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Monday, 23 December, 2024
होमदेश‘नंबरों से छेड़छाड़, लीक, पूरी अराजकता’- महाराष्ट्र में सरकारी नौकरी की परीक्षाओं में विवादों का सिलसिला

‘नंबरों से छेड़छाड़, लीक, पूरी अराजकता’- महाराष्ट्र में सरकारी नौकरी की परीक्षाओं में विवादों का सिलसिला

महाराष्ट्र में तीन सरकारी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक्स और भ्रष्टाचार की घटनाओं के बाद कई गिरफ्तारियां हुई हैं, और एक सियासी घमासान मच गया है. और इस बीच, ख़ामियाज़ा छात्र भुगत रहे हैं.

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मुम्बई: महाराष्ट्र में कई सरकारी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक्स और भ्रष्टाचार के मुद्दे ने, विधानसभा के चालू सत्र में हंगामा खड़ा कर दिया है और इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुई हैं. लेकिन, जहां राज्य सरकार और विपक्ष एक दूसरे पर उंगली उठा रहे हैं, वहीं, इसका ख़ामियाज़ा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है.

पिछले कुछ महीनों में तीन सरकारी परीक्षाएं, पेपर लीक्स और नंबरों से कथित छेड़छाड़ के चलते, विवादों में घिर गई हैं.

ये परीक्षाएं हैं अक्तूबर में महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग की ग्रुप सी और डी परीक्षा, नवंबर में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) और दिसंबर में महाराष्ट्र आवास और क्षेत्र विकास प्राधिकरण (महाडा) के लिए भर्ती परीक्षाएं.

पुणे साइबर पुलिस फिलहाल इन तीनों परीक्षाओं की जांच कर रही है, और उसने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें महाराष्ट्र राज्य परीक्षा परिषद (एमएससीई) आयुक्त तुकाराम सूपे, और सुखदेव देरे शामिल हैं, जो 2017 तक एमएससीई आयुक्त थे.

पुलिस ने एक निजी कंपनी जीए सॉफ्टवेयर प्रा. लि. के निदेशक और अन्य कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया है, जिसे 2021 में टेट और म्हाडा परीक्षाएं कराने का ठेका दिया गया था.

जीए सॉफ्टवेयर को राज्य की पूर्व फड़णवीस सरकार ने ब्लैक लिस्ट किया हुआ था, लेकिन इस साल तुकाराम सूपे ने उसकी स्थिति पूरी तरह सामान्य कर दी. बीजेपी अब इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रही है, लेकिन राज्य सरकार इसका विरोध कर रही है.

इधर परीक्षाओं में अनियमितताओं के चलते विवाद बना हुआ है, उधर उम्मीदवारों का मानना है कि उनका भविष्य अधर में लटक गया है.

डिप्लोमा इन टीचर एजुकेशन (डीटीईडी) छात्र संघ अध्यक्ष संतोष मगर ने दिप्रिंट से कहा, ‘कुछ छात्रों का कहना है कि पेपर लीक हो जाने के बाद, परीक्षा रद्द कर देनी चाहिए, जबकि कुछ दूसरे छात्र कहते हैं कि हमने कड़ी मेहनत की है, लेकिन हो सकता है कि हम दोबारा परीक्षा पास न कर पाएं’.

राजनीतिक दोषारोपण का खेल

महाराष्ट्र नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फड़णवीस ने इस हफ्ते कहा, कि उन्हें लगता है कि भर्ती परीक्षाओं में अनियमितताओं के तार, ऊपर मंत्रालय (सरकारी सत्ता की कुर्सी) तक जुड़े हो सकते हैं.

महाराष्ट्र विधान सभा के शीत सत्र से बाहर फड़णवीस ने पत्रकारों से कहा, ‘अगर भर्ती घोटाले के तार मंत्रालय से जुड़े हैं, तो राज्य पुलिस अपनी जांच में निष्पक्ष नहीं रह पाएगी, और यही कारण है कि हम सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं’.

लेकिन, राज्य सरकार ने जवाब दिया है कि सीबीआई जांच की कोई आवश्यकता नहीं है, और उसने दावा किया है कि अनियमितताओं को वास्तव में उस समय से जोड़ा जा सकता है, जब देवेंद्र फड़णवीस मुख्यमंत्री थे.

सरकार ने अब निष्क्रिय हो चुके महापरीक्षा पोर्टल पर उंगली उठाई है, जिसे फड़णवीस सरकार ने 2016 में ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए शुरू किया था. ये पोर्टल भी अनियमितताओं के चलते विवादों में घिरा था, और पिछले साल छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किए थे, जिसके बाद उसे ख़त्म कर दिया गया था.

राज्य सरकार ने ये भी कहा कि इस साल भर्ती परीक्षाओं में हुई अनियमितताओं से निपटने के लिए, वो आवश्यक कार्रवाई कर रही है.

कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया, ‘सरकार भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के मुद्दे की जांच कर रही है, और उसने इन सभी कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने का फैसला किया है’. इशारों इशारों में उन्होंने कहा कि जो कंपनियां ये परीक्षाएं करा रही हैं, उन्हें लाने के लिए फड़णवीस सरकार ही ज़िम्मेवार थी. उन्होंने महाराष्ट्र परीक्षा घोटाले और मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले के बीच समानताओं की भी बात की, जहां उम्मीदवारों ने कथित रूप से रिश्वत देकर, नौकरियां और कॉलेज सीटें हासिल कर लीं थीं. बीजेपी ने ऐसे आरोपों से इनकार किया है.


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छात्र भुगत रहे ख़ामियाज़ा

लाखों छात्र रद्द की गईं या गड़बड़ी युक्त परीक्षाओं के बाद चकराए हुए हैं. 12 दिसंबर तक राज्य आवास मंत्री जितेंद्र अवहाद ने रात 1.24 बजे अपने ट्विटर पर ऐलान किया, कि महाडा परीक्षा जो उस सुबह आयोजित होनी थी, पेपर लीक होने के सबूत मिलने के बाद रद्द कर दी गई है.

छात्रों ने उन्हें ट्विटर पर सीधे जवाब देते हुए, अपना रोष व्यक्त किया चूंकि वो अपने गृह क्षेत्रों से लंबा सफर तय करके परीक्षा केंद्रों तक आए थे. उसी दिन बसों की हड़ताल ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दीं थीं.

महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग की ग्रुप सी और डी के लिए भर्ती परीक्षाएं भी विवादों में घिरीं थीं.

ये परीक्षाएं जो मूल रूप से सितंबर में होनी थीं, आख़िर में 24 और 31 अक्तूबर को कराई गईं, चूंकि परीक्षा की ज़िम्मेदार निजी कंपनी ने, कथित तौर पर समय रहते पर्याप्त तैयारियां नहीं कीं थीं. लेकिन, छात्रों का आरोप है, कि अंत में जब ये इम्तिहान कराए गए, तो इनमें साफतौर पर गड़बड़ियां थीं. बताया जाता है कि परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा कमज़ोर थी, और पेपर भी कथित तौर पर लीक हुआ था.

एक नांदेड़ निवासी तानाजी तेलंगे ने, जो स्वास्थ्य विभाग की ग्रुप सी परीक्षा में बैठे थे, दिप्रिंट को बताया कि उन्हें दो हॉल टिकट्स मिले थे. उन्होंने पूछा, ‘दो हॉल टिकट्स देखकर में दुविधा में पड़ गया. उससे भी ख़राब ये कि वो टिकट मुझे पिछली रात 10 बजे मिले थे. इतना कनफ्यूज़न था. जब हमारे यहां एमपीएससी (महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग) है, तो ऐसी निजी कंपनियों की वैसे भी क्या ज़रूरत है?’

स्वास्थ्य विभाग और म्हाडा परीक्षाओं के एक उम्मीदवार मंगेश देशमुख ने भी कहा, कि निजी कंपनियां परीक्षाओं का ठीक से प्रबंध नहीं कर रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैंने तीन एमपीएससी परीक्षाएं दी हैं…उनमें पुलिस मौजूद होती है जो सुरक्षा पर नज़र रखती है. यहां मुझे कोई नज़र नहीं आया. किसी ने मेरी पहचान नहीं पूछी. डर ये था कि किसी की जगह भी, कोई दूसरा व्यक्ति इम्तिहान देने जा सकता था’.

30 वर्षीय संजय चव्हाण ने दिप्रिंट से कहा, कि उन्होंने अपने जीवन के दो साल सरकारी भर्ती परीक्षाओं के लिए लगातार पढ़ाई में लगा दिए थे.

सबसे नज़दीकी शहर औरंगाबाद से 150 किलोमीटर दूर एक गांव के निवासी संजय, मुश्किल से अपनी गुज़र बसर कर पा रहे हैं. उनका किसान परिवार कर्ज़ों से जूझ रहा है, और वो भी कुछ कमाई नहीं कर रहे हैं. लाइब्रेरी की सदस्यता और किताबों के ख़र्च के लिए, संजय भी अपने दोस्तों से पैसा उधार लेते हैं. नंबर में जब वो टेट की परीक्षा देने गए तो उन्हें बहुत उम्मीदें थीं, भले ही औरंगाबाद के परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए, 2,000 रुपए ख़र्च करने पड़े हों.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया वो बहुत निराश हुए थे, जब ये घोषित हुआ कि पेपर लीक हुआ था, और नतीजे रोके जा सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘बहुत मायूसी होती है. मुझे ग़ुस्सा आता है. मैंने किसके लिए पढ़ाई की? सरकारी नौकरी पाना मेरा सपना रहा है. अब मेरी उम्र बढ़ रही है और मुझे कोई निजी नौकरी नहीं मिल सकती’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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