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Saturday, 21 December, 2024
होमखेलमुंबई VS बिहार या बिहार VS बिहार: कैसे पटना में एक ही राज्य की 2 क्रिकेट टीमें रणजी मैच खेलने पहुंचीं?

मुंबई VS बिहार या बिहार VS बिहार: कैसे पटना में एक ही राज्य की 2 क्रिकेट टीमें रणजी मैच खेलने पहुंचीं?

पटना के मोइन-उल-हक स्टेडियम में शुक्रवार को उस समय ड्रामा शुरू हो गया जब दो समूहों ने बिहार की आधिकारिक टीम होने का दावा किया. यह राज्य क्रिकेट संघ में सत्ता संघर्ष का नतीजा है.

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पटना: बीते 5 जनवरी से जब कई सालों बाद जब पटना में बिहार और मुंबई के बीच रणजी मैच शुरू होने वाला था तो बिहार के क्रिकेट प्रशंसक के मन में एक अलग उत्साह था. क्रिकेट प्रशंसक मैच शुरू होने से कई घंटे पहले ही पटना के मोइन-उल-हक स्टेडियम में मैच शुरू होने के इंतज़ार में थे, लेकिन मैच शुरू होने से पहले स्टेडियम में ड्रामा शुरू हो गया.

मैच शुरू होने से कुछ देर पहले बिहार की ओर से खेलने के लिए दो टीम मैदान में आ गईं और दोनों टीम खुद को बिहार की असली टीम होने का दावा करने लगी. एक टीम बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के द्वारा चुनी गई थी जबकि दूसरी टीम बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अमित कुमार के द्वारा चुनी गई थी. इस दौरान मैदान में काफी अफरा-तफरी रही और दोनों टीमों के सदस्यों के बीच थोड़ी बहुत झड़प भी हुई.

झड़प में एक स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर मनोज कुमार घायल भी हो गए. हालांकि, बाद में बिहार पुलिस की टीम ने अमित कुमार की चयनित टीम को जबरदस्ती मैदान से बाहर निकाल दिया और राकेश कुमार तिवारी के द्वारा चुनी गई टीम को खेलने की इज़ाज़त दी गई. विवाद के चलते बिहार और मुंबई के बीच का मैच भी देरी से शुरू हुआ — दरअसल यह बीसीए में सत्ता संघर्ष की एक झलक थी.

पटना के मोइन-उल-हक स्टेडियम में बिहार बनाम मुंबई का चल रहा रणजी मैच | फोटो: ऋषभ राज | दिप्रिंट

एसोसिएशन के चुनाव के बाद से ही विवाद शुरू

पूर्व में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा कि बीसीए हमेशा से ही विवाद में रहा है. उन्होंने कहा, “अभी भी एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारियों के बीच कई मामले चल रहे हैं. साथ ही एसोसिएशन में वर्चस्व की भी लड़ाई चल रही है. राकेश कुमार तिवारी की स्थिति एसोसिएशन में अभी मजबूत है क्योंकि अधिकतर पदाधिकारी उनके अपने आदमी हैं. अमित कुमार अभी अलग-थलग हैं.”

दिप्रिंट के पास अमित कुमार के द्वारा हस्ताक्षरित पत्र की एक प्रति मौजूद है जिसमें टीम के लिए चुने गए खिलाड़ियों की लिस्ट है, जिसमें पटना के कदमकुआं इलाके का एक एड्रेस और एसोसिएशन और उसके सचिव से संपर्क की जानकारी है, जबकि बीसीए का आधिकारिक पता पाटलिपुत्र कॉलोनी है. यहां तक कि दो अलग-अलग वेबसाइट्स भी हैं, जो https://biharcricketassociations.com और https://biharcricketassociation.com है. हालांकि, दोनों ने तिवारी को एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में नामित किया है, लेकिन पहले वाले का कहना है कि अमित कुमार बीसीए के सचिव हैं जबकि बाद वाले का कहना है कि जिया उल अरेफिन इस पद पर हैं.

