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Monday, 15 December, 2025
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सीओपी 27 में न्यूनीकरण, जलवायु वित्त पर न्यूनतम प्रगति : विशेषज्ञ

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(गौरव सैनी)

नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा) विशेषज्ञों का कहना है कि मिस्र में सीओपी27 में ग्लोबल वार्मिंग के कारणों, विशेष रूप से जीवाश्म ईंधन के मुद्दे को दूर करने के लिए न्यूनतम प्रयास किया गया, हालांकि इसमें जलवायु परिवर्तन संबंधी आपदाओं से होने वाली हानि और क्षति से निपटने के लिए उम्मीद से बेहतर परिणाम आए।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘हानि और क्षति के लिए एक कोष आवश्यक है – लेकिन यदि जलवायु संकट किसी छोटे द्वीप देश को नक्शे से मिटा देता है – या किसी पूरे अफ्रीकी देश को रेगिस्तान में बदल देता है तो यह कोई जवाब नहीं है। दुनिया को अभी भी जलवायु महत्वाकांक्षा पर एक बड़ी छलांग लगाने की आवश्यकता है।’’

अनेक लोगों को उम्मीद थी कि समझौते में भारत द्वारा प्रस्तावित और यूरोपीय संघ तथा अमेरिका सहित कई विकसित और विकासशील देशों द्वारा समर्थित वह बात भी शामिल होगी जिसमें न केवल कोयला, बल्कि सभी जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल चरणबद्ध तरीके से बंद करने का सुझाव दिया गया था लेकिन स्कॉटलैंड में आयोजित सीओपी26 में इस प्रस्ताव पर बनी सहमति पर सीओपी27 में आगे नहीं बढ़ा जा सका।

कई विकसित देशों ने समझौते पर खेद व्यक्त किया, लेकिन हस्तक्षेप नहीं करने का फैसला किया क्योंकि इससे हानि एवं क्षति संबंधी वित्तपोषण समझौता खतरे में पड़ जाता जिसकी गरीब और कमजोर राष्ट्र लंबे समय से मांग कर रहे थे।

जलवायु परिवर्तन से संबंधित थिंक टैंक ई3जी (थर्ड जनरेशन एन्वायरन्मेंटलिज्म) के सीनियर एसोसिएट एल्डन मेयर ने कहा, ‘हानि और क्षति का समाधान करने के लिए सीओपी27 में एक बड़ा कदम उठाया गया, लेकिन न्यूनीकरण (उत्सर्जन कम करने) की महत्वाकांक्षा और जलवायु वित्त को बढ़ाने पर प्रगति न्यूनतम रही।’

विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि सीओपी26 की तुलना में, इस वर्ष के शिखर सम्मेलन (सीओपी27) में नवीकरणीय ऊर्जा पर अधिक मजबूत भाषा दी गई और ऊर्जा परिवर्तन लाने के दौरान उचित परिवर्तन सिद्धांतों को शामिल किया गया है।

क्लाइमेट प्रोग्राम, वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट की निदेशक उल्का केल्कर ने कहा कि सीओपी27 का एक और संदेश बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार करना है ताकि विकासशील देशों को कर्ज में डूबे बिना अधिक जलवायु वित्त प्रदान किया जा सके।

क्लाइमेट पॉलिसी लीड, क्लाइमेट ट्रेंड्स के श्रीशन वेंकटेश ने कहा, ‘सीओपी का एक चिंताजनक पहलू इक्विटी और सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों तथा संबंधित क्षमताओं के सिद्धांतों का व्यापक रूप से कमजोर होना है, जो भारत जैसे देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।’

भाषा

नेत्रपाल मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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