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Sunday, 22 December, 2024
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मन की बात में बोले पीएम मोदी- भारतीय खिलौने और इंडियन ब्रीड्स के डॉग में भारत बने आत्मनिर्भर

पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'कोरोना के इस कालखंड में देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है. लेकिन इसके साथ-साथ, कई बार मन में ये भी सवाल आता रहा कि इतने लम्बे समय तक घरों में रहने के कारण, मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित किया. पीएम ने देशवासियों से भारत में ही खिलौने का निर्माण करने और कम्यूटर गेम्स बनाने की अपील की है.

पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘कोरोना के इस कालखंड में देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ, कई बार मन में ये भी सवाल आता रहा कि इतने लम्बे समय तक घरों में रहने के कारण, मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा और इसी से मैंने गांधीनगर की चिल्ड्रन यूनिवर्सिटी जो दुनिया में एक अलग तरह का प्रयोग है, भारत सरकार के महिला बाल विकास, शिक्षा मंत्रालय और एमएसएमई मंत्रालय इन सभी के साथ मिलकर, हम बच्चों के लिये क्या कर सकते हैं, इस पर मंथन किया, चिंतन किया.

हमारे चिंतन का विषय था खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने. हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए खिलौने कैसे मिलें. भारत टॉय प्रोडक्शन का बहुत बड़ा हब कैसे बने. खिलौने जहां एक्टिविटी को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं. खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं.’

लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने का समय

उन्होंने आगे कहा, ‘बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है, इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है. खेल-खेल में सीखना, खिलौने बनाना सीखना, खिलौने जहां बनते हैं वहां की विजिट करना, इन सबको पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है. हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है. कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं.

भारत के कुछ क्षेत्र टॉय क्लस्टर यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं. जैसे, कर्नाटक के रामनगरम में चन्नापटना, आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली, तमिलनाडु में तंजौर, असम में धुबरी, उत्तर प्रदेश का वाराणसी कई ऐसे स्थान हैं. जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परम्परा हो, विविधता हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी, हमें, अच्छा लगेगा क्या? जी नहीं, ये सुनने के बाद आपकों भी अच्छा नहीं लगेगा.

टॉय क्लस्टर बहुत व्यापक है. गृह उद्योग हो, छोटे और लघु उद्योग हो, एमएसएमई हो, इसके साथ-साथ बड़े उद्योग और निजी उद्यमी भी इसके दायरे में आते हैं. इसे आगे बढ़ाने के लिए देश को मिलकर मेहनत करनी होगी. अब सभी के लिये लोकल खिलौनों के लिये वोकल होने का समय है.आइए, हम अपने युवाओं के लिये कुछ नए प्रकार के, अच्छी क्वालिटी वाले, खिलौने बनाते हैं.खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी. हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों.’


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पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में कहा,’ हमारे देश में इतने आइडियाज हैं, इतने कोन्सेप्ट,  बहुत समृद्ध हमारा इतिहास रहा है.क्या हम उन पर गेम्स बना सकते हैं ? मैं देश के युवा टेलैंट से कहता हूं. आप, भारत में भी गेम्स बनाइये और भारत के भी गेम्स बनाइये. कहा भी जाता है – लेट द गेम्स बिगिन! तो चलो, खेल शुरू करते हैं.

इंडियन ब्रीड्स के डॉग को घर लाएं

मन की बात में पीएम मोदी ने सुरक्षाबलों के दो जांबाज किरदारों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ये हैं सोफी और विदा. दोनों भारतीय सेना के शान हैं. इन सिक्यॉरिटी डॉग्स को ‘चीफ ऑफ आर्मी स्‍टाफ कमेंडेशन कार्ड्स’ से सम्मानित किया गया है.

पीएम ने कहा, ‘मुझे यह बताया गया कि भारतीय ब्रीड के डॉग्‍स भी बहुत अच्छे होते हैं, बहुत सक्षम होते हैं. इंडियन ब्रीड्स में मुधोल हाउंड हैं, हिमाचली हाउंड है, ये बहुत ही अच्छी नस्लें हैं. राजापलायम, कन्नी, चिप्पीपराई, और कोम्बाई भी बहुत शानदार इंडियन ब्रीड्स हैं. उन्‍होंने लोगों से अपील करते हुए कहा, ‘अगली बार, जब भी आप, डॉग पालने की सोचें, आप जरुर इनमें से ही किसी इंडियन ब्रीड्स के डॉग को घर लाएं.’

पोषण माह पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, पोषण माह के दौरान MyGov portal पर एक फ़ूड और न्‍यूट्रिशन क्विज भी आयोजित की जाएगी, और साथ ही एक मीम प्रतियोगिता भी होगी. आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है.

किसानों की शक्ति से हमारा जीवन चलता है

पीएम ने अपने मन की बात में कहा, ‘आमतौर पर ये समय उत्सव का होता है, जगह-जगह मेले लगते हैं, धार्मिक पूजा-पाठ होते हैं. कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग तो है, उत्साह भी है, लेकिन हम सबको मन को छू जाए, वैसा अनुशासन भी है. बहुत एक रूप में देखा जाए तो नागरिकों में दायित्व का एहसास भी है. लोग अपना ध्यान रखते हुए, दूसरों का ध्यान रखते हुए, अपने रोजमर्रा के काम भी कर रहे हैं. देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है, वो अभूतपूर्व है. गणेशोत्सव भी कहीं ऑनलाइन मनाया जा रहा है, तो, ज्यादातर जगहों पर इस बार इको फ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है.’

पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम बहुत बारीकी से अगर देखेंगे, तो एक बात अवश्य हमारे ध्यान में आयेगी हमारे पर्व और पर्यावरण. इन दोनों के बीच एक बहुत गहरा नाता रहा है. बिहार के पश्चिमी चंपारण में, सदियों से थारु आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लाकडाउन या उनके ही शब्दों में कहें तो ’60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं. प्रकृति की रक्षा के लिये बरना को थारु समाज ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और सदियों से बनाया है.’

पीएम ने आगे कहा, ‘किसानों की शक्ति से ही तो हमारा जीवन, हमारा समाज चलता है. हमारे पर्व किसानों के परिश्रम से ही रंग-बिरंगे बनते हैं.अन्नानां पतये नमः, क्षेत्राणाम पतये नमः अर्थात, अन्नदाता को नमन है, किसान को नमन है.हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा हुई है. मैं, इसके लिए देश के किसानों को बधाई देता हूं, उनके परिश्रम को नमन करता हूं.’

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