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Friday, 22 November, 2024
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बंगाल में सिर्फ 3 हफ्ते में दोगुने हुए कोविड मामले, ममता सरकार ने वायरस के बढ़ने की स्वभाविक गति बताया

31 जुलाई को बंगाल में 70,188 मामले थे, जो अगले 24 दिन में बढ़कर 1,41,837 हो गए. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि राज्य ने टेस्टिंग नहीं बढ़ाई, तो वो हमेशा कोविड के चरम पर पहुंचने का इंतज़ार करता रहेगा.

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल को मार्च से जुलाई तक कोविड मामलों का 70,000 का आंकड़ा छूने में पांच महीने लगे, लेकिन उसके बाद सिर्फ पिछले तीन हफ्ते में, ये संख्या दोगुनी हो गई. जिसमें दो ज़िले- नॉर्थ 24 परगना और हावड़ा में सबसे ज़्यादा मामले देखे गए.

31 जुलाई को राज्य में 70,188 केस, और 1,581 मौतें दर्ज थीं. लेकिन अगले 24 दिन दिनों में, बंगाल में 1,41,837 मामले और 2,851 मौतें दर्ज हो गईं.

लेकिन सरकार ने इसे उछाल मानने से इनकार कर दिया है और कहा है कि ये वायरस की एक प्राकृतिक प्रगति है.

लेकिन इस बीच एक्सपर्ट्स ने कोविड टेस्टिंग की संख्या पर सवाल उठाए हैं, जिसे उन्होंने बहुत कम बताया है, और कोविड मामलों में इतने बड़े उछाल के लिए, प्रशासन की नाकाफी कॉन्टेक्ट टेस्टिंग को दोषी ठहराया है.

‘राज्य अच्छा कर रहा है’

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, कि ये उछाल नहीं है और महामारी इसी तरह आगे बढ़ती है.

उन्होंने कहा, ‘ये कोई उछाल नहीं है बल्कि वायरस की प्राकृतिक प्रगति है. ऐसा सिर्फ बंगाल में नहीं है, और महामारी इसी तरह आगे बढ़ती है.’

अधिकारी ने आगे कहा, ‘बंगाल में ठीक होने की दर पिछले महीने के 68 प्रतिशत से बढ़कर 79 प्रतिशत हो गई है. हमारी मृत्यु दर गिरकर 1.7 प्रतिशत रह गई है. लोगों में लक्षण या तो बिल्कुल नहीं हैं या बहुत हल्के हैं. बल्कि, 28,000 एक्टिव मामलों में हमारे पास सिर्फ 1,500 मरीज़ हैं, जो गंभीर हैं और जिनमें गंभीर लक्षण हैं. हॉस्पिटल बेड्स की ज़रूरत भी कम हो गई है. इसलिए कोविड प्रबंधन के मामले में राज्य अच्छा कर रहा है.’

इस बीच, सोमवार को प्रदेश सचिवालय में टेलीवीज़न पर प्रसारित हुई एक प्रशासनिक बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार और अधिक टेस्ट करेगी और मेहनत के साथ कॉन्टेक्ट-ट्रेसिंग करेगी.

उन्होंने विधायकों पार्षदों और ज़िला परिषद सदस्यों को भी हिदायत दी कि घनी आबादी वाले इलाक़ों में सतर्कता बनाए रखें.

टेस्टिंग पर सवाल

31 जुलाई तक, बंगाल ने कुल 8,74,397 नमूनों की जांच की थी, जो हर रोज़ 19,000 थे.

24 अगस्त को, सरकारी बुलेटिन में कहा गया कि राज्य ने कुल 15,96,578 नमूने टेस्ट किए, जो हर दस लाख की आबादी पर 17,740 बैठते हैं. जांच किए गए कुल नमूनों में, 2,57,269 एंटीजेन टेस्ट हैं.


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बंगाल में 70 कोविड टेस्टिंग लैबोरेटरीज़ हैं, जो आईसीएमआर द्वारा स्वीकृत हैं. इनमें से 38 में आरटी-पीसीआर स्टिंग की सुविधाएं हैं, जबकि बाक़ी में ट्रूनैट और सीबीनाट टेस्ट हेते हैं.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि बंगाल को और अधिक टेस्ट करने चाहिएं थे.

एक अनुभवी वायरोलॉजिस्ट और स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के पूर्व प्रमुख, निमाइ भट्टाचार्य ने दिप्रिंट से कहा, कि अभी तक राज्य को, रोज़ाना एक लाख टेस्ट करने चाहिएं थे.

उन्होंने कहा, ‘टेस्टिंग और ट्रेसिंग को बढ़ाकर दिल्ली ने अपने यहां संख्या कम कर ली है. तो क्या वहां वायरस आगे नहीं बढ़ रहा है? इस तरह बंगाल कभी अपनी पीक पर नहीं पहुंचेगा. इतने अधिक मामले थे जो छिपे हुए थे, और वो दूसरों को संक्रमित कर रहे हैं. ये एक ख़तरनाक स्थिति है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘जहां तक रिकवरी रेट का सवाल है ये सिर्फ बंगाल का मामला नहीं है ये हर जगह हो रहा है.’

भट्टाचार्य ने ये भी कहा कि अपर्याप्त कॉन्टेक्ट-ट्रेसिंग की वजह से, कोविड के मामले बढ़ रहे हैं.

परेशान जिले

सोमवार को अपनी प्रशासनिक बैठक में, बनर्जी ने कहा कि नॉर्थ 24 परगना और हावड़ा, राज्य में संक्रमण की दर को बढ़ा रहे हैं.

सीएम के अनुसार, नॉर्थ 24 परगना में संक्रमण दर, चिंताजनक हद तक 20.6 प्रतिशत है. 24 अगस्त को ज़िले में 30,015 पॉज़िटिव केस थे, जो 31 जुलाई को केवल 15,131 थे.

हावड़ा में 24 अगस्त को 12,456 मामले थे, जबकि 31 जुलाई को 7,750 केस थे. 24 अगस्त तक बंगाल की औसत सकारात्मकता दर 8.88 प्रतिशत है.

भट्टाचार्य ने कहा, ‘कोई नहीं समझा सकता कि नॉर्थ 24 परगना में ये उछाल कैसे आया. ये सरकार की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की नाकामी की वजह से है. मैं फिर टेस्टिंग के मुद्दे पर आउंगा. अगर वो टेस्टिंग सुविधाएं नहीं बढ़ाते, तो संक्रमण को क़ाबू नहीं कर पाएंगे, और हमेशा इसके पीक पर पहुंचने का इंतज़ार ही करते रहेंगे.’

नॉर्थ 24 परगना ज़िले में शहरी और ग्रामीण दोनों इलाक़े हैं. इसके अंदर दो बड़ी पुलिस कमिश्नरियां हैं- बैरकपुर और बिधान नगर. संक्रमण ज़्यादातर शहरी इलाक़ों तक ही ट्रेस किए जा रहे हैं. इस ज़िले की सीमा बांग्लादेश से भी लगती है.

ज़िला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमारे यहां एक बड़ी प्रवासी आबादी आई है. वो अधिकतर शहरी स्लम्स में रह रही है. अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर अब ट्रकों की आवाजाही के लिए खुले हुए हैं. उसके अलावा, ये राज्य के सबसे घनी आबादी वाले ज़िलों में से एक है. हम मामलों को ट्रेस करके उनकी पहचान कर रहे हैं, और हमने और अधिक टेस्टिंग लैब्स के लिए अनुरोध किया है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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