चंडीगढ़, 13 फरवरी (भाषा) कांग्रेस ने गुजरात के एबीजी शिपयार्ड द्वारा 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को ‘‘भारत की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी’’ बताते हुए रविवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी नीत सरकार में शीर्ष पर बैठे लोगों की इसमें मिलीभगत है।
विपक्षी दल ने सवाल किया कि 28 बैंकों से कथित धोखाधड़ी के संबंध में एबीजी शिपयार्ड के खिलाफ परिसमापन कार्रवाई के बाद प्राथमिकी दर्ज करने में पांच साल क्यों लग गए। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सात फरवरी को एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, इसके पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल और अन्य पर आईसीआईसीआई बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के एक समूह के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में मामला दर्ज किया।
कांग्रेस महासचिव और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, ललित मोदी, विजय माल्या, जतिन मेहता, चेतन और नितिन संदेसरा और भारतीय बैंकों को धोखा देकर देश छोड़कर भाग चुके कई अन्य का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि मोदी नीत सरकार बैंक धोखाधड़ी करने वालों के लिए ‘‘लूटो और भगाओ’’ योजना चला रही है। सुरजेवाला ने कहा कि सूची में नए-नए शामिल होने वाले अग्रवाल और अन्य हैं। उन्होंने इन आरोपियों को ‘‘नव रत्न’’ के रूप में वर्णित किया।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मोदी सरकार में सत्ता के शीर्ष पदों पर बैठे लोगों की मिलीभगत भारत की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी में एबीजी शिपयार्ड और उसके प्रवर्तकों से जुड़ी हुई है।’’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा एक अगस्त 2017 को एबीजी शिपयार्ड के परिसमापन की प्रक्रिया शुरू की गई थी, कांग्रेस ने 15 फरवरी 2018 को कथित घोटाले के बारे में चेतावनी दी थी और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कंपनी और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ आठ नवंबर 2019 और फिर 20 अगस्त 2020 को शिकायत दर्ज कराई थी।
सुरजेवाला ने संवाददाता सम्मेलन में सवाल किया, ‘‘28 बैंकों से 22,842 करोड़ रुपये धोखाधड़ी करने के लिए एबीजी शिपयार्ड के खिलाफ परिसमापन कार्रवाई के बाद प्राथमिकी दर्ज करने में पांच साल क्यों लग गए?’’
उन्होंने पूछा, ‘‘मोदी सरकार ने 15 फरवरी 2018 को कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों, एबीजी शिपयार्ड में घोटाले की चेतावनी पर ध्यान देने से इनकार क्यों किया और 19 जून 2019 को उसके खातों में धोखाधड़ी की बात सामने आने के बावजूद क्यों कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई तथा आपराधिक कार्रवाई क्यों नहीं की गई?’’
भारतीय स्टेट बैंक ने रविवार को कहा कि वह फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के बाद सीबीआई के साथ मिलकर एबीजी शिपयार्ड धोखाधड़ी मामले में कार्रवाई के लिए पूरी गंभीरता से काम कर रही है।
एसबीआई ने एक बयान में कहा कि फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर धोखाधड़ी की बात घोषित की जाती है, जिस पर संयुक्त ऋणदाताओं की बैठकों में चर्चा की गई और जब धोखाधड़ी की बात साफ हो गई, तब सीबीआई के समक्ष एक प्रारंभिक शिकायत दर्ज कराई गई। एसबीआई ने कहा कि पूरी प्रक्रिया में देरी करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
बयान में कहा गया कि बैंकों के समूह में आईसीआईसीआई बैंक अग्रणी ऋणदाता था और दूसरे स्थान पर आईडीबीआई था, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक होने के नाते एसबीआई ने सीबीआई के पास शिकायत दर्ज कराई।
सुरजेवाला ने कहा एसबीआई ने नवंबर 2018 में सीबीआई को लिखा था, ‘‘एबीजी शिपयार्ड द्वारा धोखाधड़ी की गई और प्राथमिकी दर्ज करने और आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई थी। इसके बावजूद कुछ नहीं हुआ और सीबीआई ने फाइल को एसबीआई के पास भेज दिया। जनता के पैसे की ठगी होती रहती है, लेकिन कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं होती है।’’
एसबीआई ने कहा कि ऋण 30 नवंबर, 2013 को एनपीए हो गया। बयान में कहा गया कि कंपनी के परिचालन को पुनर्जीवित करने के लिए कई प्रयास किए गए। मार्च 2014 में सभी उधारदाताओं द्वारा सीडीआर तंत्र के तहत खाते का पुनर्गठन किया गया लेकिन प्रयास नाकाम रहा।
सुरजेवाला ने कहा कि 25 अगस्त 2020 को एसबीआई ने सीबीआई में दूसरी शिकायत दर्ज कराते हुए कहा, ‘‘कृपया एक प्राथमिकी दर्ज करें क्योंकि यह धोखाधड़ी का मामला है। लेकिन सीबीआई तब भी कार्रवाई नहीं करती है। वह डेढ़ साल तक इंतजार करती है। अंत में, अब पांच साल बाद यह प्राथमिकी दर्ज की गई है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ये स्पष्ट तथ्य बैंकिंग प्रणाली के घोर कुप्रबंधन को दर्शाते हैं, बैंकिंग प्रणाली को धोखेबाजों के वश में रखते हैं और बैंक धोखेबाजों के लिए ‘‘लूटो और भगाओ’’ योजना की शुरुआत करते हैं।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मोदी सरकार के पिछले साढ़े सात वर्षों में कुल 5.35 लाख करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आई हैं। इस अवधि के दौरान भारत में बैंकों द्वारा 8.17 लाख करोड़ रुपये को बट्टे खाते में डाला गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘2014 और 2021 के बीच बैंक एनपीए (गैर निष्पादित संपत्तियां) की राशि 21 लाख करोड़ रुपये थी। यह लोगों के पैसे के घोर कुप्रबंधन की स्थिति है, जो बैंकिंग प्रणाली में पड़ा है।’’
उन्होंने दावा किया कि एबीजी शिपयार्ड को गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 2007 में 1.21 लाख वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई थी। सुरजेवाला ने कहा, ‘‘नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने तत्कालीन गुजरात सरकार को 700 रुपये प्रति वर्ग मीटर पर जमीन आवंटित करने के संबंध में एबीजी शिपयार्ड और ऋषि अग्रवाल को अनुचित लाभ देने का दोषी पाया था, जबकि जमीन की कीमत 100 प्रतिशत अधिक यानी 1,400 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी।’’
भाषा आशीष नरेश
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