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मुंबई, चार अगस्त (भाषा) परिवहन निकाय ‘बेस्ट’ के खिलाफ एक दंपति के धरने के बाद, निकाय के निजी बस ऑपरेटर के ड्राइवरों के हड़ताल पर जाने से मुंबई और इसके उपनगरीय क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन सेवा प्रभावित हुई है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
धरना में भाग लेने वाला व्यक्ति परिवहन निकाय द्वारा नियुक्त निजी बस ऑपरेटर में से एक का संविदा कर्मचारी है। अधिकारियों के अनुसार, वेतन वृद्धि और अन्य मांगों को लेकर बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) द्वारा नियुक्त निजी बस ऑपरेटर से जुड़े ड्राइवरों की हड़ताल शुक्रवार को तीसरे दिन भी जारी रहने से 1,300 से अधिक बसें सड़कों से नदारद रहीं जिससे यात्रियों को काफी असुविधा हो रही है।
‘बेस्ट’ के 3,100 बसों के बेड़े में से लगभग 1,700 बसें अनुबंधित ऑपरेटर द्वारा चलाई जाती हैं, जिन्हें उनकी सेवाओं के लिए एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाता है। इन ऑपरेटर के लिए अनुबंध के आधार पर काम करने वाले कर्मचारी बुधवार से हड़ताल कर रहे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि यह हड़ताल 31 जुलाई को एक दंपति, रघुनाथ खजूरकर और उनकी पत्नी प्रदन्या द्वारा धरना आंदोलन के साथ शुरू हुई और तब से इसे 2,000 से अधिक संविदा ड्राइवरों का समर्थन मिला है।
प्रदन्या खजूरकर ने हाल में सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत ‘बेस्ट’ से कुछ जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया था और दो बार अनुरोध अस्वीकार किए जाने पर, उन्होंने अपने पति रघुनाथ के साथ धरना देने का फैसला किया। रघुनाथ ‘बेस्ट’ द्वारा नियुक्त निजी ऑपरेटर डागा समूह में एक संविदा कर्मचारी हैं।
उन्होंने कहा कि खजूरकर दंपति ने 31 जुलाई को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में धरना शुरू किया, लेकिन पहले दो दिन में इसे शायद ही कोई प्रतिक्रिया मिली। धरना पर एक सोशल मीडिया पोस्ट मंगलवार को कर्मचारियों के बीच प्रसारित किया गया और अगले दिन से, पूर्वी उपनगरों में दो डिपो के कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को, डागा समूह की 150 बसें सड़कों से नदारद रहीं। इसके बाद कुछ कर्मचारी वेतन वृद्धि और मुफ्त यात्रा समेत अन्य मांगों के समर्थन में आजाद मैदान में आ जुटे।
उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार तक 1,000 से अधिक बसें संचालित नहीं हुईं और हड़ताली ड्राइवरों की संख्या बढ़ती गई। बेस्ट के अधिकारियों के अनुसार, निजी ऑपरेटर भी बेबस हैं क्योंकि उन्हें नहीं पता कि किससे बातचीत करनी है।
‘बेस्ट’ के एक कर्मचारी ने कहा, ‘‘हमारे ऑपरेटर का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि गतिरोध खत्म करने के लिए किससे बात करनी चाहिए। यह ऐसी हड़ताल है, जिसमें कोई नेतृत्व नहीं है।’’ खजूरकर दंपति घर जाने से पहले हर शाम 5:30 बजे तक आज़ाद मैदान में धरना देते हैं।
अधिकारियों ने कहा कि ‘बेस्ट’ ऐसे वक्त में खुद को मुश्किल में स्थिति में पा रहा है, जब विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े श्रमिक संघ, निजी बस ऑपरेटर के कर्मचारियों को लुभाने का प्रयास करते हुए उनकी हड़ताल के लिए अपना समर्थन दिखा रहे हैं।
‘बेस्ट’ के अधिकारियों और श्रमिक संघों ने कहा कि चूंकि आंदोलन नेतृत्वहीन है, यह कुछ साल पहले महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) के कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन की तरह अपने उद्देश्य से भटक सकता है।
उन्होंने कहा, कुछ साल पहले मुंबई में ‘बेस्ट’ के स्थायी कर्मचारियों की नौ दिवसीय हड़ताल हुई थी, लेकिन इसका नेतृत्व यूनियन नेताओं ने किया था। हड़ताली ड्राइवरों में से एक ने कहा कि अभी तक कोई यूनियन उनका प्रतिनिधित्व नहीं कर रही है। सूत्रों ने कहा कि ‘बेस्ट’ के महाप्रबंधक विजय सिंघल आधिकारिक यात्रा पर विदेश में हैं, जिससे मामला और बिगड़ गया है।
भाषा आशीष अर्पणा
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