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Tuesday, 23 April, 2024
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राम मंदिर फैसले के बाद मेयर, विधायक और अधिकारियों ने अयोध्या में तेजी से खरीदीं ज़मीनेंः रिपोर्ट

इंडियन एक्सप्रेस को मंदिर स्थल के पास ऐसी 14 ख़रीदारियां मिली हैं. इनमें से कुछ महेश योगी के रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं.

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नई दिल्ली: नवंबर 2019 में जब सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ किया उसके बाद से अयोध्या में ज़मीन ख़रीदने की होड़ सी मची हुई है. इंडियन एक्सप्रेस की एक जांच में पता चला है कि जिन लोगों ने हाल ही में मंदिर से 5 किलोमीटर के दायरे में ज़मीनें ख़रीदी हैं, उनमें अयोध्या मेयर, एक विधायक, उत्तर प्रदेश ओबीसी आयोग के एक सदस्य और कई नौकरशाहों तथा अधिकारियों के रिश्तेदार शामिल हैं.

बुधवार को प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है, कि आधिकारिक श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने फरवरी 2020 में अपनी स्थापना के बाद से 70 एकड़ ज़मीन ख़रीदी है, लेकिन निजी ख़रीदार भी जिनमें स्थानीय अधिकारी शामिल हैं, ‘परियोजना की गति बढ़ने के साथ भारी मुनाफा कमाने की उम्मीद में’ ज़मीनें ख़रीद रहे हैं.

रिपोर्ट में ज़मीन के 14 सौदों का विवरण दिया गया है, जिनमें एक ऐसा है जिस पर ‘हितों के टकराव के गंभीर सवाल’ खड़े होते हैं. इन सौदों पर बाद की एक रिपोर्ट में इंडियन एक्सप्रेस ने विवरण दिया, कि कैसे महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (एमआरवीटी) ने उन सरकारी अधिकारियों के परिजनों को प्लॉट्स बेचे, जिन्हें दलित ग्रामवासियों की ज़मीनों के भूमि हस्तांतरण हुईं, अनियमितताओं की जांच का ज़िम्मा सौंपा गया था. रिपोर्ट में कहा गया कि इन सौदों में, उपयुक्तता के उल्लंघन का संकेत मिलता है.


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MRVT सौदे सवाल खड़े करते हैं

महेश योगी द्वारा स्थापित एमआरवीटी ने 1990 के दशक में, राम मंदिर स्थल के नज़दीक बरहाता मांझा गांव में ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा ख़रीद लिया था जिसमें 21 बीघा ज़मीन दलित निवासियों से ली गई थी. इस 21 बीघा ज़मीन को ख़रीदने के लिए, एमआरवीटी ने एक दलित कर्मचारी की सेवाएं लीं, जिसने ज़मीन ख़रीदी और 1996 में उसे एक ग़ैर-पंजीकृत दान-पत्र के ज़रिए, ट्रस्ट को दान कर दिया.

2019 में, एक दलित निवासी ने राजस्व बोर्ड में शिकायत दर्ज कराई कि उसकी (3 बीघा) ज़मीन का ‘अवैध तरीक़े से हस्तांतरण’ कर दिया गया. शिकायत की जांच के लिए एक पैनल गठित कर दिया गया.

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एमआरवीटी सौदों पर इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया कि अक्तूबर 2020 में तत्कालीन ज़िला मजिस्ट्रेट ने पैनल की रिपोर्ट मंज़ूर कर लीं, जिसमें एमआरवीटी और कुछ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ, (एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति की) ज़मीन का एक ग़ैर-पंजीकृत दान-पत्र के ज़रिए अवैध हस्तांतरण करने के आरोप में, कार्रवाई की सिफारिश की गई थी.

अयोध्या डिवीज़नल कमिश्नर एमपी अग्रवाल ने मार्च 2021 में उसे स्वीकृति दे दी और ज़मीन को राज्य सरकार को वापस करने के लिए, 6 अगस्त को एक केस दायर किया गया. लेकिन, एक्सप्रेस रिपोर्ट में कहा गया, कि इधर अग्रवाल ने जांच रिपोर्ट को कार्रवाई के लिए राजस्व बोर्ड को प्रेषित किया, उधर उनके रिश्तेदारों ने एमआरवीटी से वो ज़मीन ख़रीद ली.

एक्सप्रेस रिपोर्ट में कहा गया: ‘इधर ट्रस्ट के खिलाफ मामला लंबित था, उधर अग्रवाल के ससुर और साले ने 10 दिसंबर 2020 को, बारहाता मांझा गांव में एमआरवीटी से क्रमश: 2,530 वर्ग मीटर और 1,260 वर्ग मीटर ज़मीन ख़रीद ली’.

इसके अलावा, दो अन्य सरकारी अधिकारियों- दीपक कुमार (उप-महानिरीक्षक पुलिस) और पुरुषोत्तम दास गुप्ता (सितंबर 2021 तक तीन साल अयोध्या के मुख्य राजस्व अधिकारी रहे) के क़रीबी रिश्तेदारों ने भी क्रमश: सितंबर और अक्तूबर में एमआरवीटी से ज़मीन ख़रीदी. महत्वपूर्ण बात ये है कि दास गुप्ता पर ज़मीन के उन सभी मामलात का ज़िम्मा था, जो अयोध्या में ज़िला मजिस्ट्रेट ने उन्हें दिए हुए थे.

एक्सप्रेस रिपोर्ट में कहा गया, ‘इन अधिकारियों के रिश्तेदारों द्वारा ख़रीदे गए प्लॉट्स उस विवादित 21 बीघा में नहीं आते, लेकिन स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि इन सभी सौदों में, विक्रेता के तौर पर एमआरवीटी का नाम होना जो अभियुक्त नामज़द है, औचित्य के सवाल खड़े करता है.’

जिन दूसरे लोगों ने बारहाता मांझी गांव में एमआरवीटी से ज़मीन ख़रीदी, उनमें अयोध्या ज़िले के गोसाईगंज से विधायक इंद्र प्रताप सिंह शामिल हैं, जिन्होंने नवंबर 2019 में ख़रीदी, और यूपी काडर के एक रिटायर्ड अधिकारी उमाधर द्विवेदी हैं, जिन्होंने अक्तूबर 2021 में ख़रीदी.


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राम मंदिर स्थल के पास अन्य ज़मीन ख़रीदारियां

कई अन्य अधिकारियों तथा राजनेताओं (या उनके रिश्तेदारों) ने भी अयोध्या में दूसरे विक्रेताओं से राम मंदिर स्थल के पास ज़मीनें ख़रीदीं. जिन लोगों ने अपने नाम से ज़मीन ख़रीदी उनमें अयोध्या मेयर ऋषिकेश उपाध्याय हैं, जिन्होंने अयोध्या फैसले से दो महीना पहले 1,480 वर्ग मीटर का प्लॉट ख़रीदा, और राज्य ओबीसी आयोग के सदस्य बलराम मौर्य हैं, जिन्होंने फरवरी 2020 में 9,375 वर्ग मीटर ज़मीन ख़रीदी.

इसके अलावा, एमआरवीटी के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहे, सहायक रिकॉर्ड अधिकारी भान सिंह के साथ काम कर रहे पेशकार दिनेश ओझा का नाम भी, तिहूरा मांझा में एक ज़मीन ख़रीद से जोड़ा गया है. ओझा की बेटी ने मार्च 2021 में, 2,542 वर्ग मीटर ज़मीन ख़रीदी थी.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि राज्य सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही के परिवार के सदस्य, अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, और अयोध्या के पूर्व  सब-डिवीज़नल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) आयुष चौधरी भी उन अन्य लोगों में हैं, जिन्होंने मंदिर स्थल से 5 किलोमीटर के दायरे में ज़मीनें ख़रीदी हैं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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