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Friday, 19 April, 2024
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108 साल बाद शिव के धाम वाराणसी पहुंची मां अन्नपूर्णा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की प्राण-प्रतिष्ठा

18वीं सदी की मूर्ति रेजिना विश्वविद्यालय के ‘मैकेंज़ी आर्ट गैलरी’ में रखी थी. विश्वविद्यालय ने पिछले साल इस मूर्ति को भारत के उच्चायुक्त को सौंपा था.

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वाराणसी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को यहां काशी विश्वनाथ धाम में कनाडा से 108 साल बाद वापस लाई गयी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बतौर यजमान भाग लिया.

मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा की शोभा यात्रा सोमवार को सुबह दुर्गाकुंड स्थित कूष्मांडा मंदिर से निकली. प्रतिमा को रजत पालकी में काशी विश्वनाथ धाम में लाया गया. मुख्यमंत्री ने पालकी को अपने कंधे पर उठाया. जब पालकी मंदिर परिसर में पहुंची तो परिसर मंत्रोच्चार, घंटा-घड़ियाल और शंख ध्वनि से गूंज उठा. मंत्रोच्चारण के साथ प्रतिमा को प्राण प्रतिष्ठित कर काशी विश्वनाथ धाम के ईशान कोण में स्थापित किया गया. प्रतिमा के साथ ही मंदिर परिसर में पुनर्निर्माण कार्य के दौरान हटाकर रखे गए पांच अन्य विग्रहों को भी प्राण प्रतिष्ठित कर स्थापित किया गया.

इससे पहले मुख्यमंत्री रविवार की रात को अपने दो दिवसीय दौरे पर यहां पहुंचे. उन्होंने देर रात में लहुराबीर-मैदागिन मार्ग पर शाही नाले की सफाई एवं मरम्मत के कार्य का निरीक्षण किया और युद्धस्तर पर अभियान चलाकर तत्काल कार्य पूरा करने का निर्देश दिया.

योगी ने देर रात में ही काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करने के बाद श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण कार्य की प्रगति का भी जायजा लिया.

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वाराणसी में योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘ पहले भारत की मूर्तियां तस्करी के माध्यम से दुनिया में पहुंचा दी जाती थीं, भारत की आस्था आहत होती थी. आज ढूंढ-ढूंढ कर उन मूर्तियों को भारत वापस लाया जा रहा है. प्रधानमंत्री अपने अमेरिका दौरे में ऐसी 156 मूर्तियां लेकर आए हैं.’

‘काशी ​की पहचान बाबा विश्वनाथ के धाम से है. 1916 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी यहां आए थे, तब उन्होंने बाबा विश्वनाथ मंदिर की गली और वहां पर गंदगी को देखकर बहुत तीखी टिप्पणी की थी.’

योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा,’ लेकिन आज़ादी के बाद भी देश के हुक्मरानों के कानों में वो आवाज़ नहीं गूंज रही थी. जिन्होंने गांधी जी के नाम पर सत्ता प्राप्त की थी और उनके नाम पर राजनीति करते थे उन्होंने गांधी जी की बात को भी नहीं माना.’


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कनाडा से वापस लाई गई देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति 

केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने बृहस्पतिवार को देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति यहां एक कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी. इस मूर्ति को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कनाडा से वापस लाया है.

भारतीय आधुनिक कला संग्रहालय (एनजीएमए) में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय भवन एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह समेत अन्य ने शिरकत की.

रेड्डी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिशों से देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति वापस भारत लाई गई है. इसे 100 साल से ज्यादा समय पहले चुरा लिया गया था.’

उन्होंने बताया कि 2014 के बाद से 40 से ज्यादा प्राचीन कालीन वस्तुओं को देश वापस लाया गया है जबकि 2014 से पहले मात्र 13 ऐसी चीज़ों को वापस लाया जा सका था. उन्होंने इन प्रचीन वस्तुओं को भारत वापस लाने में एएसआई और विदेश मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की.

मंत्री ने कहा कि ‘देवी अन्नपूर्णा भोजन और पोषण की देवी हैं और उनके आशीर्वाद से भारत सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू करके भारत के सभी लोगों के लिए भोजन सुनिश्चित कर रही है. यह कानून कोविड के समय गरीब लोगों के लिए बहुत फायदेमंद रहा है.’

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार जल्द ही दो मूर्तियां तमिलनाडु को, तथा एक-एक मूर्ति आंध्र प्रदेश और राजस्थान को सौंपेगी.

केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा, ‘समय बदल गया है. पहले भारत के सांस्कृतिक प्रतीकों को बाहर ले जाया जाता था, लेकिन अब इसमें सुधार का काम शुरू हो गया है और जो खजाने खो गए थे, उन्हें अब भारत वापस लाया जा रहा है.’

एएसआई को 15 अक्टूबर 2017 को देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति मिली है. चोरी कर ली गई यह मूर्ति 17 गुणा नौ गुणा चार सेंटिमीटर की है. इसे एक सदी से ज्यादा समय पहले उत्तर प्रदेश में काशी से चुराया गया था और तस्करी करके कनाडा ले जाया गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 नवंबर 2020 को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कनाडा से इस मूर्ति के वापस लाने की घोषणा की थी.

18वीं सदी की मूर्ति रेजिना विश्वविद्यालय के ‘मैकेंज़ी आर्ट गैलरी’ में रखी थी. विश्वविद्यालय ने पिछले साल इस मूर्ति को भारत के उच्चायुक्त को सौंपा था.


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