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Saturday, 20 April, 2024
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MHA ने संसद को बताया, पिछले 5 सालों में पुलिस हिरासत में 699 मौतें, 2021-22 में सबसे ज्यादा

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा को जानकारी दी.

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नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (एमएचए) ने राज्यसभा को बताया कि 1 अप्रैल, 2017 से 31 मार्च, 2022 तक पिछले पांच वर्षों में देशभर में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में सदन को जानकारी दी.

राय ने कहा कि 2021-2022 के दौरान पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175 मामले, 2020-2021 में 100, 2019-2021 में 112, 2018-2019 में 136 और 2017-2018 में 146 मामले दर्ज किए गए.

एनएचआरसी द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, राय ने आगे कहा, ‘एनएचआरसी ने 1 अप्रैल, 2017 से 31 मार्च, 2022 की अवधि के दौरान पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में, 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की वित्तीय मदद और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई.’

हालांकि, मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत के संविधान की 7वीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं.

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उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.

हालांकि, राय ने कहा, केंद्र सरकार समय-समय पर सलाह जारी करती है और मानवाधिकार अधिनियम (पीएचआर), 1993 का संरक्षण भी करती है, जो लोक सेवकों द्वारा कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करने के लिए NHRC और राज्य मानवाधिकार आयोग निर्धारित करते हैं.

जब एनएचआरसी को कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायतें मिलती हैं, मंत्री ने कहा, आयोग मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई करता है.

राय ने कहा, ‘एनएचआरसी मानव अधिकारों की बेहतर समझ और विशेष रूप से हिरासत में व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लोक सेवकों को संवेदनशील बनाने के लिए समय-समय पर कार्यशालाओं और सेमिनारों का आयोजन भी करता है.’


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