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Thursday, 28 November, 2024
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महबूबा ने अजमेर दरगाह के खिलाफ राजस्थान की अदालत में दायर याचिका की निंदा की

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श्रीनगर, 28 नवंबर (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बृहस्पतिवार को राजस्थान की एक अदालत में दायर उस याचिका की आलोचना की जिसमें दावा किया गया है कि अजमेर दरगाह एक हिंदू मंदिर के ऊपर बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि मस्जिदों और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने से और अधिक रक्तपात हो सकता है।

उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत के एक पूर्व प्रधान न्यायाधीश की बदौलत भानुमती का पिटारा खुल गया है, जिससे अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों के बारे में विवादास्पद बहस शुरू हो गई है। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बावजूद कि यथास्थिति 1947 जैसी ही बनी रहनी चाहिए, उनके फैसले ने इन स्थलों के सर्वेक्षण का मार्ग प्रशस्त कर दिया, जिससे हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है।’’

वह परोक्ष रूप से तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के उस आदेश का जिक्र कर रही थीं जिसमें एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) को ज्ञानवापी मस्जिद का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि 17वीं सदी की यह संरचना पहले से मौजूद मंदिर पर बनी थी या नहीं।

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश के संभल में हाल की हिंसा इस फैसले का प्रत्यक्ष परिणाम है।

संभल में हिंसा भड़क उठी थी जहां अदालत के आदेश पर जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था, क्योंकि दावा किया गया था कि उस स्थान पर पहले हरिहर मंदिर था।

उन्होंने कहा, ‘‘पहले मस्जिदों और अब अजमेर शरीफ जैसे धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है, जिससे आगे और अधिक रक्तपात हो सकता है। सवाल यह है कि विभाजन के दिनों की याद दिलाने वाली इस सांप्रदायिक हिंसा की जिम्मेदारी कौन लेगा?’’

पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने भी इस याचिका पर कड़ी असहमति जताई। लोन ने एक बयान में कहा, ‘‘एक और चौंकाने वाली बात… माना जा रहा है कि यह अजमेर दरगाह शरीफ में कहीं छिपा हुआ है।’’

उन्होंने कहा कि 2025 के करीब आते ही, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) युग की शुरुआत का प्रतीक है, समाज ने अफसोसजनक रूप से पीछे जाने का रास्ता चुना है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीयों के रूप में, हमें ईमानदारी से मानना चाहिए-हमने किसी भी तकनीकी क्रांति में योगदान नहीं दिया है। हां, हमारे पास उन्हें खरीदकर उपयोग करने के लिए संसाधन हैं, लेकिन वैज्ञानिक नवाचार? नहीं। कोई नहीं। दूर-दूर तक नहीं।’’

लोन ने चिंता जताई कि राष्ट्र का ध्यान पूरी तरह से छिपे हुए मंदिरों को उजागर करने के जुनून में लगा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘और इसमें कोई संदेह नहीं है कि जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा इसकी सराहना कर रहा है।’’

लोन ने कहा, ‘‘जो लोग जितने अधिक शिक्षित होते हैं, वे उतने ही अधिक मंदिर खोजते हैं। वे शिक्षित लोग, जिन्हें भारतीय तकनीकी क्रांति की शुरुआत करने में सबसे आगे होना चाहिए था, वे मिथक गढ़ने में व्यस्त हैं।’’

भाषा शुभम आशीष

आशीष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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