नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (भाषा) आयुष मंत्रालय के अधीन मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) ने रविवार को विशेष ध्यान सत्रों का आयोजन करके ‘विश्व ध्यान दिवस’ मनाया। इन सत्रों में प्रख्यात विद्वान, योगभ्यास करने वाले और उत्साही व्यक्ति शामिल हुए।
इस आयोजन ने बढ़ते वैश्विक तनाव के बोझ से निपटने में प्राचीन योगिक ज्ञान और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के बीच तालमेल को रेखांकित किया।
इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए एमडीएनआईवाई के निदेशक डॉ. काशीनाथ समागंडी ने आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में ध्यान के नैदानिक महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि लगभग 60-70 प्रतिशत तनाव व्यावसायिक प्रकृति का होता है और उन्होंने ‘पतंजलि योगसूत्र’ में वर्णित तकनीकों के माध्यम से शरीर और मन के बीच सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
समकालीन शोध का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि ‘न्यूरोइमेजिंग’ संबंधी अध्ययनों से पता चलता है कि ओम का जाप करने से मस्तिष्क में भय और नकारात्मक भावनाओं के केंद्र ‘एमिग्डाला’ की गतिविधि कम हो जाती है, क्योंकि यह प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को सक्रिय करता है जो भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करता है।
दिल्ली स्थित रामकृष्ण मिशन के स्वामी मुक्तिमयानंद ने ध्यान की आध्यात्मिक परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रतिभागियों को स्थायी शांति के लिए अंतर्मुखी होने के लिए प्रोत्साहित किया।
भाषा संतोष प्रशांत
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