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Friday, 22 November, 2024
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क्या हुआ मोदी के वादे का, गांधी जयंती पर सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर नहीं लग सका बैन

भारत में 90 लाख टन प्लास्टिक का उपयोग कर लोग फेंक देते हैं. मोदी सरकार सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर 2 अक्टूबर से प्रतिबंध लगाना चाहती थी.

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नई दिल्ली : लाल किले से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगल यूज प्लास्टिक को ‘न’ कहने की बात कही तो उसके बाद दनादन सारे मंत्रालयों और विभागों से लेकर राज्यों तक में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर कदम उठाए जाने लगे. लेकिन अब मोदी सरकार ने इस मामले में अपने पैर दो कदम पीछे खींच लिए हैं. सरकार के पास सिंगल यूज़ प्लास्टिक प्रतिबंध को लेकर कोई नीति तैयार नहीं है. प्लास्टिक बैन को लेकर केंद्र किसी भी तरह की जल्दबाज़ी में नहीं है.

बढ़ती बेरोज़गारी और आर्थिक मंदी से बौखलाई सरकार अब देशवासियों से आह्वान कर रही है कि वह खुद आगे आएं और प्लास्टिक के पर्यावरण पर रहे प्रकोप से खुद को बचाएं और देश को भी बचाएं. अगर सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर सरकार प्रतिबंध लगाने का फैसला लेती तो 10 हज़ार उद्योग बंद होते और करीब पांच लाख से अधिक लोग बेरोज़गार हो जाते.

बैन लगा तो 10 हजार उद्योग बंद होंगे, 5 लाख लोगों के रोजगार पर संकट

द ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हितेन भेडा ने दिप्रिंट से कहा कि ‘देश में अभी फिलहाल 50 हज़ार से अधिक प्लास्टिक मैन्युफैक्चरिंग औद्योगिक इकाईयां हैं. इस उद्योग में 40 से 50 लाख लोगों को रोज़गार मिल रहा है. अगर सरकार सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाती है तो 10 हज़ार उद्योग बंद होने की कगार पर होंगे. वहीं इससे चार से पांच लाख लोगों के रोज़गार पर संकट पैदा हो जाएगा.’

भेडा ने कहा कि ‘एक नीति नहीं होने की बात कहीं न कहीं सरकार के कानों तक पहुंची है जो कुछ भी करना है सोच समझकर करना है. सिंगल यूज़ प्लास्टिक क्या है यह अभी तक सरकार को भी नहीं पता है.’

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने के अनुरोध पर दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘बोर्ड के अधिकारियों ने कई स्तर पर प्लास्टिक से जुड़े क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाएं, बड़े उद्योगों के प्रतिनिधि और प्लास्टिक इंडस्ट्री के लोगों के साथ बैठकें की. इसमें सभी लोगों के सुझाव भी मांगे गए हैं. व्यापक स्तर पर लागू करने को लेकर सभी विशेषज्ञों के साथ एक नीति पर चर्चा चल रही है. सभी को ध्यान में रखकर ही कुछ निर्णय होंगे. फिलहाल सरकार लोगों से अनुरोध ही करेगी कि वह सिंगल यूज़ प्लास्टिक का कम प्रयोग करे.’

सरकार के पास सिंगल यूज़ प्लास्टिक की कोई परिभाषा ही नहीं

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की स्वाति सिंह साम्याल ने दिप्रिंट से कहा कि ‘अभी तक यह तो देखने में नहीं आ रहा है कि प्लास्टिक से जुड़े किसी आइटम को सरकार बैन कर रही है. फिलहाल तो सरकार केवल इसका प्रयोग नहीं करने को लेकर लोगों से कह रही है. बैन को लेकर सरकार ने अभी तक कोई ग्राउंड वर्क ही नहीं किया है.’

स्वाति का कहना है कि ‘अभी सरकार या किसी के पास भी सिंगल यूज़ प्लास्टिक की कोई परिभाषा हीं नहीं है. हमारे पास कोई गाइडलाइन नहीं हैं और कैसे खत्म होगा इसे लेकर कोई प्लान भी नहीं है.’


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स्वाति का मानना है कि ‘प्लास्टिक बैन को लेकर यह तीन चीजें बेहद अहम हैं. सरकार को पहले यह सूची तैयार करनी होगी कि ऐसे कौन से आइटम हैं जो रिसायकल नहीं हो पा रहे हैं. उनको लिस्ट कर यह देखना होगा कि इनमें कौन सी ऐसे आइटम हैं जिनके हमारे पास ऑल्टरनेटिव मौजूद है. अगर मौजूद है तो उस पर तत्काल रोक लगाई जाए. अगर नहीं तो फिर इंडस्ट्री को ट्रांजीशन का समय देना चाहिए. सरकार को इन सभी बातों पर कुछ माह काम करना चाहिए. इसके बाद सरकार को फिर कोई प्लान लाना चाहिए.’

स्वाति ने बताया कि कुल 16 लाख लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्लास्टिक क्षेत्र से जुड़े हैं. ‘इसमें संगठित क्षेत्र में 3500 यूनिट काम कर रही हैं और 4 हज़ार यूनिट असंगठित हैं. यह बहुत बड़ा सेक्टर है, इसलिए सरकार जो भी फैसला ले उसे देखना होगा कि इससे इन पर क्या प्रभाव पड़ेगा. इससे जुड़े लोग अगर बेरोज़गार होते हैं तो उनके लिए क्या विकल्प होंगे. यह सब ध्यान में रखकर कोई फैसला लेना चाहिए.’

