कोच्चि, 21 फरवरी (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि मानव द्वारा निर्मित क्षेत्रीय सीमाओं से मानव-पशु संघर्ष के हल में मदद नहीं मिलती और केवल ठोस प्रयासों से ही इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।
उच्च न्यायालय ने सुझाव दिया कि वायनाड जिले में जंगली जानवरों के मुद्दे से निपटने के लिए केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक द्वारा एक संयुक्त कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए। अदालत ने इसमें अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों को शामिल करने का भी सुझाव दिया।
न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति गोपीनाथ पी की विशेष पीठ का कहना था कि उचित होगा कि राज्य सरकारें अतिरिक्त मुख्य सचिवों के स्तर पर संयुक्त चर्चा करे ताकि ‘‘आवश्यक होने पर तत्काल निर्णय लिए जा सकें।’’
पीठ ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि इस दिशा में ऐसी संयुक्त समितियों का गठन किया जाएगा।’’
पीठ ने वायनाड के मुख्य वन संरक्षक को संबंधित क्षेत्र में खाइयों, बाधाओं और बाड़ का नक्शा तैयार करने का निर्देश दिया। उसने 19 फरवरी के अपने आदेश में निर्देश दिया कि 10 दिन के भीतर नक्शा तैयार कर लिया जाए और मानव-पशु संघर्ष से निपटने के लिए पिछले साल मार्च में अदालत द्वारा गठित समिति के समक्ष उसे प्रस्तुत किया जाए।
मामले में अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी।
भाषा अविनाश माधव
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