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Friday, 22 November, 2024
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लॉकडाउन में पीक सीज़न में करोड़ों का नुकसान झेल रहा है लखनऊ का चिकनकारी उद्योग, कारीगर हताश

लॉकडाउन के इस दौर में अब न कोई तो चिकन खाने वाला, न पहनने वाला दिख रहा है. चारों तरफ सन्नाटा है. रमज़ान में भी पुराना लखनऊ वीरान है.

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लखनऊ: यूपी की राजधानी लखनऊ का चिकन से इतना गहरा रिश्ता माना जाता है कि यहां एक कहावत कही जाती है कि कभी जिक्र करें चिकन का तो लोग पूछते हैं ‘खाने वाला चिकन या पहनने वाले.’ इसका कारण है कि यहां दोनों मशहूर है. लेकिन लॉकडाउन के इस दौर में ये गुजरे ज़माने की बात सी लगती है.

अब न कोई तो चिकन खाने वाला, न पहनने वाला दिख रहा है. चारों तरफ सन्नाटा है. रमज़ान में भी पुराना लखनऊ वीरान है. खचाखच भरा रहने वाले मशहूर चौक बाजार और अमीनाबाद में सिर्फ ताले लटकें है. वो चिकन की दुकानें जिनमें कभी इस सीज़न में जमकर भीड़ हुआ करती थी. अब धूल भरी हैं. चिकन का व्यापार करने वालों में अजीब सा सन्नाटा है. इस सन्नाटे की वजह रोज़ाना हो रहा लाखों का नुकसान है. लेकिन उनसे अधिक दुखी वे कारीगर हैं जिनकी रोजी-रोटी ही इस कारोबार से चलती थी.

सबसे ज़्यादा चिकन कारीगर परेशान

चिकन कारीगर अब्दुल मियां बताते हैं कि वह पिछले 25 साल से इस पेशे में हैं. वह लखनऊ के एक मैनुफैक्चरर के यहां काम करते हैं. लॉकडाउन में पिछले महीने की तनख्वाह तो मिल गई लेकिन इस महीने क्या होगा पता नहीं. उनका कहना है कि मैनुफैक्चरर भी कहां से पैसा लाए, उसका भी तमाम जगहों से पेमेंट रुका हुआ है. घर पर तीन बच्चे हैं. सब अभी पढ़ाई करते हैं. घर का खर्च कैसे चलेगा ये समझ से परे है. इसी तरह महिला कारीगर शबनम बताती हैं कि चिकनकारी का काम आना बंद हो गया है. जिस दुकान के लिए वह काम करती हैं वहां से इस बार सैलरी मिलने की भी उम्मीद न के बराबर है. इसी तरह लखनऊ के हजारों चिकनकारी वर्कर परेशान हैं. सैलरी की दिक्कत के साथ-साथ अब काम न मिलने का डर है.

चिकनकारी व्यापार को करोड़ों का नुकसान

लखनऊ के रहने वाले चिकन मैनुफैक्चरर मोहित वर्मा बताते हैं कि अप्रैल-मई चिकनकारी उद्योग के लिए पीक सीज़न माना जाता है. लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन ने लखनऊ के व्यापारियों का करोड़ों का नुकसान कर दिया है. मोहित के मुताबिक, पिछले एक महीने से बाजार बंद है, क्लाइंट से पेमेंट नहीं हुआ. एक महीने से बाजार बंद होने से ये मानकर चलें कि लखनऊ में सब कारोबारियों का मिलाकर एक हजार करोड़ का नुकसान तो हुआ ही होगा. कोई निश्चित आंकड़ा देना तो ठीक नहीं होगा, लेकिन इस सीज़न में इतनी बिक्री तो यहां के मार्केट में हो जाती है. कुछ माल कारीगरों के पास डंप पड़ा है तो कुछ कारोबारियों के यहां पर. हम कारीगरों को कैसे बुलाएं, कोई कई किलोमीटर दूर रहता है तो किसी की ट्रांसपोर्ट से जुड़ी समस्या है.

