीसागर क़स्बे में, एक मस्जिद में कथित रूप से तोड़फोड़ की गई, और मुसलमानों की दुकानों और मकानों में आग लगा दी गई. ये हिंसा वीएचपी सदस्यों द्वारा निकाली जा रही एक रैली के दैरान हुई, जो बांग्लादेश में दुर्गा पूजा समारोहों के दौरान, हिंदुओं के खिलाफ कथित रूप से हुई सांप्रदायिक हिंसा का विरोध कर रहे थे. पानीसागर की घटना के बाद पूरे त्रिपुरा से अल्पसंख्यक समुदाय की मस्जिदों, दुकानों, और घरों पर कथित हमलों के बहुत से दूसरे मामले सामने आए थे.


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‘त्रिपुरा पुलिस की भूमिका की जांच हो’

मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने 31 अक्टूबर से 2 नवंबर के बीच तीन दिन त्रिपुरा में बिताए और हिंसा की प्रकृति को समझने के लिए, पीड़ितों तथा सीपीआई(एम) और कांग्रेस के विपक्षी नेताओं से बात की. लेकिन वो त्रिपुरा मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बिप्लब कुमार देव से मुलाक़ात नहीं कर पाए.

5 नवंबर को देब को लिखे एक पत्र में प्रतिनिधिमंडल ने हिंसा की एक निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग उठाई और ये भी कहा कि ‘त्रिपुरा पुलिस की भूमिका को भी जांच के दायरे में लाया जाए.’

इंजीनियर ने, जो फैक्ट फाइंडिंग टीम का हिस्सा थे, और प्रेस कॉन्फ्रेंस की अगुवाई कर रहे थे, ने कहा कि हिंसा से जुड़े मामलों में अभी तक छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और 11 एफआईआर दर्ज हुई हैं. लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि जांच की स्थिति बहुत ख़राब है.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘न सिर्फ वो दोषियों को ऐसे ही खुला छोड़ रहे हैं, बल्कि उन आवाज़ों को निशाना बना रहे हैं, जो हिंसा के बारे में जागरूकता फैला रहीं थीं.’

त्रिपुरा पुलिस ने दो वकीलों के खिलाफ ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम लगा दिया था, जो मानवाधिकार संस्था पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (पीयूसीएल) की ओर से फैक्ट फाइंडिंग और क़ानूनी सहायता देने के मिशन को अंजाम दे रहे थे.

प्रतिनिधिमंडल के अनुसार हिंसा के सिलसिले में एकमात्र सकारात्मक पहलू ये था कि बार बार के उकसावे और भड़कावे के बावजूद, त्रिपुरा की स्थानीय मुस्लिम आबादी ने प्रतिक्रिया स्वरूप कोई पलटवार नहीं किया, और आम ग़ैर-मुस्लिम लोग मुसलमानों के बचाव में दंगाईयों के सामने खड़े हुए.

गुरुग्राम से तुलना

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के गुरुग्राम में कथित रूप से मुसलमानों को निशाना बनाए जाने से तुलना करते हुए हामिद ने आरोप लगाया कि जिस तरह हिंदू संगठनों के विरोध प्रदर्शनों के बाद, गुरुग्राम में मुसलमानों की नमाज़ के लिए निर्धारित जगहों को बंद कर दिया गया, उसी तरह त्रिपुरा में भी मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा था.

उनका दावा था कि दोनों घटनाएं (त्रिपुरा हिंसा में मस्जिदों पर निशाना, और गुरुग्राम में विरोध प्रदर्शन) हिंदू संगठनों के दो मुख्य एजेण्डों का परिणाम थीं.

उनके अनुसार, जहां अल्प-कालिक एजेण्डा यूपी और उत्तराखंड जैसे राज्यों में आगामी असेम्बली चुनावों से पहले, हिंदू-मुस्लिम मुद्दों को उभारना था, वहीं ‘बड़ा एजेण्डा हिंदुओं के मन में ये बिठा देना है, कि मुसलमानों के किसी भी धर्म स्थल को सहन न किया जाए’.

हामिद का आरोप था, ‘और इस उकसावे के पीछे एजेण्डा ये है, कि वो एक गृह युद्ध चाहते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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