जब दिप्रिंट ने बीसीए के सचिव अमित कुमार से बात की तो उन्होंने इसे राकेश कुमार तिवारी की तानाशाही करार दिया. कुमार ने दिप्रिंट से कहा, “यह विवाद लगभग एक साल से चल रहा है. एसोसिएशन के चुनाव के बाद से ही उठापटक चल रहा है.बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के तीन प्रतिनिधि किसी भी जिला एसोसिएशन के प्रतिनिधि नहीं है, लेकिन उन्हें अवैध तरीके से पद दिया गया है. 3 अक्टूबर 2022 को सभी पदाधिकारियों के नाम की घोषणा की गई और उसके अगले ही दिन 4 अक्टूबर 2022 को राकेश कुमार तिवारी ने एक्टिंग सेक्रेटरी के रूप में बैठक बुला लिया. पिछले सत्र में उन्होंने संविधान को दरकिनार करते हुए उन्होंने सेक्रेटरी को पद से हटा दिया. फिर ज्वाइंट सेक्रेटरी को एक्टिंग सेक्रेटरी का पद  मिला, लेकिन उन्होंने उन्हें भी निकाल दिया. और उन्होंने सेक्रेटरी का पूरा पावर अपने पास अवैध तरीके से ले लिया. चुनाव के बाद जब मैंने बैठक बुलाई तो बीसीए के अध्यक्ष बैठक में नहीं पहुंचे.”

दिप्रिंट ने इस मामले पर बात करने के लिए बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी से फोन के जरिए से संपर्क किया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा. जब दिप्रिंट ने बीसीए के सचिव अमित कुमार से बात की तो उन्होंने इसे राकेश कुमार तिवारी की तानाशाही करार दिया. कुमार ने दिप्रिंट से कहा, “यह विवाद लगभग एक साल से चल रहा है. एसोसिएशन के चुनाव के बाद से ही उठापटक चल रही है.”

“बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के तीन प्रतिनिधि किसी भी जिला एसोसिएशन के प्रतिनिधि नहीं है, लेकिन उन्हें अवैध तरीके से पद दिया गया है. 3 अक्टूबर 2022 को सभी पदाधिकारियों के नाम की घोषणा की गई और उसके अगले ही दिन 4 अक्टूबर 2022 को राकेश कुमार तिवारी ने एक्टिंग सेक्रेटरी के रूप में बैठक बुला ली. पिछले सत्र में उन्होंने संविधान को दरकिनार करते हुए सेक्रेटरी को पद से हटा दिया. फिर ज्वाइंट सेक्रेटरी को एक्टिंग सेक्रेटरी का पद मिला, लेकिन उन्होंने उन्हें भी निकाल दिया और उन्होंने सेक्रेटरी की पूरी पावर अपने पास अवैध तरीके से हथिया ली. चुनाव के बाद जब मैंने बैठक बुलाई तो बीसीए के अध्यक्ष उस बैठक में नहीं पहुंचे.”

इस विषय पर दिप्रिंट से बात करते हुए बिहार किक्रेट एसोसिएशन के प्रवक्ता संजीव कुमार मिश्रा ने अमित कुमार के आरोपों को खारिज कर दिया. संजीव कुमार मिश्रा ने दिप्रिंट से कहा, “अमित कुमार का बिहार क्रिकेट एसोसिएशन से कोई लेना देना नहीं है. वो पहले एसोसिएशन के सचिव थे लेकिन उन्हें बीसीए के ओम्बड्समैन कोर्ट द्वारा पद से बर्खास्त कर दिया गया है. अब उनका इस संस्थान से कोई लेना देना नहीं है, वो बस लोगों को भड़का रहे हैं. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का अर्थ है राकेश तिवारी. हमें बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त है. राकेश तिवारी की टीम ही बिहार की आधिकारिक क्रिकेट टीम है.”

