नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में पीएम ने कहा कि संकट के इस काल में भी हमारे देश के कृषि क्षेत्र ने फिर अपना दमख़म दिखाया है. देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव, आत्मनिर्भर भारत का आधार है. ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी. बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है.
उन्होंने आगे कहा, मुझे कई ऐसे किसानों की चिट्ठियां मिलती हैं. किसान संगठनों से मेरी बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, कैसे खेती में बदलाव आ रहा है. कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने में बहुत दिक्कत आती थी. अगर वो मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचते थे तो कई बार उनके फल, सब्जी और गाड़ियां तक जब्त हो जाती थी. लेकिन 2014 में फल और सब्जियों को एपीएमसी एक्ट से बाहर कर दिया गया, इसका, उन्हें और आस-पास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ.अपने फल-सब्जियों को, कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की ताकत है और ये ताकत ही उनकी इस प्रगति का आधार है. अब यही ताकत, देश के दूसरे किसानों को भी मिली है.
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मन की बात में पीएम मोदी ने उदाहरण देते हुए कहा, साथियों तीन–चार साल पहले ही महाराष्ट्र में, फल और सब्जियों को एपीएमसी के दायरे से बाहर किया गया था. इस बदलाव ने कैसे महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली है. पुणे और मुंबई में किसान साप्ताहिक बाज़ार खुद चला रहे हैं. इन बाज़ारों में, लगभग 70 गांवों के, साढ़े चार हज़ार किसानों का उत्पाद, सीधे बेचा जाता है – कोई बिचौलिया नहीं. ग्रामीण-युवा सीधे बाज़ार में खेती और बिक्री की प्रक्रिया में शामिल होते हैं – इसका सीधा लाभ किसानों को होता है, गांव के नौजवानों को रोजगार में होता है. आज की तारीख में खेती को हम जितना आधुनिक विकल्प देंगे उतना ही वो आगे बढ़ेगी उसमें नये-नये तौर-तरीके आयेंगे, नये इनोवेशन जुड़ेंगे.
भारत में किस्सागोई की रही हैं परंपरा: पीएम
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा, कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है. आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरुरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है.
पीएम ने कहा, हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के एपीएमसी एक्ट सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते है. हमें जरुर एहसास हुआ होगा कि हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थी वो, आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है. ऐसी ही एक विधा जैसा मैंने कहा, कहानी सुनाने की कला स्टोरी टेलिंग. साथियों कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता. कहानियां, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं.
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पीएम ने लोगों से कहा, साथियों भारत में कहानी कहने की या कहें किस्सा-गोई की, एक समृद्ध परंपरा रही हैं. हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी है, जहां हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है. कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गयी. ताकि विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके.
हम कथा-शास्त्र को और अधिक कैसे प्रचारित करें, पॉपुलर करें, और, हर घर में अच्छी कथा कहना, अच्छी कथा बच्चों को सुनाना, ये जन-जीवन की बहुत बड़ी क्रेडिट हो. ये वातावरण कैसे बनाएं, उस दिशा में हम सबने मिल करके काम करना चाहिए. मैं ज़रूर आपसे आग्रह करूंगा, परिवार में, हर सप्ताह, आप, कहानियों के लिए कुछ समय निकालिए. मैं कथा सुनाने वाले, सबसे, आग्रहक करूगा, हम, आज़ादी के 75 वर्ष मनाने जा रहें हैं, क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं, उनको, कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं.