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Monday, 11 November, 2024
होमदेशसरोगेसी से जुड़े Bill पर पार्टियों की मांग- ‘नजदीकी रिश्तेदार’ को परिभाषित करें, LGBTQ जोड़े हों शामिल

सरोगेसी से जुड़े Bill पर पार्टियों की मांग- ‘नजदीकी रिश्तेदार’ को परिभाषित करें, LGBTQ जोड़े हों शामिल

राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक और सरोगेसी (विनियमन) विधेयक पर एक साथ हो रही चर्चा में भाग लेते हुए यह बात कही.

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नई दिल्ली: राज्यसभा में बुधवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी से संबंधित विभिन्न क्लीनिक के नियमन और इस प्रक्रिया के व्यावसायिक दुरूपयोग पर लगाम लगाये जाने के लिए कानूनी प्रावधान करने का स्वागत किया. इसके साथ ही सदस्यों ने सरोगेसी विधेयक में ‘नजदीकी रिश्तेदार’ की परिभाषा स्पष्ट करने और इसमें ‘एलजीबीटीक्यू’ युगलों को शामिल करने का सुझाव दिया.

उच्च सदन में विभिन्न दलों के सदस्यों ने जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक और सरोगेसी (विनियमन) विधेयक पर एक साथ हो रही चर्चा में भाग लेते हुए यह बात कही. चर्चा के दौरान विपक्ष के कई सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी कर रहे थे. विपक्षी सदस्य उच्च सदन के 12 सदस्यों को पूरे सत्र के लिए निलंबित करने के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे.

भाजपा सदस्य के सी राममूर्ति ने कहा कि सरोगेसी और कृत्रिम गर्भाधान के नियमन के लिए देश में पर्याप्त कानून नहीं हैं. उन्होंने कहा कि कृत्रिम गर्भाधान के मामले में काफी धन खर्च होता है किंतु इसके लिए कोई सरकारी बैंक रिण नहीं देता और लोग साहूकारों से ऊंची ब्याज दर पर कर्ज लेते हैं.

उन्होंने कहा कि जो दंपति कृत्रिम गर्भाधान करवाते हैं उनके जोखिमों को कवर करने के लिए बीमा का भी कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि जो लोग कृत्रिम गर्भाधान का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं उन्हें बीमा कवर दिया जाना जाना चाहिए.

राममूर्ति ने कहा कि सरोगेसी संबंधी विधेयक में सरकार को ‘नजदीकी रिश्तेदार’ की परिभाषा को और स्पष्ट करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसे लेकर कुछ भ्रम बना रहेगा. उन्होंने कहा कि ‘आईवीएफ’ प्रक्रिया को शोषण से बचाया जाना चाहिए.

वाईएसआर कांग्रेस के अयोध्या रामी रेड्डी ने दोनों विधेयकों का स्वागत करते हुए कहा कि इससे कृत्रिम गर्भाधान करवाने वालों का शोषण रूकेगा और महिलाओं के हितों की रक्षा होगी. उन्होंने कहा कि इन विधेयकों में ‘एलजीबीटीक्यू’ दंपति के बारे में कुछ नहीं कहा गया है. सरकार को इस वर्ग के लोगों को ध्यान में रखकर प्रावधान करना चाहिए.

अन्नाद्रमुक सदस्य एम थंबीदुरै ने दोनों विधेयकों का स्वागत करते हुए कहा कि इनके विधेयकों से आम आदमी के हितों की रक्षा होगी. उन्होंने कहा कि इस विधेयक की सबसे बड़ी बात यह है कि यह ‘आईवीएफ’ प्रक्रिया से जुड़ी सभी क्लीनिक और बैंक का पंजीकरण अनिवार्य करेगा.

तेदेपा सदस्य के रवींद्रकुमार ने कहा कि देश में अधिकतर ‘आईवीएफ’ क्लीनिक निजी क्षेत्र में हैं. उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि जिला सरकारी अस्पतालों में इस तरह की क्लीनिक खोली जानी चाहिए, तभी इन विधेयकों का उद्देश्य प्राप्त किया जा सकेगा.

उन्होंने सरोगेसी विधेयक में नजदीकी रिश्तेदार की परिभाषा को स्पष्ट करने का सरकार से अनुरोध किया.

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