इससे पहले इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए राकेश तिवारी ने कहा था, “हमने जो टीम चुनी है वो योग्यता के आधार पर चुनी गई है. हमारे पास कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं. हमारे पास साकिब हुसैन जैसे खिलाड़ी हैं जिसका सिलेक्शन आईपीएल में हुआ है. एक 12 साल का भी खिलाड़ी है जो खेल में पर्दापण करने के लिए तैयार है.”


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पैसों की ‘अवैध’ निकासी

दिप्रिंट से बात करते हुए अमित कुमार ने बीसीए के वर्तमान अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी पर 26 करोड़ रुपए के अवैध निकासी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “हमारे संविधान के मुताबिक पैसे की निकासी ट्रेज़रर और सेक्रेटरी के हस्ताक्षर से होनी होती है, लेकिन पैसे की निकासी प्रेसिडेंट और ट्रेजरर के हस्ताक्षर से हो रही है, जो अवैध है. इन रुपए से जिम और इंफ्रास्ट्रचर के काम होने वाले थे, लेकिन एक भी काम नहीं हुआ. इनका इस्तेमाल एक गिरोह बनाने के लिए किया गया और क्रिकेट को एक व्यापार बना दिया गया.”

उन्होंने आगे कहा, “ये लोग मिलकर सारा काम फर्ज़ी करते हैं और बीसीसीआई परोक्ष रूप से इनका सपोर्ट करता है. हमारे संविधान में इन सब चीज़ों के लिए निर्णय लेने की जिम्मेदारी सेक्रेटरी को दी गई है. अगर हम बीसीसीआई को ही ले लें, जो हमारी पेरेंट्स बॉडी है, तो क्या वहां रोजर बिन्नी जय शाह को उनके पद से हटा सकते हैं. तो ये लोग कैसे हमें हटा सकते हैं.”

इन आरोपों पर बात करते हुए बीसीए के प्रवक्ता संजीव कुमार मिश्रा ने इसे झूठा करार दिया. मिश्रा ने कहा, “बीसीए बीसीसीआई द्वारा बिहार में क्रिकेट कराने के लिए अधिकृत संस्था है. अमित कुमार बिहार के खिलाड़ियों के बीच भ्रम के अलावा कुछ नहीं फैला रहे हैं. बीसीए पूरी तरह से पाक साफ संस्था है. बीसीए जैसे स्वच्छ संगठन पूरे भारत में नहीं है. हम पूरी पारदर्शिता के साथ, बीसीसीआई के नियम के हिसाब से काम करते हैं. भ्रष्टाचार की बात करना बेमानी है. अमित कुमार मानसिक रूप से अस्वस्थ हो चुके हैं. जब से उन्हें बर्खास्त किया गया है वह कुछ से कुछ बोल रहे हैं.”

बीसीए और रणजी ट्रॉफी

साल 2000 से पहले क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (CAB) बिहार-झारखंड में क्रिकेट को कंट्रोल करने वाली संस्था थी, लेकिन 2000 में झारखंड के अलग हो जाने के बाद झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (JSCA) बना, जिसे  30 सितंबर 2001 को तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने स्थाई सदस्यता दे दी. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को बीसीसीआई द्वारा अस्थाई सदस्यता दी गई.

साल 2016 में लोढ़ा कमेटी की सिफारिश के मुताबिक सभी राज्य बोर्डों को बीसीसीआई की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में मतदान का अधिकार दिया गया और उन्हें सभी प्रमुख प्रथम श्रेणी के खेल में भाग लेने की बात कही गई. इसके बाद बिहार, उत्तराखंड, पांडिचेरी, सिक्किम, नागालैंड के साथ, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और मेघालय को रणजी खेलने का मौका दिया गया. इस साल झारखंड से अलग होने के बाद पहली बार बिहार एलीट ग्रुप में रणजी खेल रहा है. इससे पहले बिहार प्लेट ग्रुप में रणजी खेलता था लेकिन पिछले साल बिहार की टीम ने मणिपुर को प्लेट ग्रुप के फाइनल में 220 रनों से हराकर एलिट ग्रुप में अपनी जगह बनाई थी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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