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Monday, 11 August, 2025
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मालेगांव विस्फोट मामले का गवाह 17 साल से लापता, अदालत ने घोषित की ‘सिविल मृत्यु’

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इंदौर (मध्यप्रदेश), एक अगस्त (भाषा) वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के गवाह दिलीप पाटीदार का उनकी रहस्यमय गुमशुदगी के 17 साल बीतने के बाद भी कोई सुराग नहीं मिल सका है और इंदौर की एक अदालत उनके परिवार की गुहार पर उनकी ‘‘सिविल मृत्यु’’ घोषित कर चुकी है। पाटीदार के परिवार के एक वकील ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

‘सिविल मृत्यु’ का मतलब है कि जब कोई व्यक्ति सात साल या इससे अधिक समय से लापता हो और उसका कोई भी सुराग न मिल सके, तो कानूनी तौर पर उसे मृत घोषित कर दिया जाता है।

पाटीदार के परिजनों का कहना है कि महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के कर्मी उन्हें मालेगांव विस्फोट मामले में पूछताछ के लिए 10 और 11 नवंबर 2008 की दरमियानी रात इंदौर से अपने साथ ले गए थे और अब तक पाटीदार का कोई अता-पता नहीं है।

पाटीदार के परिवार के वकील दीपक रावल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया,‘‘तमाम कोशिशों के बावजूद पाटीदार के बारे में कोई सुराग नहीं मिल सका। आखिरकार हमें उनके परिवार की ओर से स्थानीय अदालत में मुकदमा दायर करके उनकी सिविल मृत्यु घोषित करानी पड़ी ताकि इसके आधार पर उनके आश्रितों को जायज लाभ और अधिकार मिल सके।’’

इंदौर की एक दीवानी अदालत ने पाटीदार की पत्नी पद्मा और उनके बेटे हिमांशु के दायर मुकदमे पर 19 दिसंबर 2018 को उनकी सिविल मृत्यु घोषित की थी।

हिमांशु (21) ने कहा कि महाराष्ट्र एटीएस के पुलिसकर्मी उनके पिता को यह कहकर अपने साथ ले गए थे कि उन्हें गवाही के लिए ले जाया जा रहा है और बयान दर्ज करने के बाद छोड़ दिया जाएगा, लेकिन इसके बाद वह दोबारा घर नहीं लौटे।

उन्होंने कहा,‘‘बाद में एटीएस अधिकारी यही दावा करते रहे कि उन्होंने मेरे पिता को छोड़ दिया था, लेकिन इस बारे में उन्होंने हमें कभी कोई पक्की सूचना नहीं दी।’

हिमांशु, दिलीप पाटीदार की इकलौती संतान हैं और पाटीदार की पत्नी गृहिणी हैं। पाटीदार के बेटे ने कहा,‘‘मेरे पिता का पता लगाने के लिए मेरे परिवार ने लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन नतीजा सिफर रहा। पिता के लापता होने के बाद से मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए।’’

पेशे से बिजली मिस्त्री पाटीदार, मालेगांव विस्फोट मामले के वांछित आरोपी रामचंद्र कलसांगरा उर्फ रामजी के रिश्तेदार थे। वह इंदौर में कलसांगरा के मकान में किरायेदार भी थे।

कलसांगरा के बेटे देवव्रत ने कहा कि पाटीदार की तरह उनके पिता का भी पिछले 17 साल से कोई अता-पता नहीं है।

इसी तरह, मालेगांव विस्फोट मामले का एक अन्य वांछित आरोपी संदीप डांगे भी 2008 से लापता है। डांगे के 88 वर्षीय पिता वीके डांगे इंदौर के लोकमान्य नगर में रहते हैं। वह भी लगातार कहते रहे हैं कि उन्हें इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं है कि उनका बेटा कहां है।

मालेगांव विस्फोट मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने कुल 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि कलसांगरा और डांगे को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था।

मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में बंधे विस्फोटक में धमाकों से छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 101 अन्य व्यक्ति घायल हो गए थे।

भाषा हर्ष संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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