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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशकोविड-19 से लड़ने में अश्वगंधा, मुलेठी, गुडूची कितना कारगर, सरकार ने बनाई टेस्ट की योजना

कोविड-19 से लड़ने में अश्वगंधा, मुलेठी, गुडूची कितना कारगर, सरकार ने बनाई टेस्ट की योजना

मोदी सरकार एक पेटेंट दवा, आयुष -64 को भी टेस्ट करके पता करेगी कि क्या यह कोविड -19 के इलाज में प्रभावी होगी.

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नई दिल्ली: पारंपरिक दवाएं कितनी कारगर हैं इसको प्रमाणित करने और वैज्ञानिक सबूत इकट्ठा करने की कोशिश में, नरेंद्र मोदी सरकार तीन आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों और एक दवा पर क्लनिकल ट्रायल को तैयार है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

अनुसंधान और विकास के भारत के सबसे बड़े निकाय, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और सर्वोच्च स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), के साथ आयुष मंत्रालय परीक्षण करेगा.

‘परीक्षण के लिए तीन लोकप्रिय आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां हैं – अश्वगंधा, गुडूची, मुलेठी और एक आयुर्वेदिक एंटी मलेरिया दवा आयुष -64 को चुना गया है. इन दवाओं का अध्ययन कोविड-19 संक्रमणों के विरुद्ध उनके निवारक गुणों के लिए किया जाएगा’, मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया.

आयुष-64 सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (सीसीआरएएस) द्वारा विकसित एक पेटेंट दवा है. एंटी-मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की कोरोनोवायरस संक्रमण के इलाज में प्रभावी दिखने पर, वैसे ही सरकार की योजना आयुष -64 गोली की जांच करने की है.

अधिकारी ने बताया, ‘हम इस महीने के भीतर परीक्षणों के लिए चार उद्धरणों को अंतिम रूप देंगे. हमें परीक्षण शुरू करने के लिए मुंबई, दिल्ली, लखनऊ और सार्वजनिक व निजी अस्पतालों से प्रस्ताव मिल रहे हैं. हालांकि, हम इसके स्वरूप को अंतिम रूप देने के लिए आईसीएमआर से मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं.

आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी के लिए बने आयुष मंत्रालय को वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में छद्म वैज्ञानिक दवा को लेकर बार-बार आलोचना का सामना करना पड़ा है.


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कैसे होगा ट्रायल

क्लीनिकल ट्रायल एक प्रकार का चिकित्सा अनुसंधान है जिसमें किसी उपचार की प्रभावकारिता और सुरक्षा का पता लगाने के लिए निर्धारित अवधि के भीतर परिभाषित प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है.

आयुष मंत्रालय की ट्रायल की योजना का मकसद चार चुनी हुई- तीन जड़ी बूटियों और एक दवा के निवारक गुणों का अध्ययन करना है.

अधिकारी ने कहा, ‘इन जड़ी-बूटियों और दवाई को क्वारंटाइन लोगों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को दिया जाएगा. इन जड़ी बूटियों को उनके अर्क के माध्यम से बनाई गई गोलियों के रूप में दिया जाएगा.

टेस्ट दो कैटेगरी में 15 दिनों के लिए किया जाएगा- स्टैंडअलोन, जहां एक रोगी केवल आयुर्वेदिक गोलियों का इस्तेमाल करेगा, और जहां एलोपैथिक दवाओं को आयुर्वेदिक गोलियों के साथ शामिल किया जाएगा.

ये परीक्षण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के उपाध्यक्ष, प्रोफेसर भूषण पटवर्धन के नेतृत्व में अंतर्विषयक 17 सदस्यीय-आयुष अनुसंधान और विकास कार्य बल द्वारा डिज़ाइन किए गए प्रोटोकॉल के अनुसार किए जाएंगे.

अधिकारी ने कहा, ‘आयुष मंत्रालय ने भारत में क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी देने वाले प्राथमिक संस्थान ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (ऑफ) सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन, के साथ भी परामर्श किया है.’

रिसर्च प्रोजेक्ट पर ध्यान

सरकार ने मंगलवार को होम्योपैथी, यूनानी और सिद्ध के तहत अन्य दवाओं के लिए ऐसे ही कदम को लेकर एक अधिसूचना जारी की है, जोवैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को अनुसंधान परियोजनाओं को शुरू करने और साक्ष्य जुाने के लिए आमंत्रित करती है.

अधिसूचना में कहा गया है, ‘…कोविड-19 की रोकथाम/प्रबंधन के लिए किसी भी आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध या होम्योपैथी फॉर्मूलेशन के वैज्ञानिक प्रमाण होना भी आवश्यक है… यह भी आवश्यक है कि क्लीनिकल ​​डेटा वैज्ञानिक रूप से मान्य और विश्वसनीय हों.’

वैकल्पिक दवाओं के लिए भी क्लीनिकल ट्रायल

मंत्रालय ने अधिसूचना में कहा है कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर आयुष मंत्रालय द्वारा संभावित उपचारों के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं.

सार्स कोव-2 कोरोनावायरस के कारण होने वाली बीमारी, जिसके लिए वर्तमान में इलाज, उपचार या वैक्सीन नहीं है.

अधिसूचना में उल्लेख किया गया है, ‘…कोविड-19 की रोकथाम या प्रबंधन पर किसी भी आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध या होम्योपैथी के उपयोग पर वैज्ञानिक प्रमाण होना भी आवश्यक है. इसलिए, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत मान्यता प्राप्त व्यवस्थाओं में किसी भी आयुष पर आधारित दवाओं के विकास के लिए गंभीर प्रयास करना आवश्यक है.’


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इसमें शोधकर्ताओं से कोविड -19 के लिए प्राचीन दवाओं का उपयोग करते हुए साक्ष्य इकट्ठा करने की अपील की गई है.’… आयुष मंत्रालय ने सूचित किया है कि वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, चिकित्सा के किसी भी मान्यता प्राप्त प्रणाली के चिकित्सक कोविड-19 पर आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी प्रणाली के माध्यम से शोध कर सकते हैं, जिसमें कोविड-19 के रोगनिरोधी उपायों सहित, क्वारंटाइन के दौरान हस्तक्षेप, बिना लक्षण वाले और लक्षण वाले मामले शामिल हैं- सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान, सर्वेक्षण, प्रयोगशाला-आधारित अनुसंधान आदि.

अधिसूचना में शोधकर्ताओं को एलोपैथिक उपचार के साथ उपचार के प्रभाव को जांचने के लिए क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दी गई है. अभी तक एलोपैथिक दवाओं के साथ आधुनिक तरीके से आयुष दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति का कोई प्रावधान नहीं था.

‘अब, एक क्लीनिकल ​​ट्रायल शुरू करने के लिए, मंत्रालय एक अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करेगा जो शोधकर्ताओं को सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों और आधुनिक चिकित्सा के साथ परीक्षण करने की अनुमति देगा.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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