हैदराबाद, 16 मई (भाषा) हैदराबाद, 16 मई (भाषा) हैदराबाद में स्थित मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय ने भारत से तनाव के दौरान तुर्किये द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने के लिए उसके एक संस्थान यूनुस एमरे के साथ अकादमिक सहयोग समझौते को तत्काल रद्द करने की घोषणा की है।
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने बृहस्पतिवार को जारी एक बयान में कहा कि भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों के लिए तुर्किये के ‘समर्थन’ के विरोध में यह निर्णय लिया गया है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय ने कहा कि उसने 2020 में तुर्किये के संस्थान के साथ पांच साल की अवधि के लिए एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत विश्वविद्यालय में भाषा, भाषा विज्ञान और इंडोलॉजी स्कूल में तुर्किये भाषा में डिप्लोमा शुरू किया गया।
अधिकारी ने बताया कि पाठ्यक्रम के लिए नियुक्त एक विजिटिंग प्रोफेसर पहले ही अपने देश लौट चुके हैं।
अधिकारियों ने हाल ही में कहा था कि भारत से बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान को तुर्किये के समर्थन के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) समेत कई शैक्षणिक संस्थानों ने तुर्किये के विश्वविद्यालयों के साथ अपने सहयोग को या तो निलंबित कर दिया है या इस तरह के कदम पर विचार कर रहे हैं।
इस बीच, आजाद यूनाइटेड स्टूडेंट्स फेडरेशन (एयूएसएफ) ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा कि वह तुर्किये के संस्थानों के साथ अपने शैक्षणिक समझौतों को रद्द करने या निलंबित करने के मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) और जेएनयू के फैसलों की कड़ी निंदा करता है।
बयान में कहा गया है, “भारत ने राजनीतिक संघर्ष के समय भी बौद्धिक सहभागिता के लिए अपने दरवाजे कभी बंद नहीं किए। आतंकवाद या राजनीतिक असहमति के आरोपों का इस्तेमाल अकादमिक सहयोग को रोकने के बहाने के रूप में करना उच्च शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय समझ की मूल भावना को कमजोर करता है।”
भाषा
जोहेब दिलीप
दिलीप
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