नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर लिखी किताब चंद्रशेखर :दि लास्ट आईकन ऑफ आइडियोलोजिकल पालिटिक्स का विमोचन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में पूर्व प्रधानमंत्रियों को बदनाम करने का एक सुनियोजित षड्यंत्र चला है, लाल बहादुर शास्त्री से लेकर मोरारजी भाई देसाई ,देवगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, चंद्रशेखर से लेकर मनमोहन सिंह तक सभी को बदनाम किया गया है .
पीएम ने बिना नाम लिये कांग्रेस की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘मोरारजी भाई क्या पीते थे, दैवगौड़ा हमेशा सोते रहते थे. चंद्रशेखर कैसे कैसे लोगों से घिरे रहते थे इसपर ज्यादा चर्चा की गई लेकिन इन प्रधानमंत्रियों के किये गए कामों को भुला दिया गया.’
‘इतिहास में चंद्रशेखर के साथ अन्याय हुआ.’ आज लोग चार किलोमीटर भी पदयात्रा कर लेते हैं तो अख़बार में छपाने में व्यस्त हो जातें है, चंद्रशेखर जी ने चार हज़ार किलोमीटर की भारत यात्रा की. लेकिन उन्हें कैसे-कैसे लोगों से चंदा लिए जाने को लेकर उन्हें बदनाम किया गया. लेकिन अब सरकार सभी प्रधानमंत्रियों के जीवन से जुड़ी कथाओं को एकत्रित कर, उसे पुस्तक का स्वरूप देकर एक भव्य संग्रहालय बनाएगी. हमने तय किया है कि इसमें सभी प्रधानमंत्रियों के जीवन से जुड़ी हर एक छोटी-बड़ी वस्तु को शामिल किया जाएगा.
चंद्रशेखर के व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए पीएम ने कहा ‘जिस समय कांग्रेस का सितारा चमकता होगा, वह कौन सा तत्त्व होगा इस इंसान के अंदर, वो कौन सी प्रेरणा रही होगी कि उन्होने बग़ावत का रास्ता चुन लिया. शायद बाग़ी बलिया के संस्कार रहें होगें, शायद बलिया की मिट्टी में आज भी वो सुगंध होगी.”
चंद्रशेखर से जुड़े एक संस्मरण का उल्लेख करते हुए पीएम ने कहा चंद्रशेखर जी से पहली बार मैं 1977 में एयरपोर्ट पर भैरोसिंह शेखावत के साथ मिला था. मैं भैरोसिंह के साथ चंद्रशेखर जी का इंतजार कर रहा था. वो आने ही वाले थे. भैरोंसिंह ने उनको आता देखकर अपनी जेब से सारा गुटका, पान मसाला निकालकर मेरी जेब में भर दिया. जब चंद्रशेखर जी आए तो सबसे पहले उन्होने भैरोसिंह जी के पॉकेट में हाथ डालकर चेक किया कि कहीं भैरोसिंह फिर से गुटका तो नहीं खाने लगे. चंद्रशेखर को भैरोसिंह के स्वास्थ्य की फ़िक्र थी. पीएम ने कहा कि चंद्रशेखर की ऐसी शख़्सियत के कारण ही बारह साल बाद भी वो लोगों के ज़ेहन में ज़िंदा हैं, अमूमन सत्ता से हटने के दो चार साल बाद ही लोग भुला दिए जातें हैं .
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की लिखी किताब में चंद्रशेखर के युवा तुर्क बनने से लेकर प्रधानमंत्री बनने की कहानी का विस्तार से उल्लेख है कैसे उस समय के राष्ट्रपति एन वेंकटरामन राजीव गांधी से भरोसा लेना चाहते थे कि अगले दो साल तक वो चंद्रशेखर की सरकार नहीं गिराएंगें. राजीव गांधी ने कांग्रेस पार्टी की तरफ से समर्थन देते हुए राष्ट्रपति को भरोसा दिलाया कि वो चंद्रशेखर की सरकार नहीं गिराएंगे पर कुछ ही महीने के बाद एक छोटे से मुद्दे पर जासूसी का आरोप लगा सरकार गिरा दी .