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Friday, 20 December, 2024
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कोलकाता में दुर्गा पूजा पंडालों के संदेश- मां की मूर्ति में सेक्स वर्कर, इंसाफ का इंतजार करती मां की झलक

कोलकाता के कांकुडग़ाछी पंडाल में एक लाउडस्पीकर से पिछले साल चुनाव बाद हिंसा में अपने बच्चे को गंवा चुकी एक मां की दर्दनाक दास्तान बताई जाती है.

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कोलकाता: सड़कें, गलियां रोशनी से जगमग हैं और ढाक (नगाड़े जैसा वाद्य) बजने की आवाज गूंजने लगी है, उत्सव का आगाज हो चुका है, पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा महोत्सव की धूम है. लेकिन, आप अगर यहां नहीं हैं तो सोचेंगे कि ऐसी क्या बड़ी बात है. यह भी तो भारत में होने वाले दर्जनों जैसा ही एक उत्सव है. पश्चिम बंगाल की दूर्गा पूजा यूनेस्को के अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा पाने वाला एशिया में पहला उत्सव है. पूर्वी भारत के इस सबसे बड़े उत्सव में धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों के अलावा पंडालों की बनावट में सामाजिक, आर्थिक या राजनैतिक संदेश भी होता है.

महामारी के दो साल छोटे स्तर पर उत्सव के बाद इस साल कोलकाता में पूजा का अयोजन बिना किसी पाबंदी के अपने पूरे रौ में हो रहा है. लोग प्रतिमा और पंडाल की कला करीब से देखने के लिए कतार लगाए रहते हैं, दिप्रिंट आपके लिए कोलकाता और उसके आसपास के अनोखे पंडालों की एक झलक ले आया है.

कोलकाता के बाहरी इलाके में नवापाड़ा दादाभाई संघ (पूजा आयोजक) ने मां दुर्गा को यौनकर्मी की तरह पेश करने का गजब का साहस दिखाया है. यह देश का पहला पूजा आयोजन है, जिसमें प्रतिमा बनाने में सिलिकन का प्रयोग किया गया है.

मुख्य पूजा आयोजक अंजन पाल ने दिप्रिंट से कहा, ‘इस साल की थीम परिचय है. हम यौनकर्मियों के बारे में लोगों के नजरिए में बदलाव लाना चाहते थे. उनकी भी अपनी पहचान है. कानूनी लड़ाई तो कुछ हद तक जीती जा सकी है, लेकिन कलंक अभी लगा हुआ है.’


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कोलकाता के बाहरी इलाके में एक सिलिकॉन दुर्गा को सेक्स वर्कर के रूप में चित्रित किया गया। | फोटो- श्रेयसी डे | दिप्रिंट

वैसे तो आयोजकों ने पूजा-अर्चना और कर्मकांड के लिए देवी की एक अलग प्रतिमा रखी हुई है, पंडाल को किसी जमींदार के बैठकखाने जैसा बनाया गया है, जिसमें झाड़ फानूस लटक रहे हैं, एक तरफ ग्रामोफोन रखा है और मां दुर्गा परंपरागत लाल किनारी वाली साड़ी में अपने बच्चे के साथ खेलती दिखती हैं.

उत्तर कोलकाता से अपने दोस्तों के साथ आईं नंदिनी दत्ता कहती हैं, ‘आज जिस दौर में हम जी रहे हैं, उसमें ऐसा कड़ा संदेश देख आश्चर्य होता है. यही दुर्गा पूजा का सबसे अच्छा पहलू है, समावेश करने की ताकत और विविध विषय.’

कोलकाता के कांकुडग़ाछी में नवापाड़ा दादाभाई संघ की पूजा से करीब दस किमी दूर उत्सव उतना जोरदार नहीं, जैसा पहले हुआ करता था. एक मां को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के बाद अपने बेटे की कथित हत्या के इंसाफ का इंतजार कर रही है. बीजेपी कार्यकर्ता अभिजित सरकार को चुनाव बाद हिंसा में 3 मई 2021 को कथित तौर पर पीटकर मार डाला गया था. उस हिंसा से राज्य हिल उठा था.

