मुंबई, नौ जून (भाषा) यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत छेड़छाड़ और अपराध के मामले जोनल पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) की अनुमति से केवल एक एसीपी की सिफारिश पर दर्ज किए जाने चाहिए। यह निर्देश मुंबई पुलिस आयुक्त संजय पांडेय ने अधिकारियों को दिया है।
एक अधिकारी ने कहा कि आयुक्त ने ऐसे मामलों के मद्देनजर यह आदेश जारी किया जिसमें व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता या संपत्ति, धन के मामलों और व्यक्तिगत मुद्दों को लेकर विवाद के कारण झूठे मामले दर्ज किए गए।
सोमवार को जारी निर्देश में कहा गया है कि ऐसे कई मामलों में बिना तथ्यों की जांच के आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है और बाद में शिकायत फर्जी पायी जाती है।
आयुक्त ने आदेश में कहा कि आरोपी व्यक्ति की प्रतिष्ठा बिना किसी कारण के धूमिल हो जाती है, भले ही वह अंततः बरी हो जाए। आदेश में कहा गया है कि इससे बचने के लिए पुलिस अधिकारियों को संभागीय सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) की सिफारिश और जोनल पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) की अनुमति से ही छेड़छाड़ या पॉक्सो कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया है।
इसमें कहा गया है कि अनुमति देते समय डीसीपी को ललिता कुमारी मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का अनुपालन करना चाहिए।
2013 में ‘ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य के मामले में, शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने दिशानिर्देश निर्धारित किए कि प्राथमिकी का पंजीकरण कब अनिवार्य है।
भाषा अमित उमा
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