scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमदेशमाडवी हिडमा, छत्तीसगढ़ के इस ‘क्रूर’ माओवादी की ही तलाश में निकले थे 2000 सुरक्षाकर्मी

माडवी हिडमा, छत्तीसगढ़ के इस ‘क्रूर’ माओवादी की ही तलाश में निकले थे 2000 सुरक्षाकर्मी

हिडमा कथित तौर पर 2013 के उस नरसंहार को अंजाम देने वालों में शामिल था जिसने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेतृत्व का लगभग सफाया कर दिया और 2010 की दंतेवाड़ा मुठभेड़ में भी शामिल रहा है. सुरक्षा एजेंसियों के पास उसकी कोई ताजा फोटो उपलब्ध नहीं है.

Text Size:

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में रविवार को सुरक्षा बलों पर घात लगाकर किए गए हमले में शामिल 55 वर्षीय माओवादी कमांडर माडवी हिडमा 2004 के बाद से कथित तौर पर 27 हमलों को अंजाम देने वालों में शामिल रहा है. इसमें 2013 का नरसंहार, जिसमें राज्य कांग्रेस का लगभग पूरा नेतृत्व खत्म हो गया था, और 2010 की दंतेवाड़ा मुठभेड़ भी शामिल है, जिसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए थे.

छत्तीसगढ़ पुलिस के सूत्रों के अनुसार, हिडमा को ‘सुरक्षा बलों के खिलाफ हमलों की सुनियोजित साजिश’ रचने और उन्हें ‘काफी हद तक सफलता’ के साथ अंजाम देने के लिए जाना जाता है.

हिडमा, जिसे हिडमालु के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म दक्षिण सुकमा के पुरवती गांव में हुआ था और वह बीजापुर की एक स्थानीय जनजाति से संबंध रखता है. माना जाता है कि वह 2001 की शुरुआत में नक्सली बना था. सूत्रों ने बताया कि ‘बेहद अनुशासित, चतुर, तेज और क्रूर’ होने के कारण ही वह कमांडर बनने की स्थिति तक पहुंच गया.

एक सूत्र ने बताया, ‘हिडमा को सुरक्षा बलों के खिलाफ अपने अभियानों के लिए जाना जाता है. 2004 के बाद से वह सुरक्षा कर्मियों पर 27 से अधिक हमलों में शामिल रहा है. इसमें 2013 का झीरमघाटी नरसंहार जिसमें कांग्रेस के कई अग्रणी नेता मारे गए थे, अप्रैल 2017 में बुर्कापाल में घात लगाकर किया गया हमला, जिसमें सीआरपीएफ के 24 जवान शहीद हुए और 76 सीआरपीएफ कर्मियों की जान लेने वाला दंतेवाड़ा हमला शामिल है. दंतेवाड़ा हमले का नेतृत्व हिडमा ने ही किया था.’

हिडमा के सिल्गर और बोदगुडा क्षेत्र में मौजूद होने का खास इनपुट मिलने के बाद ही लगभग 2000 सुरक्षाकर्मियों—स्पेशल टास्क फोस (एसटीएफ), डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी), छत्तीसगढ़ पुलिस का जिला बल, सीआरपीएफ और इसकी एलीट यूनिट कोबरा यूनिट—ने इसके खिलाफ 2 अप्रैल को एक संयुक्त अभियान शुरू किया था.

सूत्रों ने बताया कि सुरक्षाकर्मी जब तेकुलागुडेम पहाड़ी क्षेत्र में अपने अभियान के आखिरी चरण में तभी घात लगाकर किए गए एक हमले के शिकार बन गए.

सूत्र ने बताया, ‘जब वह प्रशिक्षण की बात करता है, तो एकदम निर्दयी होता है. लेकिन अपने कैडर के बीच लोकप्रिय है क्योंकि एकदम सामने से अभियान का नेतृत्व करता है और यही उन्हें एकजुट रखता है. उनके अधीन करीब 150 कमांडर हैं जो बहुत अच्छी तरह प्रशिक्षित हैं.’

