मुंबई, 25 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय ने विधान परिषद के सभापति राम शिंदे के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में मंगलवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता सूर्यकांत मोरे को नोटिस जारी किया।
वहीं, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधान पार्षद (एलएलसी) प्रवीण दरेकर ने मोरे के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की मांग की है।
विधानमंडल सचिवालय द्वारा जारी नोटिस में मोरे को दो दिसंबर तक अपनी टिप्पणी पर लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।
यह नोटिस रविवार को जामखेड में राकांपा (एसपी) की एक चुनावी रैली में मोरे द्वारा दिए गए भाषण के वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद दिया गया है।
प्रचार के दौरान, मोरे ने विधान परिषद के सभापति राम शिंदे पर तीखा हमला किया, उन्हें ‘‘टूटे हुए फ्यूज का पीठासीन अधिकारी’’ कहा, और दावा किया कि उनके पास पंचायत समिति प्रमुख से भी कम शक्तियां हैं।
मोरे ने कथित तौर पर कहा कि सभापति का काम ‘‘वर्ष में केवल 30 दिन’’ होता है, जबकि शेष दिन ‘लाल बत्ती वाले वाहनों में परेड’ करने में व्यतीत होते हैं।
उन्होंने यह भी दावा किया कि सभापति विधानमंडल के दोनों सदनों के ‘हेडमास्टर’ की तरह काम करते हैं, लेकिन वास्तव में वे केवल ‘‘70 से 75 सदस्यों की अध्यक्षता करते हैं, जो बुझे हुए बल्बों की तरह हैं’’, जो कोटा-आधारित नामांकन पर निर्भर हैं।
दारेकर ने इस मुद्दे पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मोरे ने विधान परिषद, उसके सदस्यों और सभापति राम शिंदे के लिए बेहद अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया है। उनके बयानों से सदन की गरिमा को ठेस पहुंची है और इसलिए उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्रवाई की जानी चाहिए।’’
दारेकर ने भाजपा एमएलसी श्रीकांत भारतीय के साथ इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि मोरे की टिप्पणियां न केवल अपमानजनक थीं, बल्कि परिषद के कामकाज के बारे में ‘‘झूठी और भ्रामक’’ जानकारी फैलाने के समान थी।
भाषा धीरज सुरेश
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