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Friday, 22 November, 2024
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मोदी सरकार ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा नहीं दे पाने वाले छात्रों को किया आश्वस्त, कहा- ना हों परेशान

कोविड-19 महामारी के कारण तीन राज्यों पंजाब, तेलंगाना और तमिलनाडु ने इस वर्ष अपने छात्रों के लिए 10वीं की परीक्षाएं रद्द कर दी हैं.

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नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रालय राज्य के बोर्डों के छात्र जो इस साल 10वीं की परीक्षा नहीं दे पाए हैं, उन्हें प्रवेश और अन्य औपचारिकताओं के लिए भविष्य में किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े, यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार कर रहा है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

तीन राज्यों – पंजाब, तेलंगाना और तमिलनाडु ने कोविड-19 महामारी के कारण इस वर्ष अपने छात्रों के लिए 10वीं की परीक्षाएं रद्द करने का फैसला किया है.

जहां राज्य इसको लेकर अपना स्वयं का आकलन करना चाहते हैं, वहीं केंद्र सरकार भी दिशा-निर्देश तैयार कर रही है.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट से इसकी पुष्टि करते हुए कहा, ‘हम उन छात्रों की मदद करने के लिए दिशा-निर्देशों पर जोर दे रहे हैं, जिन्होंने 10वीं के राज्य बोर्ड परीक्षा में नहीं दे पाए और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर उत्तीर्ण हुए थे. अगर इन छात्रों को सीबीएसई स्कूल में या बाद में किसी अन्य राज्य के बोर्ड में दाखिला लेना है तो इन छात्रों को किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र होना चाहिए.’

10वीं के अंक कई कारणों से महत्वपूर्ण होते हैं. कुछ दक्षिण भारतीय राज्यों में जूनियर कॉलेजों या पूर्व-विश्वविद्यालय पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए उन्हें ध्यान में रखा जाता है. कई छात्र 10वीं के बाद राज्य बोर्ड से सीबीएसई में भी आते हैं और 10वीं के स्कोर के आधार पर प्रवेश दिया जाता है.

स्कोर इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसी आधार पर छात्र विज्ञान, मानविकी, वाणिज्य और अन्य स्ट्रीम को चुनते हैं.


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परीक्षाओं पर राज्य खुद ले रहे हैं फैसला

राज्य, हालांकि, 10वीं की परीक्षाओं के संबंध में स्वयं फैसला ले रहे हैं

पंजाब, जो परीक्षा रद्द करने की घोषणा करने वाला पहला राज्य था, उसने अभी तक भविष्य की रणनीति के बारे में फैसला नहीं किया है, लेकिन प्री-बोर्ड अंकों के आधार पर अपने छात्रों को पदोन्नत किया है.

पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड (PSEB) के परीक्षा नियंत्रक, जनक राज मेहरोक ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने कोविड-19 महामारी के कारण परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला किया और इसकी अभिभावकों ने व्यापक रूप से सराहना की है. हमने प्री-बोर्ड के आधार पर परिणाम घोषित किए हैं.’

‘हर साल, हम छात्रों को अंक देंगे, क्योंकि इस साल कोई फाइनल परीक्षा नहीं हुई थी, हमने छात्रों को सतत और व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) के आधार पर ग्रेड दिया है. अब आगे स्कूलों को मापदंड तय करने होंगे किं किस आधार पर वे छात्रों को प्रवेश देना चाहते हैं और उन्हें विषय आवंटित करना चाहते हैं.’

तमिलनाडु के परीक्षाओं को रद्द करने के फैसले ने एक तरह से अधिकारियों पर बोझ कम कर दिया है, विभाग के अधिकारियों का कहना है.

तमिलनाडु के स्कूल शिक्षा विभाग के आयुक्त सिगी थॉमस वैद्यन ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि छात्रों का मूल्यांकन निष्पक्ष तरीके से किया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘11वीं में प्रवेश नियमित होगा और सभी छात्रों के पास उनके प्रदर्शन और अंकों के अनुसार उत्तीर्ण होने का प्रमाण पत्र होगा.’

छात्रों को संभावित चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, शिक्षा आयुक्त ने कहा कि परीक्षा आयोजित करने के लिए राज्य को तैयार किया गया था लेकिन कोरोनोवायरस के मामलों की बढ़ती संख्या, अभिभावकों की याचिका और इसे संचालित नहीं करने के लिए अदालत की सलाह के कारण उन्हें रद्द करना पड़ा था.

नाम ना छापने की शर्त पर मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘ऐसे समय में जब मामले बढ़ रहे हैं, तो बच्चों और उनके स्वास्थ्य की रक्षा के लिए, हमारी सरकार ने एसएसएलसी पब्लिक एग्जाम को रद्द करने का फैसला किया है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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