ब्रह्मपुर (ओडिशा), 30 अगस्त (भाषा) ओडिशा के 19 वर्षीय एक छात्र का डॉक्टर बनने का सपना साकार हो गया, जो अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए बेंगलुरु में एक श्रमिक के तौर पर कार्यरत था। शुभम सबर ने नीट स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है और यहां एक कॉलेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त कर लिया है।
खुर्दा जिले के बानपुर खंड अंतर्गत मुदुलिधिया गांव के एक गरीब परिवार से संबंध रखने वाले सबर को उस समय बहुत प्रसन्नता हुई जब उसके शिक्षक बासुदेव मोहराणा का फोन आया कि उसने एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है।
अनुसूचित जनजाति वर्ग में सबर की रैंक 18,212 थी और उन्हें यहां एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दाखिला मिला।
सबर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हाल ही में, बेंगलुरु में एक निर्माण स्थल पर काम करते समय, मेरे शिक्षक का फोन आया और उन्होंने मुझे मिठाई बांटने के लिए कहा। मैं हैरान रह गया और उनसे कारण पूछा। उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझे बताया कि मैंने नीट परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। यह मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा था। मैं अपने आंसू नहीं रोक सका और अगले दिन उस ठेकेदार की अनुमति से घर लौट आया जिसने मुझे इस काम पर लगाया था।’’
छात्र ने अपने तीन महीने के काम के दौरान 45,000 रुपये कमाए, जिनमें से वह 25,000 रुपये बचा सका।
प्रवासी श्रमिक के रूप में बेंगलुरु तक की यात्रा का कारण पूछे जाने पर सबर ने कहा, ‘‘मेरे पास अपने परिवार का समर्थन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पांच सदस्यों वाले एक बेहद गरीब परिवार से हूं। जैसे ही नीट परीक्षा खत्म हुई, मैंने अपने परिवार की मदद के लिए कुछ पैसे कमाने का फैसला किया। मैंने एक स्थानीय ठेकेदार से संपर्क किया जिसने मुझे बेंगलुरु भेज दिया। मेरी बचत से मुझे मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिल गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अब डॉक्टर बनने और ओडिशा के लोगों की सेवा करने के अपने सपने को पूरा करने की राह पर हूं।’’
सबर के माता-पिता सहदेव और रंगी ने सरकार से वित्तीय सहायता की उम्मीद जताई ताकि उनका बेटा पांच वर्षीय एमबीबीएस पाठ्यक्रम पूरा कर सके।
भाषा अमित नेत्रपाल
नेत्रपाल
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.