नई दिल्ली: मोदी सरकार ने कैबिनेट फेरबदल से ठीक पहले मंगलवार को सहकारिता मंत्रालय (को-ऑपरेशन मंत्रालय) के गठन की घोषणा कर दी. सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह नया मंत्रालय देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए एक अलग प्रशासनिक, वैधानिक और नीतिगत ढांचा मुहैया कराएगा.
बयान में कहा गया है कि मंत्रालय, मोदी सरकार के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करने के लिए बनाया गया है.
अलग मंत्रालय के स्वरूप को लेकर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है सिवाये इसके कि यह सहकारी समितियों के लिए कारोबार में आसानी के लिए तमाम प्रक्रियाएं सुव्यवस्थित करने और बहु-राज्य सहकारी समितियों का विकास सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा.
सूत्रों ने कहा कि सरकार नए मंत्रालय के लिए मंत्री के नाम का ऐलान बुधवार को कर सकती है, जब मोदी कैबिनेट में शामिल होने वाले कुछ नए चेहरों की घोषणा होने की संभावना है. सरकारी सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के अपना दूसरा कार्यकाल संभालने के दो साल बाद होने जा रहा पहला फेरबदल काफी व्यापक हो सकता है और एक दर्जन से अधिक नए चेहरों को मंत्री बनाया जा सकता है.
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सहकारिता आंदोलन को मजबूती देगा नया मंत्रालय
सरकारी बयान के मुताबिक, नया मंत्रालय जमीनी स्तर से जुड़े एक सच्चे जन-आधारित आंदोलन के तौर पर सहकारी समितियों को और मजबूत करने में मदद देगा. बयान में कहा गया है, ‘हमारे देश में सहकारिता पर आधारित आर्थिक विकास मॉडल बेहद प्रासंगिक है जहां हर एक सदस्य जिम्मेदारी की भावना के साथ काम करता है.’
बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने समुदाय आधारित विकास की साझेदारी के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता का संकेत दिया है. बयान के मुताबिक, ‘सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय का गठन वित्त मंत्री की तरफ से की गई बजट घोषणा को भी पूरा करता है.’
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने आम बजट भाषण में कहा था कि मोदी सरकार बहु-राज्य सहकारी समितियों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें हरसंभव सहायता देगी. उन्होंने कहा था, ‘सहकारी समितियों के लिए कारोबार करना आसान बनाने के उद्देश्य से मैं उनके लिए एक अलग प्रशासनिक ढांचा स्थापित करने का प्रस्ताव करती हूं.’
एनजीओ सहकार भारती, जिसके संस्थापक सदस्य सतीश काशीनाथ मराठे आरबीआई बोर्ड में अंशकालिक निदेशक हैं, का कहना है कि सहकारिता क्षेत्र के लिए एक अलग मंत्रालय गठित करने की वकालत सबसे पहले उसकी तरफ से ही की गई थी.
सहकार भारती ने सबसे पहले फरवरी में राष्ट्रीय स्तर पर सहकारी क्षेत्र के लिए अलग मंत्रालय की मांग की थी.
सरकार की घोषणा के तुरंत बाद मराठे ने एक ट्वीट करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘हम #माननीय पीएम @narendramodi जी को हमारी मांग स्वीकारने के लिए धन्यवाद देते हैं और आशा करते हैं कि यह सहकारी समितियों को अब भारत को #आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सार्थक भूमिका निभाने के लिए सशक्त बनाएगा. #सहकारसे_समृद्धि_की_ओर.’
@Sahakar_Bharati was the first Organization to demand a separate #ministry for the #CoOp Sector.
We #thank Hon PM @narendramodi ji for conceding our demand and hope it will now empower the CoOps to play a meaningful role in making Bharat #Atmanirbhar.#सहकारसे_समृद्धि_की_ओर https://t.co/pcmJpguNQX— Satish Marathe (@Satish_Marathe1) July 6, 2021
भाजपा के कई शीर्ष नेताओं और कैबिनेट मंत्रियों ने भी सहकारिता क्षेत्र के लिए नया मंत्रालय बनाने पर मोदी को धन्यवाद दिया.
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया, ‘एक और दूरदर्शी कदम, पीएम @NarendraModi जी ने ‘सहकार से समृद्धि’ का विजन साकार करने के लिए एक नया सहकारिता मंत्रालय बनाया है. यह सहकारिता आंदोलन को मजबूती देगा और लोगों को सही मायने में विकास की ओर अग्रसर करेगा.’
In another visionary step, PM @NarendraModi ji has created a new Ministry of Co-operation for realising the vision of ‘Sahkar se Samriddhi’. This will give a massive boost to co-operative movement and create a true people's momentum for development.https://t.co/Cts73UPMlz
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) July 6, 2021
मोदी सरकार 2.0 के दौरान दूसरा नया मंत्रालय बना
सहकारिता मंत्रालय 2019 में मोदी सरकार के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद से गठित किया जाना वाला दूसरा मंत्रालय है.
सरकार ने कार्यभार संभालने के तुरंत बाद ही जल शक्ति मंत्रालय बनाया था. हालांकि, यह सहकारिता मंत्रालय की तरह एकदम नया नहीं था. यह पानी संबंधी मामलों से संबद्ध दो मंत्रालयों— जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय का विलय करके बनाया गया था.
यह मोदी के ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गर्वनेंस’ के मंत्र के अनुरूप था, जिसका वादा 2014 और 2019 में दोनों बार ही भाजपा के घोषणापत्र में किया गया था.
2014 के बाद से नौकरशाहों के समूहों की तरफ से एक ही क्षेत्र से जुड़े मंत्रालयों के विलय के लिए कई सिफारिशें की जा चुकी हैं. लेकिन इस मोर्चे पर अब तक कुछ खास नहीं हुआ है.
अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2017 में मोदी सरकार ने दो मंत्रालयों— शहरी विकास और आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन का विलय कर दिया था और आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय बनाया था.
सहकारिता मंत्रालय बनने से अब केंद्र सरकार के अधीन कुल 41 मंत्रालय हो जाएंगे. इनमें से कई मंत्रालयों के तहत अलग-अलग विभाग और संगठन भी हैं.
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