नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया.
उत्तर प्रदेश जेल विभाग ने बृहस्पतिवार को राज्य की 2018 की छूट नीति का हवाला देते हुए अमरमणि त्रिपाठी की समय पूर्व रिहाई का आदेश जारी किया था, जो जेल में 16 साल पूरे कर चुके हैं.
न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कवयित्री की बहन निधि शुक्ला की याचिका पर राज्य सरकार, त्रिपाठी और उनकी पत्नी को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर जवाब मांगा.
अधिकारियों ने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि जेल विभाग ने उनकी उम्र और अच्छे व्यवहार का भी हवाला दिया क्योंकि अमरमणि 66 साल के हैं और मधुमणि 61 साल की हैं.
अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी फिलहाल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिहाई पर रोक लगाए जाने के इनकार के बाद दिवंगत कवयित्री मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला का कहना है, “मैं यूपी के राज्यपाल और यूपी के सीएम से उनकी रिहाई रोकने का अनुरोध करती हूं.आरटीआई आवेदनों में कहा गया है कि अमरमणि वास्तव में कभी जेल नहीं गए थे.”
निधि शुक्ला ने आगे कहा कि वह कुछ भी कर सकता है. “क्या होगा अगर उसने मेरी हत्या कर दी, तो इस मामले की पैरवी करने वाला कोई नहीं बचेगा?…यूपी में किस तरह की कानून व्यवस्था है?”
कैदियों की रिहाई जेल की नीतियों पर आधारित
कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के दोषियों की समय से पहले रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी करने के बाद उत्तर प्रदेश के जेल और होम गार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि कैदियों की रिहाई जेल की नीतियों और कैदियों के आचरण पर आधारित है.
मंत्री प्रजापति ने कहा, “जेल से कैदियों की रिहाई जेल की नीतियों और जेल के कैदियों के आचरण पर आधारित है. राज्यपाल और सीएम के निर्देश के बाद ही किसी कैदी की रिहाई के आदेश दिए जाते हैं.”
उन्होंने आगे कहा, ”मैं राज्यपाल के विवेक पर उंगली नहीं उठा सकता. राज्यपाल हमारी फाइलों को ध्यान से पढ़ते हैं और उस पर विवेकपूर्ण तरीके से निर्णय लेते हैं और वही निर्णय हमारे लिए मान्य होता है, उनका अध्ययन करने के बाद उनकी टीम अध्ययन करती है और उसके बाद ही निर्णय लिया जाता है.”
उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय राय ने मधुमिता हत्याकांड के दोषियों की रिहाई पर सवाल उठाते हुए कहा,”जघन्य अपराध में शामिल लोगों को रिहा नहीं किया जाना चाहिए. इससे समाज में गलत संदेश जाएगा.मैं इस कदम की निंदा करता हूं.जो पार्टी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा लगाती है, वह इसमें शामिल लोगों को रिहा कर रही है महिलाओं के खिलाफ अपराध.दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों.”
#WATCH | Nidhi Shukla, deceased poetess Madhumita Shukla’s sister on the release of former UP Minister Amarmani Tripathi and his wife Madhumani Tripathi, says, "I request the UP Governor and UP CM to stop their release…RTI applications state that Amarmani actually never went to… pic.twitter.com/CV6bs88oAz
— ANI (@ANI) August 25, 2023
कवयित्री मधुमिता गर्भवती थीं जिनकी नौ मई 2003 को लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अमरमणि त्रिपाठी को सितंबर 2003 में हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था जिसके साथ वह कथित तौर पर रिश्ते में थे.
देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में नैनीताल हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने दंपति की सजा को बरकरार रखा था. मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने की थी.
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