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Thursday, 26 December, 2024
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नक्सलियों के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस की पहल- ‘गड़चिरोली फाइल्स’ नाम से एक कॉमिक स्ट्रिप

ज़िले के शीर्ष पुलिस अधिकारी ‘ज़मीनी हक़ीक़त’ को लोगों तक पहुंचाकर उन्हें बताना चाहते हैं कि नक्सली कैसे विकास में बाधा डाल रहे हैं. वो विचार करते हैं, कॉमिक लिखते हैं और किसी स्थानीय कलाकार से उसे ड्रॉ कराते हैं.

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मुम्बई: महाराष्ट्र के गड़चिरोली में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने फैसला किया है कि इस साल वो हर दो सप्ताह में एक अलग तरह के काम के लिए बैठक करेंगे- किसी कहानी पर मंथन करना, एक स्क्रिप्ट लिखना और फिर किसी स्थानीय कलाकार को पकड़कर उससे हास्यचित्र बनवाना.

‘गड़चिरोली फाइल्स’ ज़िला पुलिस की एक पहल है जिसका मक़सद महाराष्ट्र के उस इलाक़े में नक्सलियों के प्रचार की काट करना है जो माओवादी विद्रोह के लिए जाना जाता है. ऐसी पहली कॉमिक स्ट्रिप 2 जनवरी को प्रकाशित की गई.

गड़चिरोली पुलिस अधीक्षक अंकित गोयल ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम गड़चिरोली ज़िले की ज़मीनी हक़ीक़त लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं. उन्हें बताना चाहते हैं कि नक्सली किस तरह ज़िले में विकास कार्य को बाधित कर रहे हैं. हमने सोचा एक कॉमिक स्ट्रिप आकर्षक रहेगी और हमारे संदेश को ज़्यादा प्रभावी तरीक़े से पहुंचाएगी. बजाय इसके कि लंबे लंबे पन्नों की लिखित सामग्री लोगों के बीच बांटी जाए’.

गोयल और तीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षकों की एक टीम, शुरू से आख़िर तक कॉमिक स्ट्रिप पर काम करती है. विषय पर सोच विचार करने से लेकर उसे हाइलाइट करने और एक स्क्रिप्ट में बदलने तक.

2020 में गड़चिरोली एसपी का कार्यभार संभालने वाले 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी गोयल ने कहा, ‘हमारा मुख्य फोकस ये दिखाना होगा कि नक्सली किस तरह ज़िले के विकास को बाधित करते हैं लेकिन आगे चलकर हम ज़िले के और बड़े मुद्दों को भी उभारेंगे. सार्वजनिक मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाएंगे और सरकार तथा पुलिस की बहुत सी कल्याणकारी स्कीमों आदि की भी बात करेंगे. अभी हम नहीं जानते कि आगे चलकर ये क्या रूप इख़्तियार करेगा’.


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बहुभाषीय कॉमिक स्ट्रिप

पहली कॉमिक स्ट्रिप इस साल 2 जनवरी को ‘गड़चिरोली फाइल्स #001’ के रूप में लाइव की गई थी. जिसे गड़चिरोली पुलिस ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर तीन भाषाओं – अंग्रेज़ी, मराठी, और स्थानीय आदिवासी भाषा गोंडी में प्रकाशित किया था.

‘गड़चिरोली फाइल्स #001’ एक तीन पैनल की स्ट्रिप थी जिसके पहले पैनल में एक काल्पनिक नक्सली को दिखाया गया था. इसके सीने से एक बंदूक़ बंधी हुई थी और जो एक ज़िला परिषद स्कूल के बाहर एक बच्चे से कह रहा था कि उसके साथ आकर नक्सल आंदोलन में शामिल हो जाए.

दूसरे पैनल में, लड़का ग़ुस्से में दिख रहे उग्रवादी से कहता है कि वो आंदोलन में शामिल नहीं होगा और इसकी बजाय वो स्कूल जाना चाहता है और एक इंजीनियर बनना चाहता है.

इसके बाद, पृष्ठभूमि में जो ज़िला परिषद स्कूल खड़ा था उसमें आग लगी हुई दिखाई गई है जिससे धुएं के बड़े बड़े गुच्छे निकल रहे हैं और स्कूल का बोर्ड गिरा हुआ पड़ा है. नक्सली हंसता है और कहता है, ‘लाल सलाम’.

गोयल ने दिप्रिंट को बताया कि अगली स्ट्रिप इसी सप्ताह प्रकाशित की जाएगी.

गोयल ने कहा, ‘अभी तक हमें लोगों की बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है. हम सोशल मीडिया पर मराठी और अंग्रेज़ी रूपांतरण प्रकाशित करते रहेंगे क्योंकि वो फिलहाल किसी भी दूसरे माध्यम से ज़्यादा ताक़तवर है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘गोंडी रूपांतरण के लिए, चूंकि हम विशेष रूप से आदिवासी आबादी को लक्ष्य बना रहे हैं, इसलिए हम इनमें से कुछ स्ट्रिप्स को प्रिंट कराएंगे और उसे पर्चों की तरह दूर-दराज़ के गांवों में वितरित करेंगे

जहां बहुत कम संपर्क है या इंटरनेट तक पहुंच नहीं है’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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