गुरुग्राम, 21 फरवरी (भाषा) भरतपुर के दो लोगों के कथित अपहरण और हत्या के आरोपी मोनू मानेसर के समर्थन में मानेसर में आयोजित एक महापंचायत ने सोमवार को राजस्थान पुलिस द्वारा उसे “ठोस सबूत” के बिना गिरफ्तार करने के किसी भी प्रयास को विफल करने की चेतावनी दी।
इस बीच, ग्रामीणों ने दावा किया कि मोटरसाइकिल पर दो “पुलिसकर्मी” मोहित यादव उर्फ मोनू मानेसर के घर पहुंचे थे, लेकिन उन्हें भगा दिया गया।
पुलिस के मौके पर पहुंचने और ग्रामीणों को हटने के लिए राजी करने से पहले गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर कुछ देर के लिए यातायात बाधित कर दिया।
बाबा भीष्म मंदिर में महापंचायत के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक ज्ञापन पटौदी के सहायक पुलिस आयुक्त को सौंपा गया। ज्ञापन में राजस्थान पुलिस द्वारा मोनू मानेसर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने और मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच की मांग की गई।
एक हिंदू संगठन के नेता, अधिवक्ता कुलभूषण भारद्वाज ने कहा, “गुरुग्राम पुलिस को आश्वस्त करना चाहिए कि मोनू मानेसर के परिवार को छुआ नहीं जाएगा। बिना पूर्व सूचना के कोई भी पुलिस वाला उनके घर नहीं जाएगा, अन्यथा वे जीवित नहीं लौटेंगे।”
ज्ञापन में कहा गया है कि मोनू मानेसर एवं उसके परिवार के किसी भी प्रकार के जान-माल के नुकसान की स्थिति में सरकार एवं जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा।
मोनू मानेसर के परिवार की सुरक्षा के लिए 10 सदस्यीय कमेटी भी बनाई गई।
महापंचायत के वक्ताओं ने दावा किया कि बजरंग दल के नेता और स्वघोषित गोरक्षा दल के सदस्य मानेसर के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया है और राजस्थान पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्राथमिकी एक साजिश का हिस्सा थी और 24 घंटे के भीतर इसे रद्द करने की मांग की। उन्होंने सीबीआई द्वारा निष्पक्ष जांच की भी मांग की।
उन्होंने कहा कि मोनू मानेसर फरार नहीं है और जब भी प्रशासन बुलाएगा वह हाजिर हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि भरतपुर जिले में पहाड़ी तहसील के घाटमीका गांव के रहने वाले नासिर (25) और जुनैद (35) के जले हुए शव बृहस्पतिवार की सुबह भिवानी के लोहारू में झुलसी हालत में एक जले हुए वाहन में मिले थे।
भाषा जितेंद्र पवनेश
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