दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल): पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हिंदू महासभा की ‘विभाजनकारी राजनीति’ का विरोध किया था और वह धर्मनिरपेक्ष तथा एकजुट भारत की खातिर लड़े थे.
बनर्जी ने नेताजी की जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग की.
उन्होंने कहा कि बोस ने अपने संघर्ष के जरिए यह संदेश भेजा कि सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए और एकजुट भारत के लिए लड़ना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
ममता बनर्जी ने सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘नेताजी ने हिंदू महासभा की विभाजनकारी राजनीति का विरोध किया था. वह धर्मनिरपेक्ष भारत के लिए लड़े. लेकिन अब धर्मनिरपेक्षता का पालन करने वालों को बाहर करने के प्रयास किए जा रहे हैं.’
उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया कि नेताजी के लापता होने के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए सरकार गंभीर नहीं है.
बनर्जी ने कहा, ‘उन्होंने (केंद्र) केवल कुछ ही गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किया है. वास्तविकता में क्या हुआ था, यह पता लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए. यह शर्मिंदगी की बात है कि 70 वर्ष से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद हम यह नहीं जान पाए हैं कि उनके साथ क्या हुआ था.’
भारत हमेशा नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आभारी रहेगा : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत सुभाष चंद्र बोस के साहस और उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ाई में उनके अमिट योगदान का हमेशा आभारी रहेगा.
सुभाष चंद्र बोस को उनकी 123वीं जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह भारतीयों की उन्नति और कल्याण के लिए खड़े हुए.
मोदी ने नेताजी के नाम से पहचाने जाने वाले बोस का जिक्र करते हुए कहा, ‘23 जनवरी 1897 को जानकीनाथ बोस ने अपनी डायरी में लिखा, ‘दोपहर में बेटे का जन्म हुआ.’ यही बेटा साहसी स्वतंत्रता सेनानी और विचारक बना जिसने अपना जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया.’