2020 में पूजा आयोजन की शुरुआत करने वाले अभिजित अब नहीं हैं, लेकिन रेलवे लाइन के किनारे गलियों में उनकी याद अभी भी जिंदा है, जहां वे रहते थे. बीजेपी नेता सुकांत मजूमदार और शुभेंदु अधिकारी ने यहां की पूजा का इस हफ्ते के शुरू में उद्घाटन किया. यहां लगे एक पोस्टर में लिखा है, ‘हम तुम्हारी मौत को जाया नहीं जाने देंगे. लाउडस्पीकर पर मां की दुखभरी कथाएं सुनाई जाती हैं, जिनके बच्चे कथित चुनाव बाद हिंसा में मारे गए. इन मामलों की जांच अब सीबीआई कर रही है.

कोलकाता में दुर्गा की एक झांकी राज्य में 2021 के चुनाव के बाद की हिंसा को दर्शाती हुई | फोटो- श्रेयशी डे | दिप्रिंट

इस पंडाल में मां दुर्गा एक खून से लथपथ बच्चे को लिए दिखती हैं, जिसके मां-बाप बीजेपी का झंडा लिए मरे पड़े हैं. पौराणिक कथाओं में देवी दुर्गा के हाथों मारे जाने वाला महिषासुर यहां सीना तान के खड़ा दिखता है.

अब पूजा आयोजन की अगुवाई करने वाले अभिजित के भाई बिश्वजीत ने दिप्रिंट से कहा कि यह कोई थीम नहीं, बल्कि राज्य चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद बंगाल में घटी घटनाओं की सच्ची तस्वीर है. ‘जिस जगह मां दुर्गा खड़ी हैं और उनके पैरों के पास मरे लोग पड़े हैं, ठीक उसी जगह मेरे भाई को बड़े निर्मम तरीके से मारा गया. कई मांओं का बेटा चला गया, कई स्त्रियों के साथ बलात्कार हुआ और इसी वजह से हम इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं, हम चाहते हैं कि लोग जानें कि बंगाल में विपक्षी पार्टियों का कैसे दमन होता है.’

दुर्गा पूजा के इस सालाना उत्सव को देखने दूर और पास के लाखों लोग आते हैं. बुजुर्ग, बच्चे, धनी, गरीब, सभी एक साथ देवी शक्ति की उपासना करने उमड़ते हैं. समूचा शहर भक्ति, संस्कृति और हंसी-खुशी के रंग में डूब जाता है. जब कोई भीड़ को चीरकर सटीक सेल्फी लेने की कोशिश करता है तो जैसे बिजली की लहर दौड़ पड़ती है. बच्चे अपने मां-बाप की उंगलियां पकड़े सड़क किनारे दोनों तरफ खड़े गुब्बारे, आइसक्रीम, खिलौने के खोमचों की ओर आंखें जमाए रहते हैं.

ट्रैफिक और लोगों की भीड़ को कंट्रोल करने में पुलिसनवालों के पसीने छूटते हैं. फिर भी, हर चेहरे पर मुस्कराहट होती है. लेकिन कुछ लोगों के लिए, सामाजिक वर्जनाएं अभी दूर नहीं हो पाई हैं. ईस्टर्न मेट्रोपॉलिटन बाईपास के बगल में ट्रांसजेंडरों के लिए सरकारी आश्रय गरिमा गृह है. यहां मां की पूजा ‘अद्र्धनारीश्वर’ (आधा पुरुष, आधा स्त्री) के रूप में होती है. शक्ति का यह अनोखा रूप शायद और कहीं नहीं मिलता. गोखले रोड बंधन एनजीओ की संस्थापक तथा खुद ट्रांसजेंडर रंजीता सिन्हा ने पूजा के दौरान अपने अपमान का बयान का वर्णन करती हैं. ‘मैं जन्मा लड़का था मगर मेरे भीतर की लड़की काफी मजबूत थी. अगर हम स्त्रियों की पूजा कर सकते हैं, तो हम ट्रांसवुमन की पूजा क्यों नहीं कर सकते? हमने यह पूजा समावेशी संदेश देने के लिए शुरू किया. हम सभी मनुष्य हैं, और हम सभी उत्सव मनाते हैं.’

गोखले रोड बंधन के सदस्य ‘अर्धनारेश्वर’ देवता का जश्न मनाते हुए। थीम: ट्रांसजेंडर समावेशिता | फोटो- श्रेयशी डे | दिप्रिंट

ऑस्ट्रेलिया के काउंसल जनरल रोवान ऐंसवर्थ ने इस पूजा का उद्घाटन किया और ट्विटर पर लिखा, ‘हमारा जुड़ाव पिछले साल मजबूत हुआ, मुझे गोखले रोड बंधन द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा के उद्घाटन के फिर बुलाए जाने पर खुशी हुई.’

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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