पटना, 25 जुलाई (भाषा) बिहार विधानसभा का पांच दिवसीय मानसून सत्र शुक्रवार को समाप्त हो गया। राज्य में इस साल के अंत में चुनाव होने है और ऐसे में माना जा रहा है कि यह मौजूदा विधानसभा का आखिरी सत्र था।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने एक भावुक भाषण दिया। इस सत्र के दौरान मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई थी।
यादव ने एक कविता सुनाई, जिसका सार यह है, ‘‘कलह इतनी तीव्र नहीं होनी चाहिए कि विवाद में शामिल लोगों के गुजर जाने के बाद भी शत्रुता जारी रहे।’’
सत्र समापन के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता यादव और अधिक विवाद के मूड में नहीं दिखे क्योंकि जब पार्टी के सहयोगी प्रेम कुमार कुछ सदस्यों की शिकायत करने के लिए अपनी सीट से उठे तो उन्होंने उन्हें फटकार लगाई।
छह बार के विधायक यादव ने सदन में कहा, ‘‘जब नई विधानसभा चुनी जाएगी, तो हम अपने कई सम्मानित सदस्यों को वापस आते हुए देख सकते हैं, लेकिन कुछ नए चेहरे भी होंगे। चाहे जो भी हो, लोकतंत्र की लौ हमेशा प्रज्वलित रहेगी।’’
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘सभी सदस्यों का आचरण अनुकरणीय रहा है, और यह परंपरा जारी रहे। मैंने इस सदन को निष्पक्ष रूप से चलाने का प्रयास किया है, लेकिन यदि मेरे आचरण से किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं क्षमा चाहता हूं।’’ वह करीब डेढ़ वर्ष पहले इस पद के लिए चुने गए थे।
वरिष्ठ नेता ने अपने संबोधन का समापन एक अन्य पंक्ति से किया,‘‘हो सकता है कि मुझमें इतने गुण न हों कि आप मुझे याद रखें। फिर भी मुझे विश्वास है कि आप मुझे अपनी यादों से मिटा नहीं पाएंगे।’’
इसके बाद, सदस्य पृष्ठभूमि में बज रहे ‘‘बिहार गीत’’ के सम्मान में खड़े हो गए,जो राज्य के लंबे इतिहास का गुणगान करता है।
भाषा
धीरज मनीषा
मनीषा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.