ठाणे, 14 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने जाति सूचक अपशब्द कहने के आरोपी तीन लोगों को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष सबूतों के अभाव में अपराध को संदेह से परे साबित करने में विफल रहा।
कल्याण सत्र न्यायालय के न्यायाधीश पी. पी. मुले ने रवींद्र मालू गाडगे (पूर्व सरपंच), काशीनाथ तुकाराम भुंडेरे और शांताबाई तुकाराम भुंडेरे को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 504 (जानबूझकर अपमान) के तहत आरोपों से बरी कर दिया।
तीन नवंबर के आदेश की एक प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह घटना दो फरवरी, 2006 को उचले गांव में हुई थी। तब तीनों लोगों ने ‘रमाई महिला बचत गट’ की ओर से एक आंगनवाड़ी के लिए भोजन पकाने के ठेके के प्रस्ताव को कथित तौर पर अस्वीकार कर दिया था, जिसकी एक सदस्य अनुसूचित जाति समुदाय से थी। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि प्रस्ताव को अस्वीकार करते समय अभियुक्तों ने जाति सूचक अपशब्द कहे थे।
अदालत ने फैसला सुनाया कि अभियोजन पक्ष सबूतों के अभाव के कारण उचित संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा।
भाषा शफीक संतोष
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