नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) निर्वाचन आयोग (ईसी) ने बिहार में यह पाया है कि 5.76 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम एक से अधिक स्थानों पर मतदाता सूची में शामिल हैं और 12.55 लाख से अधिक मतदाताओं की संभवतः मृत्यु हो चुकी है।
राज्य की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के जारी रहने के बीच, आधिकारिक आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि बूथ स्तर के अधिकारियों द्वारा घर-घर जाकर किए गए सर्वेक्षण के दौरान लगभग 7.90 करोड़ मतदाताओं में से 35.69 लाख से अधिक मतदाता अपने पते पर नहीं पाये गए।
आंकड़ों के अनुसार, 17.37 लाख से अधिक मतदाता संभवतः स्थायी रूप से दूसरे स्थानों पर चले गए हैं।
निर्वाचन आयोग ने रेखांकित किया कि आने वाले दिनों में इन आंकड़ों में बदलाव देखने को मिलेगा।
आयोग ने 14 जुलाई को कहा था कि बिहार के कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 6.60 करोड़ से अधिक या 83.66 प्रतिशत के नाम एक अगस्त को प्रकाशित होने वाली मतदाता सूची के मसौदे में शामिल किए जाएंगे।
सूची में वे सभी मतदाता शामिल होंगे, जिनके फॉर्म समय सीमा तक प्राप्त हो गए हैं।
अखबारों में विज्ञापनों और सीधे संपर्क के माध्यम से उन मतदाताओं को सूचित करने के प्रयास किए जा रहे हैं जो अस्थायी रूप से राज्य से बाहर हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे समय पर अपने गणना फॉर्म (ईएफ) भर सकें और उनका नाम मसौदा सूची में भी शामिल हो जाए।
आयोग ने बताया कि बृहस्पतिवार तक 89.7 प्रतिशत मौजूदा मतदाताओं (7.08 करोड़) ने मसौदा मतदाता सूची में शामिल होने के लिए अपने गणना प्रपत्र (ईएफ) दे दिए हैं।
जो मतदाता बी.एल.ओ. (बूथ लेवल ऑफिसर) के तीन दौरों के बाद भी अपने पते पर नहीं मिले हैं, उनके पुनः सत्यापन के लिए ऐसे व्यक्तियों की जानकारी — जिनका संभवतः निधन हो चुका है, स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं या जिन्होंने एक से अधिक स्थानों पर मतदाता सूची में अपना शामिल करा रखा है — राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों और उनके द्वारा नियुक्त 1.5 लाख बूथ स्तरीय एजेंटों के साथ साझा की जा रही है, ताकि 25 जुलाई से पहले ऐसे मतदाताओं की वास्तविक स्थिति की पुष्टि की जा सके।
मतदाताओं की सुविधा के लिए बिहार के सभी 261 शहरी स्थानीय निकायों के सभी 5,683 वार्ड में विशेष शिविर भी लगाए जा रहे हैं।
भाषा
सुभाष सुरेश
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