चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने खनन कंपनी वेदांता की तमिलनाडु के तूतीकोरिन स्थित स्टरलाइट कॉपर की इकाई फिर से खोलने की अनुमति देने के लिए दायर याचिका मंगलवार को खारिज कर दी.
उल्लेखनीय है कि प्रदूषण संबंधी चिंता की वजह से यह इकाई मई 2018 से बंद है.
कंपनी ने फैसले को ‘अस्थायी झटका’ करार देते हुए कहा कि वह सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करेगी. वहीं राजनेताओं और अन्य ने इस फैसले का स्वागत किया.
न्यायमूर्ति शिवगणनम और न्यायमूर्ति वी भवानी सुब्बारॉयान की खंडपीठ ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीपी) द्वारा मई 2018 में इकाई बंद करने का आदेश बरकरार रखा. अदालत ने इस साल नौ जनवरी को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
अदालत ने 800 पन्नों के फैसले में वेदांता और अन्य द्वारा इकाई को बंद करने के आदेश के खिलाफ दायर रिट याचिकाएं खारिज कर दीं. प्रदूषण की वजह से इकाई के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए थे.
वेदांता ने फरवरी 2019 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर स्टरलाइट संयंत्र को दोबारा खोलने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. इस इकाई को 21 और 22 मई 2018 को हिंसक प्रदर्शन में 13 लोगों की मौत होने की पृष्ठभूमि में 23 मई 2018 को टीएनपीसीबी ने बंद करने का आदेश जारी किया था.
उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद तूतीकोरिन में कई लोगों ने मिठाई बांटकर और पटाखे जलाकर अपनी खुशी का इजहार किया.
उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेलवम ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह करोड़ों लोगों के विचारों का प्रतिबिंब है.
तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी पार्टी द्रमुक के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि वह अदालत के फैसले के आगे नतमस्तक हैं.
उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार मंत्रिमंडल में फैसले का स्वागत करने के लिए प्रस्ताव पारित करे और उच्चतम न्यायालय में वेदांता के अपील के मद्देनजर कैविएट याचिका दायर करे.
एमडीएमके प्रमुख वाइको ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि फैसले में न्याय हुआ है और यह प्रदर्शन कर रहे लोगों की बड़ी जीत है.
उन्होंने 26 साल से संयंत्र के खिलाफ अपनी पार्टी के विरोध को याद करते हुए कहा, ‘थोड़ा सा भी समझौता किए बिना, मैंने खुद संयंत्र के खिलाफ अधिकरण, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में पक्ष रखा.’
माकपा के राज्य सचिव के बालकृष्णन, भाकपा के राज्य सचिव आर मुथरासन, पीएमे के संस्थापक एस रामदॉस ने सरकार से मांग की अगर कंपनी फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करती है तो वह वहां पर लड़े ताकि यह संयंत्र को स्थायी रूप से बंद हो जाए.
स्टरलाइट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पंकज कुमार ने तूतीकोरिन में पत्रकारों से कहा, ‘हम उन सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करेंगे जो हमारे समक्ष है.’
कंपनी के एसोसिएट उपाध्यक्ष डी धनवेल ने कहा कि फैसला ‘निराश’ करने वाला है, लेकिन यह ‘अस्थायी झटका है.
एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा, ‘कर्मचारियों को निकालने की संभावना है क्योंकि संयंत्र दो साल से बंद है.’
धनवेल ने भी कहा, ‘हमारी कंपनी ने संयंत्र बंद होने के बावजूद लोगों की नौकरियां बचाने के लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन इस झटके के बाद यह (नौकरियों को बचाना) चुनौतीपूर्ण होगी…हम चर्चा करेंगे और कर्मचारियों के कल्याण का विचार कर फैसला लेंगे.’
इससे पहले वेदांता ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि संयंत्र को बंद करने का आदेश कुछ और नहीं कंपनी के खिलाफ ‘खुला भेदभाव’ है और प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में 13 लोगों की मौत के बाद राज्य द्वारा लोगों के एक गुट के निहित हित का ‘तुष्टीकरण’ है.
वेदांता के दावों को खारिज करते हुए राज्य सरकार ने कहा कि अगर कोई फैक्टरी पर्यावरण और पारिस्थितिकी के लिए गंभीर खतरा पैदा करे तो उसके पास उसे बंद करने का पूरा अधिकार एवं ताकत है.