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Thursday, 25 April, 2024
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‘दिल में छुपाकर प्यार का तूफान ले चले’- ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में निधन

भारतीय सिनेमा के गोल्डन एरा के शानदार अभिनेताओं में से एक दिलीप कुमार थे. उनका बहुआयामी व्यक्तित्व था. हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी भाषाओं पर उनकी जबरदस्त पकड़ थी.

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नई दिल्ली: ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार का बुधवार को 98 साल की उम्र में निधन हो गया. वो कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे.

उनके ट्विटर हैंडल से किए गए एक ट्वीट में बताया गया, ‘भारी मन और गहरे दुख से कहना पड़ रहा है कि हमारे प्रिय दिलीप साहब का कुछ देर पहले निधन हो गया.’

भारतीय सिनेमा के गोल्डन एरा के शानदार अभिनेताओं में से एक दिलीप कुमार थे. उनका बहुआयामी व्यक्तित्व था. हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी भाषाओं पर उनकी जबरदस्त पकड़ थी.

दिलीप कुमार-वजूद और परछाई के फॉर्वर्ड में उनकी पत्नी और अपने समय की जानी-मानी अदाकारा सायरा बानो ने कहा है, ‘उनके असंख्य चाहने वालों में कुछ ही लोग जानते हैं कि दिलीप कुमार बहुत बड़े पढ़ाकू थे. चाहे वह कोई उपन्यास हो, चाहे नाटक या जीवनी, क्लासिक साहित्य के लिए उनका प्यार सबसे बढ़कर था.’

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दिलीप कुमार ने एक्टिंग के तरीके को भी बदल दिया और वो एक बार में एक फिल्म में ही काम करते थे.

अपने समय की मशहूर अभिनेत्री देविका रानी के कहने पर वो फिल्मों की दुनिया में आए थे और उन्होंने ही उनका नाम यूसुफ खान से बदलकर दिलीप कुमार किया था.

1944 में दिलीप कुमार की पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा‘ आई, जो ज्यादा कमाल नहीं दिखा सकी. उस वक्त वो केवल 22 साल के ही थे. देविका रानी ने उनकी काबिलियत भांप ली थी और उन्होंने दिलीप कुमार को फिर मौका दिया.

कुछ शुरुआती असफलताओं के बाद 1947 में आई फिल्म जुगनू सफल रही जिसमें दिलीप कुमार के साथ नूरजहां थीं. इसके बाद 1948 में शहीद और मेला भी उनकी सफल फिल्में रहीं. इसके बाद 1949 में आई महबूब खान की फिल्म अंदाज काफी सफल रही जिसमें राज कपूर और नरगिस भी थे.

1950 के बाद दिलीप कुमार ने एक से बढ़कर एक फिल्में की. जिनमें तराना, संगदिल, अमर, इंसानियत, नया दौर, यहूदी, मधुमति, पैगाम, आन (पहली टेक्नीकलर फिल्म), मुगल-ए-आज़म, कोहिनूर, आज़ाद, लीडर, दाग , गोपी, राम और श्याम शामिल हैं. इन फिल्मों ने उन्हें ट्रैजेडी किंग के तौर पर भारतीय सिनेमा में स्थापित कर दिया.

अपने समय की मशहूर अभिनेत्री मधुबाला और वैजयंती माला के साथ दिलीप कुमार ने कई फिल्में की.

मधुबाला के साथ दिलीप साहब तराना, अमर, मुगल-ए-आज़म में नज़र आए वहीं वैजयंती माला के साथ उन्होंने सबसे ज्यादा फिल्में की. इसमें नया दौर, मधुमति, गंगा जमुना, संघर्ष, पैगाम, लीडर, देवदास जैसे बेहतरीन फिल्में शामिल हैं.

दिलीप साहब की अदाकारी तो शानदार होती ही थी लेकिन उन फिल्मों का संगीत भी गजब होता था. 1952 में आई फिल्म आन को ही लिया जाए तो इसमें दिलीप कुमार के साथ निम्मी और नादिरा काम कर रही थीं. इस फिल्म का संगीत नौशाद साहब ने दिया था. इस फिल्म का एक गीत- ‘दिल में छुपाकर प्यार का तूफान ले चले ‘ आज भी लोगों की पसंद है.

इसमें दोराय नहीं है कि दिलीप साहब एक बड़े फलक के कलाकार हैं जिन्होंने न केवल सिनेमा के रंग-ढंग को बदला बल्कि उसे संजीदगी से पर्दे पर उतारने के लिए खुद बड़ी मेहनत की.

दिलीप कुमार 2000-2006 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे. 1994 में उन्हें दादा साहेब फाल्के सम्मान, 1991 में पद्म भूषण, 2015 में पद्म विभूषण से नवाजा गया. 1998 में पाकिस्तान सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से सम्मानित किया.


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‘असाधारण योगदान’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘दिलीप कुमार जी को सिनेमा के लीजेंड के तौर पर याद किया जाएगा. उनका जाना सांस्कृतिक दुनिया के लिए बड़ी क्षति है.’

अभिनेता मनोज वाजपेयी ने कहा, ‘आपके जैसा कोई नहीं. सादर नमन.’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर उनकी मृत्यु पर दुख जताया. उन्होंने कहा, भारतीय सिनेमा के लिए उनका असाधारण योगदान कई पीढ़ियां याद रखेंगी.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, ‘भारतीय सिनेमा और उसके विकास में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा.’

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘हिंदी फ़िल्म जगत के मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार जी का चले जाना बॉलीवुड के एक अध्याय की समाप्ति है. युसुफ़ साहब का शानदार अभिनय कला जगत में एक विश्वविद्यालय के समान था. वो हम सबके दिलों में ज़िंदा रहेंगे. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें. विनम्र श्रद्धांजलि.’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, दिलीप कुमार शानदार अभिनेता थे. गंगा जमुना फिल्म में उनकी अदाकारी ने लाखों लोगों का दिल जीता.


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