हिडमा के खिलाफ 25 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा गया है, लेकिन सुरक्षा बलों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उनके पास उनकी कोई ताजा तस्वीर नहीं है. उनके पास स्थानीय निवासियों और उसके साथ काम करने वाले लोगों की स्मृति के आधार पर तैयार कराए गए रेखाचित्र हैं, और उसकी कद-काठी के बारे में अनुमानित जानकारी है.


यह भी पढ़ें: नक्सल समस्या का अंत और इसे तार्किक अंजाम तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है सरकार: अमित शाह


‘5 किमी का सुरक्षा घेरा, मजबूत नेटवर्क’

उपरोक्त सूत्र के मुताबिक, हिडमा बस्तर में 1989 और 2015 के बीच 150 से अधिक सुरक्षाकर्मियों की शहादत के लिए जिम्मेदार रावुला श्रीनिवास उर्फ रमन्ना का विश्वासपात्र सहयोगी था, जिसकी 2019 में हृदयाघात से मौत हो गई थी.

सूत्र ने बताया कि रमन्ना की मौत के बाद हिडमा ने उसकी जगह सीपीआई (माओवादी) संगठन के सैन्य कार्यों के प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल ली, खासकर सुरक्षा बलों के खिलाफ हमलों की साजिश रचने और उन पर अमल करने की. सूत्र के मुताबिक वह सीपीआई (माओवादी) की नीतियां और योजनाएं तय करने वाली और माओवादी विचारधारा को फैलाने वाली इकाई दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) के प्रमुख के रूप में भी काम कर रहा है.

एक दूसरे सूत्र ने बताया कि हिडमा को पकड़ना नामुमकिन इसलिए हो जाता है क्योंकि उसके आसपास करीब पांच किलोमीटर का सुरक्षा घेरा रहता है. सूत्र ने कहा कि उसका ‘स्थानीय निवासियों के बीच मजबूत नेटवर्क’ भी उसके बारे में कुछ पता लगाने को चुनौतीपूर्ण बना देता है.

सूत्र ने कहा, ‘वह एक स्थानीय निवासी है और जंगल को अंदर और बाहर से जानता है. उसके पास अच्छी तरह प्रशिक्षित और आधुनिक हथियारों से लैस कमांडो के साथ एक मल्टीलेयर सिक्योरिटी रिंग है. इसके अलावा सभी गांव में उसके मुखबिर हैं जो सुरक्षा बलों के अभियान से जुड़ी हर जानकारी उसके सहयोगियों तक पहुंचाते हैं. आमतौर पर वह गांवों में नहीं आता-जाता है और एक सुरक्षित दूरी बनाए रखता है.’

एक दूसरे सूत्र ने बताया, ‘प्रशिक्षित कमांडो से इतर उसके पास निजी सुरक्षा की एक अलग टीम है जो उसे अभेद्य सुरक्षा मुहैया कराती है.’

सूत्र ने आगे जोड़ा, ‘हिडमा जंगल में युद्ध में माहिर है और इसे ‘हार्ड मिलिशिया टास्कमास्टर’ के रूप में जाना जाता है.’

सुरक्षा बलों के पास सिर्फ रेखाचित्र हैं जो ये बताते हैं कि हिडमा अब कैसा दिखता हो सकता है, लेकिन उनके पास उसकी कोई हालिया तस्वीर नहीं है.

सीआरपीएफ के पास मौजूद एक डोजियर के मुताबिक, हिडमा 5 फीट 6 इंच लंबा है, और इसकी कद-काठी सामान्य है. सुरक्षा बलों के पास उपलब्ध फोटो उसके युवावस्था के समय की है.

सूत्र ने बताया, ‘हमारे पास उसकी एक एके-47 थामे वाली और एक क्लोज शॉट वाली फोटो हैं लेकिन बहुत स्पष्ट नहीं है. बस इतना ही है. यह फोटो तब की है जब वह जवान था. हमने स्थानीय निवासियों और यहां तक कि उनके साथ काम करने वाले लोगों से बातचीत के आधार पर स्केच तैयार कराया है लेकिन हमारे पास कोई फोटो नहीं है. इसकी वजह यह भी है कि है कि वह कभी बाहर नहीं निकलता है और जंगल में ही रहता है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: UPA से लेकर NDA तक, भारत अभी तक नहीं समझ सका कि नक्सलियों की बगावत से कैसे निपटा जाए


 

share & View comments