शिलांग: नागालैंड के मोन जिले में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में असैन्य नागरिकों के मारे जाने की घटना के बीच मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने सोमवार को कहा कि ‘सशस्त्र बल (विशेष शक्ति) अधिनियम, 1958’ निरस्त किया जाना चाहिए.
नागरिक समूह, मानवाधिकार कार्यकर्ता और पूर्वोत्तर क्षेत्र के नेता सालों से इस ‘कठोर’ कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं और इस कानून की आड़ में सुरक्षा बलों पर ज्यादती करने का आरोप लगाते हैं. आफस्पा अशांत क्षेत्र बताए गए इलाकों में सशस्त्र बलों को विशेष शक्तियां देता है.
संगमा ने ट्वीट में कहा, ‘आफस्पा वापस लिया जाना चाहिए.’
AFSPA should be repealed
— Conrad Sangma (@SangmaConrad) December 6, 2021
संगमा की एनपीपी राज्य में बीजेपी की सहयोगी है. राज्य की कांग्रेस इकाई ने भी मुख्यमंत्री का समर्थन करते हुए उनसे इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए एक बैठक बुलाने की अपील की. संगमा के ट्वीट के जवाब में कांग्रेस विधायक आम्परिन लिंगदोह ने ट्वीट किया, ‘हमें अपने लोगों पर अत्याचार रोकने के लिए तत्काल इस कानून को वापस लिए जाने की मांग करना चाहिए. कृपया जल्द से जल्द बैठक बुलाएं.’
The Meghalaya Congress Legislature Party will support #RepealAFSPA.
Kindly convene a consultation at the earliest. We must go all out to demand the immediate repeal of this draconian oppression on our people. https://t.co/vXNkRQg3dV
— Dr. Ampareen Lyngdoh (@ampareenlyngdoh) December 6, 2021
आफस्पा असम, नगालैंड, मणिपुर (इम्फाल नगर परिषद इलाके को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगडिंग, तिरप जिलों और असम की सीमा पर आठ पुलिस स्टेशन से लगने वाले इलाकों में लागू है.
हाइनीवट्रेप यूथ काउंसिल (एचवाईसी) ने भी शांत पूर्वोत्तर के निर्माण के लिए आफस्पा वापस लिए जाने की मांग की. एचवाईसी के महासचिव रॉयकूपर सिनरेम ने कहा, ‘ हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि अगर वह हकीकत में क्षेत्र में शांति चाहते हैं तो सश्त्र बलों पर लगाम लगाएं क्योंकि इस तरह की घटनाओं से अस्थिरता ही आएगी जो कि इस क्षेत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है.’
खासी स्टूडेंट्स यूनियन (केएसयू) ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सरकार को मूल निवासियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाना चाहिए. यूनियन ने एक बयान में भारत सरकार से तत्काल अफस्पा वापस लेने की मांग की.
केएसयू अध्यक्ष लम्बोक मारंगर ने सरकार से नगालैंड के मोन जिले में असैन्य नागरिकों की मौत के मामले में शामिल ‘दोषी और खून के प्यासे’ कर्मियों के खिलाफ सख्त और कठोर कार्रवाई की मांग की. पुलिस के अनुसार नगालैंड के मोन जिले में आंतकवाद रोधी अभियान और हिंसा की घटनाओं में 14 आम नागरिक मारे गए.
यह भी पढे़ं: नागालैंड हिंसा में आदिवासी संगठन ने मरने वालों की संख्या को संशोधित कर 14 बताया, 5 दिनों के शोक की घोषणा