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Saturday, 4 May, 2024
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मोदी-बाइडन करेंगे साइंस के क्षेत्र में साझेदारी, पृथ्वी को एस्टेरॉयड से बचाने के लिए बनाएंगे ज्वाइंट स्पेस क्रू

दोनों नेताओं ने रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने में प्रौद्योगिकी की निर्णायक भूमिका की पुष्टि की और भारत-अमेरिका के माध्यम से चल रहे महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी पर पहल की सराहना की.

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नई दिल्ली: भारत और अमेरिका पृथ्वी और अंतरिक्ष की संपत्तियों को क्षुद्रग्रहों यानि एस्टेरॉयड्स और पृथ्वी के निकट के ऑब्जेक्ट्स के खतरनाक प्रभाव से बचाने के लिए ग्रह की रक्षा पर समन्वय में सुधार करने पर काम करेंगे, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए संयुक्त चालक दल मिशन की योजना बनायेंगे. चल रहे G20 शिखर सम्मेलन से पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच शुक्रवार को नई दिल्ली में द्विपक्षीय वार्ता होने के तुरंत बाद दोनों देशों द्वारा एक संयुक्त बयान में इस बात की जानकारी दी गई.

वीकेंड में भारत की अध्यक्षता में आयोजित होने वाले दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बाइडेन शुक्रवार को भारत पहुंचे.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के साथ-साथ भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण पर पीएम मोदी और इसरो के वैज्ञानिकों और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के इंजीनियरों को बधाई दी.

बयान में कहा गया है कि जहां भारत और अमेरिका मौजूदा भारत-अमेरिका सिविल स्पेस ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप के तहत कॉमर्शियल स्पेस कोलैबोरेशन के लिए एक वर्किंग ग्रुप स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, इसरो और नासा ने 2024 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त प्रयास बढ़ाने के लिए तौर-तरीकों, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण पर चर्चा शुरू कर दी है, और अंत तक मानव अंतरिक्ष उड़ान सहयोग के लिए 2023 के अंत तक एक रणनीतिक ढांचे को अंतिम रूप देने के प्रयास जारी रखे हुए हैं.

बयान में कहा गया है, “भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका पृथ्वी और अंतरिक्ष की संपत्तियों को क्षुद्रग्रहों और पृथ्वी के निकट के ऑब्जेक्ट्स के प्रभाव से बचाने के लिए प्लैनेटरी डिफेंस पर समन्वय बढ़ाने का इरादा रखते हैं, जिसमें माइनर प्लैनेट सेंटर के माध्यम से क्षुद्रग्रह का पता लगाने और ट्रैकिंग में भारत की भागीदारी के लिए अमेरिकी समर्थन भी शामिल है.”

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माइनर प्लैनेट सेंटर धूमकेतुओं और प्राकृतिक उपग्रहों जैसे छोटे ग्रहों के ऑब्जर्वेशन और रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेदार आधिकारिक निकाय है. 1947 में स्थापित, यह अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अंतर्गत स्मिथसोनियन एस्ट्रोफिजिकल वेधशाला में संचालित होता है.

2022 में नासा ने एक क्षुद्रग्रह को अपने रास्ते से हटाने की अपनी क्षमता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया था.

इससे पहले 2019 में, भारत ने उपग्रहों को नष्ट करने के लिए एक एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण का प्रदर्शन किया था, जिसे ASAT के नाम से जाना जाता है.

जून में मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान, भारत और अमेरिका ने दोनों देशों के सेमीकंडक्टर प्रोत्साहन कार्यक्रमों के समन्वय में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में सेमीकंडक्टर इन्सेन्टिव प्रोग्राम और इनोवेशन को-ऑर्डिनेशन पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे.

नेताओं ने शुक्रवार को लचीली ग्लोबल सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन के निर्माण के लिए अपने समर्थन की बात दोहराई, इस संबंध में माइक्रोचिप टेक्नॉलजी इंक की एक बहु-वर्षीय पहल, भारत में अपने अनुसंधान और विकास के लिए लगभग 300 मिलियन डॉलर का निवेश करने और भारत में अगले पांच सालों में एडवांस्ड माइक्रो डिवाइस के अनुसंधान, विकास व इंजीनियरिंग ऑपरेशन्स को बढ़ाने के लिए $400 मिलियन के निवेश की घोषणा की.

मोदी और बाइडेन ने सेमीकंडक्टर रिसर्च, अगली पीढ़ी की संचार प्रणालियों, साइबर-सुरक्षा, स्थिरता और ग्रीन टेक्नॉलजी और इंटलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में शैक्षणिक और औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (एनएसएफ) और भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी प्रस्तावों के आह्वान का भी स्वागत किया.

दोनों नेताओं ने हमारी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने में प्रौद्योगिकी की निर्णायक भूमिका की पुष्टि की और भारत-अमेरिका के माध्यम से आपसी विश्वास और भरोसे पर आधारित खुली, सुलभ, सुरक्षित और लचीली प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र और वैल्यू चेन बनाने के लिए क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) पर पहल की तारीफा की.

अमेरिका और भारत 2024 की शुरुआत में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के सह-नेतृत्व में अगली वार्षिक iCET समीक्षा की दिशा में गति बनाए रखने के लिए इस महीने iCET की मध्यावधि समीक्षा करने का इरादा रखते हैं.


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अन्य सहयोग

उद्योग, शिक्षा जगत और सरकार के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत-अमेरिका क्वांटम को-ऑर्डिनेशन मेकैनिज़म जून में शुरू हुआ था, और बाइडेन ने क्वांटम इकोनॉमिक डेवलेपमेंट कन्सॉर्टियम के सदस्य के रूप में एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता, की भागीदारी को स्वीकारा था. बयान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के शिकागो क्वांटम एक्सचेंज में एक अंतरराष्ट्रीय भागीदार के रूप में शामिल होने का भी उल्लेख किया गया है.

मोदी और बाइडेन ने जैव प्रौद्योगिकी और जैव विनिर्माण इनोवेशन में वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान सहयोग को सक्षम करने के लिए एनएसएफ और भारत के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के बीच एक कार्यान्वयन व्यवस्था पर हस्ताक्षर करने की सराहना की.

दोनों नेताओं ने यह भी पुष्टि की कि दोनों देश भारतीय और अमेरिकी उद्योग, सरकार और शैक्षणिक संस्थानों के बीच अधिक प्रौद्योगिकी साझाकरण, सह-विकास और सह-उत्पादन के अवसरों को सुविधाजनक बनाने के लिए नीतियों को बढ़ावा देंगे.

उन्होंने शुरुआती 10 मिलियन डॉलर की राशि वाली इंडिया-यूएस ग्लोबल चैलेंज इन्स्टीट्यूट की स्थापना के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान परिषद (आईआईटी काउंसिल) के प्रतिनिधित्व वाली भारतीय यूनिवर्सिटीज़ और एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन यूनिवर्सिटीज (एएयू) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का भी स्वागत किया.

ग्लोबल चैलेंजेज़ इन्स्टीट्यूट एएयू और आईआईटी की सदस्यता सहित हमारे दोनों देशों के अग्रणी अनुसंधान और उच्च-शिक्षा संस्थानों को एक साथ लाएगा, जिससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नई सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए, स्थायी ऊर्जा और कृषि, स्वास्थ्य और महामारी के लिए तैयारी, सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी और विनिर्माण, उन्नत सामग्री, दूरसंचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्वांटम विज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छूने में मदद मिलेगी.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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