नयी दिल्ली, 12 मई (भाषा) भारत द्वारा ‘बुद्ध मुस्कुराये’ नामक ऑपरेशन के तहत किए गए परमाणु परीक्षण के पांच दशक बाद सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को दो टूक शब्दों में यह चेतावनी देने के लिए बुद्ध पूर्णिमा का ही दिन चुना कि इस्लामाबाद के ‘परमाणु ब्लैकमेल’ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भारत ने 1974 में जब पहला परमाणु परीक्षण किया था उस रोज बुद्ध पूर्णिमा थी। इसी प्रकार 11 मई 1998 को जब दोबारा परमाणु परीक्षण किया गया तो उस दिन भी बुद्ध पूर्णिमा थी।
भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण का कूट नाम यद्धपि ‘ऑपरेशन शक्ति’ था किंतु इसे ‘बुद्ध दोबारा मुस्कुराये’ नाम से याद किया जाता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू होने के बाद पहली बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने बुद्ध पूर्णिमा का जिक्र किया और कहा, ‘‘भगवान बुद्ध ने हमें शांति का रास्ता दिखाया है। शांति का मार्ग भी शक्ति से होकर जाता है। मानवता, शांति और समृद्धि की तरफ बढ़े, हर भारतीय शांति से जी सके, विकसित भारत के सपने को पूरा कर सके, इसके लिए भारत का शक्तिशाली होना बहुत जरूरी है और आवश्यकता पड़ने पर इस शक्ति का इस्तेमाल भी जरूरी है। और पिछले कुछ दिनों में, भारत ने यही किया है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत पर आतंकी हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर जवाब देकर रहेंगे। हर उस जगह जाकर कठोर कार्रवाई करेंगे, जहां से आतंक की जड़ें निकलती हैं।’’
उन्होंने कहा कि भारत कोई भी परमाणु ब्लैकमेल बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि देश, ‘‘परमाणु ब्लैकमेल की आड़ में पनप रहे आतंकी ठिकानों पर सटीक और निर्णायक प्रहार करेगा।’’
मोदी ने पूरी दृढ़ता और चेतावनी भरे शब्दों में कहा, ‘‘भारत किसी ‘परमाणु ब्लैकमेल’ को सहन नहीं करेगा। हमने पाकिस्तान के खिलाफ अभियान को केवल स्थगित किया है तथा भविष्य उनके व्यवहार पर निर्भर करेगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ आतंकवाद के खिलाफ भारत की नयी नीति है और अब एक नयी रेखा खींच दी गयी है।’’
भाषा
माधव नरेश
नरेश
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