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बुधवार, 11 जून, 2025
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मोदी ने पेड़ की सूखी छाल से सुंदर कलाकृतियां बनाने वाले उत्तराखंड के कलाकार की सराहना की

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नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीड़ के पेड़ों से गिरने वाली सूखी छाल से सुंदर कलाकृतियां बनाने वाले उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी जीवन जोशी की रविवार को सराहना की।

जोशी 65 साल के हैं और वह विशिष्ट रूप से सक्षम व्यक्तियों की श्रेणी में आते हैं।

मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा, ‘‘आज मैं आपको एक ऐसे शानदार व्यक्ति के बारे में बताना चाहता हूं जो एक कलाकार भी हैं और जीती-जागती प्रेरणा भी। उनका नाम जीवन जोशी है। अब सोचिए जरा, जिनके नाम में ही जीवन हो, वह कितनी जीवंतता से भरे होंगे।’’

बचपन में पोलियो ने उनके पैरों की ताकत छीन ली थी, लेकिन उनके हौसलों को नहीं छीन पाया।

मोदी ने कहा, ‘‘उनके चलने की रफ्तार भले कुछ धीमी हो गई, लेकिन उनका मन कल्पना की हर उड़ान उड़ता रहा। इसी उड़ान में, जीवन जी ने एक अनोखी कला को जन्म दिया, नाम रखा ‘बगेट’। इसमें वह चीड़ के पेड़ों से गिरने वाली सूखी छाल से सुंदर कलाकृतियां बनाते हैं।’’

जोशी की प्रेरणादायक कहानी ने हाल ही में ‘पीटीआई वीडियो’ द्वारा उनके जीवन पर आधारित एक वीडियो जारी किए जाने के बाद लोगों का ध्यान आकर्षित किया। वीडियो में उनके जीवन, कलात्मक प्रक्रिया और चुनौतियों को दर्शाया गया था।

वीडियो में जोशी के कामकाज को दर्शाया गया है। इसमें देखा जा सकता है कि वह जंगल के रास्तों पर गिरी हुई छालों को इकट्ठा कर रहे हैं और उनसे ढोल, दमाऊ एवं पहाड़ी मंदिरों जैसी लघु सांस्कृतिक कलाकृतियां बना रहे हैं तथा अपने अनूठे शिल्प के जरिये उत्तराखंड की विरासत को संरक्षित कर रहे हैं।

जोशी ने वीडियो में बताया कि ये कलाकृतियां पर्यावरण को बचाने का एक जरिया हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनकी कला युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘वह छाल, जिसे लोग आमतौर पर बेकार समझते हैं – जीवन जी के हाथों में आते ही धरोहर बन जाती है। उनकी हर रचना में उत्तराखंड की मिट्टी की खुशबू होती है। कभी पहाड़ों के लोक वाद्ययंत्र, तो कभी लगता है जैसे पहाड़ों की आत्मा उस लकड़ी में समा गई हो।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जीवन जोशी जैसे कलाकार हमें याद दिलाते हैं कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, अगर इरादा मजबूत हो, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। उनका नाम जीवन है और उन्होंने सच में दिखा दिया कि जीवन जीना क्या होता है।’’

भाषा सुभाष नेत्रपाल

नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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