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Monday, 4 November, 2024
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चंद्रमा के और करीब पहुंचा चंद्रयान-3, ISRO ने कहा- आज अलग होंगे लैंडर-प्रोपल्शन मॉड्यूल

चंद्रयान-2 की असफलता को देखते हुए चंद्रयान-3 में कई सुधार किए गए हैं. चंद्रयान-3 में पिछले मिशन की तरह ऑर्बिटर के बजाय प्रोपल्शन मॉड्यूल का प्रयोग किया जाएगा.

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नई दिल्ली: भारत के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्रमा मिशन के तहत चंद्रयान-3 बुधवार को, पृथ्वी के इकलौते उपग्रह की पांचवी और अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया और चंद्रमा की सतह के और गुरुवार को यानि आज चंद्रयान-3 प्रणोदन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल को अलग करेगा.

राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, ‘‘आज की सफल प्रक्रिया संक्षिप्त अवधि के लिए आवश्यक थी. इसके तहत चंद्रमा की 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में चंद्रयान-3 स्थापित हो गया, जिसका हमने अनुमान किया था. इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई. अब प्रणोदन मॉड्यूल और लैंडर को अलग होने के लिए तैयार हैं.’’

ISRO ने कहा कि 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रणोदन मॉड्यूल से लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की योजना है.

14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद चंद्रयान-3 ने पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया, जिसके बाद इसने छह, नौ और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओं में प्रवेश किया तथा उसके और निकट पहुंचता गया.

चंद्रयान-3 को चंद्रमा के ध्रुवों पर स्थापित करने का अभियान आगे बढ़ रहा है. इसरो चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचाने का प्रयास कर रहा है और चंद्रमा से उसकी दूरी धीरे-धीरे कम होती जा रही है.

चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है.

क्या है Chandrayaan-3 में खास

चंद्रयान-2 की असफलता को देखते हुए चंद्रयान-3 में कई सुधार किए गए हैं. चंद्रयान-3 में पिछले मिशन की तरह ऑर्बिटर के बजाय प्रोपल्शन मॉड्यूल का प्रयोग किया जाएगा. इस मिशन में लैंडर और रोवर को प्रोपल्शन मॉड्यूल के ज़रिए चंद्रमा से 100 किलोमीटर की दूरी तक लेकर जाया जाएगा. पिछले चंद्रयान-2 में यह काम ऑर्बिटर के ज़रिए किया गया था. दरअसल, ऑर्बिटर में जिस टेक्नॉलजी का प्रयोग किया जाता है उससे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने तक बीच में किसी खराबी के आने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं जबकि प्रोपल्शन मॉड्यूल में इसकी संभावना कम है.

इसके अलावा इस बार लैंडर में कुछ खास एक्विपमेंट्स भी लगाए गए हैं जिसकी वजह से चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की संभावना ज्यादा है.

 

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