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Sunday, 28 April, 2024
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हार्वर्ड से मास्टर्स, शीना बोरा जांच की निरीक्षक — कौन हैं CISF की पहली महिला प्रमुख नीना सिंह

बिहार में जन्मीं अधिकारी जिन्हें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया है, ने पहले भी CBI के विशेष अपराध क्षेत्र का नेतृत्व किया है, जब उनकी इकाई ने कई मामलों को सुलझाया था.

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नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साथ शोध पत्र की सह-लेखिका से लेकर शीना बोरा हत्याकांड जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों की निगरानी तक, राजस्थान कैडर की इस भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी नीना सिंह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की पहली महिला प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका में अनुभव का खजाना लेकर आई हैं.

अगस्त में अपने पूर्ववर्ती शील वर्धन सिंह की सेवानिवृत्ति के बाद वह पहले से ही बल के विशेष (अंतरिम) महानिदेशक का पद संभाल चुकी हैं.

1989 आईपीएस बैच की अधिकारी सिंह का राजस्थान पुलिस से लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) तक शानदार करियर रहा है. उन्होंने अपने करियर में कई चीज़ें पहली बार कीं, जिनमें 2021 में राजस्थान पुलिस में महानिदेशक बनने वाली पहली महिला आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं.

बिहार से मणिपुर और फिर राजस्थान से नई दिल्ली तक दिप्रिंट उनकी वर्षों की यात्रा के बारे में यहां बता रहा है.


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बिहार की बेटी

बिहार के दरभंगा जिले की रहने वाली सिंह ने माध्यमिक शिक्षा पटना महिला कॉलेज से पूरी की और फिर दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में एमफिल करने के लिए दाखिला लिया, लेकिन पुलिस सेवा में शामिल होने के बाद उन्होंने इसे पूरा नहीं किया.

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सिंह के पास हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से लोक प्रशासन में मास्टर की डिग्री भी है. हार्वर्ड में ही उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो के साथ सिस्टम में सुधार और पुलिस प्रदर्शन में सुधार के विषय पर दो सह-शोध पत्र लिखे थे, जिसमें उन्होंने राजस्थान पुलिस के संदर्भ दिए थे.

मणिपुर कैडर आवंटित, आईपीएस अधिकारी को राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी रोहित कुमार सिंह से शादी के बाद उनके करियर की शुरुआत में ही राजस्थान स्थानांतरित कर दिया गया था. उनके पति वर्तमान में केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय में सचिव के पद पर कार्यरत हैं.

जयपुर में पुलिस अधीक्षक के रूप में उन्हें दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट के उपयोग को सख्ती से अनिवार्य करने का श्रेय दिया जाता है. वह उप-महानिरीक्षक, जयपुर रेंज और महानिरीक्षक, अजमेर रेंज बनीं.

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को पेशेवर उत्कृष्टता के लिए अति उत्कृष्ट सेवा पद के साथ-साथ सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक और राष्ट्रपति पुलिस पदक भी मिला है.

दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि सिंह प्रशासक की भूमिका में थीं और उन्होंने राजस्थान पुलिस के विभिन्न विशिष्ट विभागों में काम किया था. नागरिक अधिकार एवं मानव तस्करी विरोधी विभाग की प्रभारी एडीजी बनने से पहले वह एडीजी (प्रशिक्षण) थीं. 2021 में सीआईएसएफ में एडीजी के रूप में प्रतिनियुक्ति पर आने से पहले उन्हें उसी विभाग में डीजी स्तर पर पदोन्नत किया गया था.

सीआईएसएफ में उनका कार्यकाल उनकी दूसरी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति है, उन्होंने 2013 और 2018 के बीच सीबीआई में संयुक्त निदेशक के रूप में काम किया था.

दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट की थी कि उन्होंने सीबीआई के विशेष अपराध क्षेत्र का नेतृत्व किया और उनकी इकाई ने कई मामलों को सुलझाया, जिनमें गुरुग्राम के एक स्कूल में एक छात्र की हत्या और हिमाचल प्रदेश में कोटखाई सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला भी शामिल है. उन्होंने सोशलाइट इंद्राणी मुखर्जी की बेटी शीना बोरा की हत्या सहित हाई-प्रोफाइल मामलों की भी निगरानी की थी.

उन्हें 2018 में होम कैडर में वापस भेज दिया गया जहां उन्होंने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के रूप में काम किया और 2021 में वे राजस्थान पुलिस में डीजी रैंक की पहली महिला पुलिस अधिकारी बनीं.

‘शैक्षणिक अधिकारी’

सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि चार महीने पहले जब उन्होंने बल के महानिदेशक के रूप में कार्यभार संभाला है, उन्होंने बल और देश भर में काम करने वाली सभी इकाइयों को “प्रेरित” किया है.

सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों में से एक ने कहा कि उनके शैक्षणिक गुणों को सरकार ने भी अच्छी तरह से मान्यता दी है और वह बल को जनादेश के सभी पहलुओं में लागू करने और तैयार करने के लिए उनका उपयोग कर रही हैं, खासकर अंतर-विभागीय संचार में जैसा कि साप्ताहिक सम्मेलनों में देखा गया है, जहां प्रशासन, संचालन और कल्याण पर चर्चा की जाती है.

राजस्थान पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने भी सिंह की शैक्षणिक प्रतिभा की सराहना की और बताया कि वह इसे अच्छे प्रभाव से कैसे लागू करने में सक्षम हैं.

सीआईएसएफ के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वह बल के विस्तार पर काम कर रही हैं, जो उनका प्राथमिक एजेंडा है. उस उद्देश्य के लिए सिंह ने सीआईएसएफ के सभी क्षेत्रों में ज़रूरी परिवर्तनों में तेज़ी लाने और उन्हें जल्द से जल्द लागू करने के लिए एक टास्कफोर्स का गठन किया है.

एक तीसरे अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “चार महीनों की इस छोटी सी अवधि के दौरान, वह 100 से अधिक मुद्दों को हल करने में सक्षम रही हैं, जो उनके सामने उजागर किए गए थे.”

एक विशेष केंद्रीय अर्ध-सैन्य बल, सीआईएसएफ की स्थापना 1969 में हुई थी और यह गृह मंत्रालय (एमएचए) के तहत काम करता है. यह वर्तमान में देश भर में 358 प्रतिष्ठानों को सुरक्षा कवर प्रदान करता है. 13 दिसंबर की सुरक्षा उल्लंघन के बाद हाल ही में गृह मंत्रालय ने सीआईएसएफ को संसद परिसर का सर्वे करने के लिए कहा था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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