scorecardresearch
Sunday, 17 August, 2025
होमदेशमुंबई की अदालत ने अपहरण मामले में महिला को जमानत दी

मुंबई की अदालत ने अपहरण मामले में महिला को जमानत दी

Text Size:

मुंबई, 17 अगस्त (भाषा) यहां की एक अदालत ने 2013 में नाबालिग लड़की के अपहरण के आरोप में गिरफ्तार महिला को जमानत देते हुए कहा कि सात साल की बच्ची को ‘अभिभावक के स्नेह’ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

आरोपी सात साल की एक बच्ची की मां है और उसकी गिरफ्तारी के बाद से बच्ची मुंबई के अंधेरी इलाके में एक बाल गृह में रह रही है।

यह मामला 2013 में सात साल की बच्ची के अपहरण से संबंधित है। पीड़िता लगभग एक दशक बाद मिली, जिसके बाद 2022 में आरोपी महिला और उसके पति को गिरफ्तार किया गया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस एम टाकलीकर (डिंडोशी अदालत) ने पिछले हफ्ते महिला को जमानत देते हुए कहा कि आरोपी की बच्ची पिछले तीन साल से अपने माता-पिता से नहीं मिली है। अदालत ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि वह बाल भवन में है, जहां उसकी देखभाल की जा रही है, लेकिन ‘‘सात वर्षीय बच्ची को उसके अभिभावक के स्नेह से वंचित नहीं किया जाना चाहिए’’।

अदालत ने इस बात पर भी विचार किया कि आरोपी को ‘‘बच्ची का साथ नहीं मिला’’ है क्योंकि वह पिछले तीन साल से जेल में है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता की मां ने 22 जनवरी 2013 को मुंबई के डीएन नगर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जब उसकी सात वर्षीय बेटी स्कूल से घर नहीं लौटी थी।

तीन अगस्त, 2022 एक पड़ोसी को एक महिला का वीडियो कॉल आया, जिसमें लापता पीड़िता जैसी दिखने वाली एक लड़की दिखाई दी।

पीड़िता ने अपने बयान में आरोप लगाया कि 2013 में दोनों आरोपी उसे आइसक्रीम खिलाने का वादा करके अपने साथ ले गए। वे उसे गोवा ले गए और कई महीनों तक वहीं रखा। इसके बाद, वे मुंबई के विले पार्ले में आए, एक मकान किराए पर लिया और चार महीने तक वहीं रहे, उसके बाद उसे वापस गोवा ले गए।

लड़की ने यह भी बताया कि आरोपी ने उसे कर्नाटक के एक स्कूल में दाखिला दिलाया और एक साल तक वहीं रखा। लड़की ने दावा किया कि 2015 में वे मुंबई आ गए और तब से यहीं रह रहे हैं।

पीड़िता ने आरोप लगाया कि इस दौरान उन्होंने उसे एक घर में कैद कर रखा और घर का सारा काम करने के लिए मजबूर किया। उसने यह भी आरोप लगाया कि आरोपियों ने उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।

आरोपी महिला के वकील, नितिन हजारे ने दलील दी कि आरोपपत्र 2022 में दाखिल किया गया था और आरोप 24 जनवरी, 2024 को तय किए गए थे, लेकिन तब से किसी भी गवाह से पूछताछ नहीं की गई है।

न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष के इस दावे को स्वीकार किया कि अपराध गंभीर था, लेकिन आरोपी की बेटी के संबंध में बचाव पक्ष की दलील का समर्थन किया। इन सभी पहलुओं पर विचार करते हुए, अदालत ने कहा कि उसे जमानत देना ‘‘उचित’’ होगा।

भाषा आशीष धीरज

धीरज

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments