नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को “चॉपर घोटाले” के आरोपी ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन जेम्स मिशेल को जमानत दे दी. अदालत ने कहा कि उन्हें और हिरासत में रखना ट्रायल प्रक्रिया को बेकार बना देगा, क्योंकि वह पहले ही छह साल दो महीने से जेल में हैं, जबकि जिस अपराध के लिए उन पर आरोप है, उसकी अधिकतम सजा सात साल है.
मंगलवार का यह जमानती आदेश अगस्तावेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीदने के सौदे में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिया गया.
जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने इस मामले को “असाधारण” करार दिया, क्योंकि मिशेल छह साल से अधिक समय से जेल में हैं और जांच “अधूरी” होने के कारण ट्रायल शुरू नहीं हो सका.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी को सीबीआई द्वारा जांच किए जा रहे मुख्य मामले में मिशेल को इसी आधार पर जमानत दी थी कि वह लंबे समय से जेल में हैं और केस अब तक ट्रायल की प्रारंभिक अवस्था तक भी नहीं पहुंचा है.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच किया जा रहा मनी लॉन्ड्रिंग मामला सीबीआई द्वारा मार्च 2013 में दर्ज किए गए उस केस से जुड़ा है, जिसे रक्षा मंत्रालय के अनुरोध पर दर्ज किया गया था. इसमें कई वरिष्ठ रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों और कंपनियों, जिनमें अगस्तावेस्टलैंड भी शामिल है, पर मामला दर्ज किया गया था.
दिल्ली हाई कोर्ट में मिशेल के वकील अल्जो के. जोसेफ ने तर्क दिया कि मिशेल ने मुकदमे की शुरुआत से पहले ही लगभग उतनी सजा काट ली है, जितनी धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत अधिकतम दी जा सकती है.
जस्टिस ने कहा, “पीएमएलए की धारा 4 के तहत अपराध के लिए, जहां अधिकतम सजा सात साल है, सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 436ए के तहत निर्धारित सीमा तीन साल छह महीने होगी… आवेदक छह साल दो महीने से अधिक समय से हिरासत में है—जो अधिकतम सजा के बेहद करीब है—जबकि उसे अब तक दोषी भी नहीं ठहराया गया है.”
“यह बताया गया कि वर्तमान मामले में 100 से अधिक गवाहों से पूछताछ की जानी है और अभियोजन पक्ष द्वारा 1000 से अधिक दस्तावेजों पर भरोसा किया गया है. ऐसे में, जब तक ट्रायल पूरा होगा, तब तक आवेदक सात साल की सजा पूरी कर चुका होगा, जिससे उसकी आगे की हिरासत ट्रायल की पूरी प्रक्रिया को निरर्थक बना देगी,” न्यायाधीश ने जमानत देते हुए आगे कहा.
चॉपर घोटाले की शुरुआत 2011 में हुई थी, जब इटली के अधिकारियों ने फिनमेकानिका (अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल की होल्डिंग कंपनी) के तत्कालीन प्रमुख की ओर से किए गए खुलासों की जांच शुरू की. इन खुलासों में बिचौलियों के माध्यम से रिश्वत दिए जाने की बात सामने आई थी. मिशेल को इस सौदे में कथित रूप से एक बिचौलिए के रूप में बताया गया है.
जैसे-जैसे विदेशी जांच में नए तथ्य सामने आए, भारत के रक्षा मंत्रालय ने फरवरी 2013 में सीबीआई से इस मामले में जांच की मांग की.
सीबीआई ने दिसंबर 2018 में मिशेल को दुबई से भारत प्रत्यर्पित कर हिरासत में लिया था. बाद में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी उन्हें अपनी कस्टडी में लिया और उनके खिलाफ अभियोजन शिकायत दायर की.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ट्रंप रातों-रात सहयोगियों से अलग नहीं हो सकते. अमेरिका की ग्लोबल ऑर्डर में जड़ें काफ़ी मज़बूत हैं