भारत में रोज़ निकल रहा है 25 हज़ार मीट्रिक टन प्लास्टिक

इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम और ईवाय नामक संस्था की ताज़ा रिपोर्ट पर नज़र डालें तो भारत में 90 लाख टन प्लास्टिक का उपयोग होता है जिसे इस्तेमाल के बाद फेंक दिया जाता है. जिसमें गुटखे के पाउच, पन्नी, छोटी बोतलें, स्ट्रा, गिलास और कटलरी के कई छोटे सामान शामिल हैं. और ये वो प्लास्टिक हैं जिसका दोबारा रिसाइक्लिंग के बाद इस्तेमाल नहीं होता और प्लास्टिक प्रदूषण का बड़ा कारण है.


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एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ते ई-कॉमर्स और संगठित रिटेल उद्योग के कारण लगातार प्लास्टिक की मांग बढ़ रही है. यहां हर सामान प्लास्टिक पैकेजिंग में बिकता है. इसके अलावा प्लास्टिक की बढ़ती खपत का बड़ा कारण भारत में लोगों की लाइफ स्टाइल बदलने, आय में बढ़ोत्तरी और बढ़ती जनसंख्या है. वहीं ग्रामीण भारत में टीवी और अन्य माध्यम बढ़ने के कारण प्लास्टिक के साथ साथ पैकेजिंग उद्योगों की मांग लगातार बढ़ रही है.

रिपोर्ट पर नज़र डालें तो एफएमसीजी सेक्टर प्लास्टिक उपयोग बढ़ाने वाला क्षेत्र निकलकर सामने आया है. इसके अलावा वित्त वर्ष 2019—20 भारत में पैकेजिंग इंडस्ट्री के 5.15 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है.

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देश की अर्थव्यवस्था में प्लास्टिक का प्रतिशत में उपयोग.

देश में सबसे ज़्यादा 35 प्रतिशत पैकेजिंग, इसके बाद निर्माण और बिल्डिंग के क्षेत्र में 23, ट्रांसपोर्ट में 8, इलेक्ट्रॉनिक्स में 8, कृषि में 7 और अन्य क्षेत्रों में 19 प्रतिशत प्लास्टिक का उपयोग होता है.

इसके अलावा भारत में रोज़ 25 हज़ार मीट्रिक टन से ज़्यादा प्लास्टिक कचरा निकल रहा है. इसमें से 94 प्रतिशत हिस्सा इस तरह के प्लास्टिक का होता है जो आसानी से रीसाइकिल हो सकता है. लेकिन 40 प्रतिशत नालियों को जाम करता है. वहीं नदियों को प्रदूषित करता है.

प्लास्टिक पर कैसे रोक लगाएंगे अभी तक कोई प्लान नहीं

वेस्ट मैनेजमेंट क्षेत्र में काम करने वाले साहस एनजीओ की सीईओ दिव्या तिवारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक प्रतिबंध को लेकर सितंबर में हमारी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ बैठक हुई थी. इसमें स्ट्रा, डिस्पोज़ेबल कटलरी, गुब्बारों में प्रयोग होने वाले प्लास्टिक स्टिक्स, सिगरेट बट्स, थर्माकोल, 200 एमएल वाली छोटी बोतलें, डिस्पोज़ेबल कटलरी, रैपिंग फिल्म्स, पतली थैलियां और सड़क पर लगने वाले बैनर पर बैन करने की सिफारिश हुई थी. लेकिन सरकार ने इसे खत्म करने के लिए क्या खाका तैयार किया है. वह अभी तक निकल कर सामने नहीं आया है.’

हमारी मांग है कि ‘सरकार प्लास्टिक बैन को लेकर एक नीति लेकर आए फिर उसे चरण दर चरण लागू करे. इससे इंडस्ट्री को भी समझने में मदद मिलेगी और वह उसे स्वीकार भी कर सकेगी. आज प्लास्टिक समस्या ज़रूर है लेकिन हमें या सरकार को कुछ न कुछ कदम ज़रूर उठाने पड़ेंगे.’


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दिव्या का कहना है कि ‘अगर सरकार पूरी तरह से सिंगल यूज प्लाास्टिक को बंद करने का फैसला लेती है तो दो तरह से लोगों के रोज़गार पर असर पड़ेगा. एक वह जो इस तरह की चीजों को बना रहे हैं, दूसरे वे जो इसको मार्केट में लोगों को बेच रहे हैं. सरकार की यह अप्रोच ठीक है कि वह छोटे आइटम को बंद करने की घोषण कर रही है, लेकिन इसका रोज़गार के क्षेत्र में उतना असर नहीं पडे़गा जितना पड़ना चाहिए. लेकिन सरकार अगर पीइटी बॉटल को बैन करती है तो रोज़गार पर बहुत ज़्यादा असर देखने को मिलेगा.’

यह कहा था पीएम मोदी

73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पीएम मोदी ने भारत को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने की बात कही थी. इस दौरान पीएम ने देश के लोगों और दुकानदारों—व्यापारियों से भी अपील की थी कि वे प्लास्टिक का इस्तेमाल करना बंद करें. पीएम ने कहा था कि देश को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने का अभियान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती से एक साथ पूरे देश में शुरू किया जाएगा. पीएम की इस घोषणा के बाद रेलवे, एयर इंडिया समेत कई जगह सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर रोक लगाई गई है. पर पूर्ण बैन के अंदेशे से प्लास्टिक उद्योग में खलबली मच गई थी. और विश्लेषकों का मत था कि ये फैसला बड़ा है और हज़ारों की आजीविका इस से जुड़ी है. इसलिए प्रतिबंध जैसे बड़े फैसले के पहले इस प्लास्टिक के विकल्प और इससे जुड़े कर्मियों के भविष्य के साथ-साथ पर्यावरण सभी पर विचार किया जाना चाहिए.

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