विदेशों में जाता है लखनऊ का चिकन वर्क

लखनऊ के चिकन वर्क की डिमांड केवल देश में ही नहीं विदेशों में भी है. मोहित के मुताबिक अप्रैल- मई में चिकन सूट की डिलीवरी विदेशों में होती है. खासकर यूरोप के देशों में इस मौसम में चिकन की बहुत मांग रहती है. पूरा सीज़न तो लॉकडाउन में ही निकल गया. इसके बाद अगर मई मिड या अंत तक खुलता भी है तो तैयार माल को लॉकडाउन के बाद सैनिटाइज कर लोगों को उसे खरीदने के लिए तैयार करना बड़ी चुनौती होगी.

चिकन कारोबारी प्रथम टंडन के मुताबिक, सिंगापुर, दुबई, अमेरिका श्रीलंका, यूरोप समेत दुनिया भर में चिकन लखनऊ से ही जाता है. बड़ी संख्या में आर्डर तैयार किए गए थे. फिलहाल सब डंप हो गया है. सारा काम हर जगह रुका हुआ है. पहले जीएसटी से व्यापार पर काफी असर पड़ा था, अब लॉकडाउन ने ते ब्रेक ही लगा दिया है.

कैसे दूर होंगे संशय

चिकन कारोबारी प्रथम टंडन के मुताबिक सबसे बड़ डर तो ये है कि लॉकडाउन खुलने के बाद भी पता नहीं लोग चिकन खरीदेंगे या नहीं. क्योंकि इंसान ऐसे दौर में पहले खाने-पीने, रोजगार का इंतजाम करेगा कपड़े, फैशन आदि तो दूर की बात है. वहीं ऑनलाइन डिलीवरी अगर शुरू होता है तो मैनुफैक्चरर को तो थोड़ा राहत मिलेगी. लेकिन, कोरोना फैलने को लेकर कस्टमर के संशय कैसे दूर होंगे. क्या वे ऑनलाइन चिकन मंगाएगा ये अहम सवाल है.

चिकन कारोबारी संजीव कुमार का कहना है कि चिकन के व्यापार में 70 फीसद से अधिक चिकन के सूट को पर्यटक ले जाते थे. खासतौर से विदेशी व दूसरे प्रदेशों से आने वाले पर्यटक इकट्ठा दर्जनों पीस ले जाते थे. वो अब कैसे आएंगे. फिलहाल तो हर बात पर अनिश्चितता है. उनके मुताबिक लखनऊ में 70 से 80 बड़े व्यापारी है. जबकि लगभग चार हजार छोटे उद्यमी तो वहीं कारीगरों की संख्या तो 50 हज़ार से अधिक होगी. सबसे अधिक आफत इन कारीगरों पर आई है.

लखनऊ जरदोजी हस्तशिल्प विकास समिति के अध्यक्ष सय्यद इकरार हुसैन रिजवी ने सरकार से जरदोजी और चिकनकारी कारीगरों को आर्थिक मदद देने की मांग की है. उनके मुताबिक, लॉकडाउन के कारण कारखाने बंद पड़े हैं. ऐसे में सबसे बड़ी आफत कारीगरों पर आई है. सय्यद इकरार की अपील है मजदूरों और ई-रिक्शा चालकों की तरह चिकनकारी व जरदोजी वर्कर्स की आर्थिक मदद दी जाए.

सरकार ढूंढेगी समाधान

यूपी सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना है कि सरकार सभी तरह के उद्योगों को लेकर रणनीति तैयार कर रही है. नियम व शर्तों के साथ कुछ उद्योग खोलने की इजाजत भी दी गई है. चिकनाकारी, बुनकर, कार्पेट समेत दूसरे उद्योगों की जो समस्या है. उस पर भी विचार चल रहा है. इसको लेकर बैंकों से भी बात चल रही है कि कैश फ्लो (नकदी) न रुके. जो नुकसान हो रहा है उसकी भरपाई की जा सके.

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1 टिप्पणी

  1. Mujhe ration ki jarurat hai mere Ghar mein ration khatm ho chuka hai main bahut pareshan hun mere Ghar mein 6 member hai hamare pass ek rupya bhi nahin hai Mera account check kar sakte ho

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