मुंबई, आठ मई (भाषा) विशेष एनआईए अदालत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में 31 जुलाई को फैसला सुना सकती है। अदालत ने कहा कि इस मामले में भारी मात्रा में दस्तावेज हैं और फैसला सुनाने के लिए कुछ समय चाहिए।
विस्फोट के करीब 17 साल बाद राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत ने 19 अप्रैल को फैसला 8 मई तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। हालांकि, मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश ए के लाहोटी ने इसे अगली तारीख तक के लिए सुरक्षित रख लिया।
न्यायाधीश ने अदालत में मौजूद आरोपियों से कहा कि मामले में भारी मात्रा में दस्तावेज हैं और फैसला सुनाने में कुछ समय लगेगा। उन्होंने मामले के सभी आरोपियों को अगली तारीख 31 जुलाई को उपस्थित रहने को कहा।
मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण के फटने से छह लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हुए थे।
मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की जिनमें से 34 मुकर गए।
मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, भाजपा नेता प्रज्ञा ठाकुर, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
मामले में शुरुआत में जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने की थी और बाद में 2011 में इसे एनआईए को हस्तांतरित कर दिया गया।
भाषा वैभव नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.